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Manish Sarita(माँ )Kumar
मैंने भी सोच रखा है एक दिन एक घर बनाना है फिर उसे करीने सा सजाना है तुम्हें बुलाना है उसी शाम जिस दिन तूने मेरे घर आना है रस्म है मेरे यहां नए पुराने सामान से घर सजाने की तू हाथ बटा देना मां का एक काम करना है मां जो मांगें वो सब सामान पकड़वाना है चाय भी ठीक ठाक बना लेता हूं फिर किसी दिन तुझे चाय पे बुलाना है पकोड़े अच्छे बना लेती है मां तुम एक काम करना मां से सांझा करना तुम्हारी कोई याद मां ने बातों बातों में तुम्हें सब सिखाना है ©Manish Sarita(माँ )Kumar घर बनाना है #घर
Smriti_Mukht_iiha🌠
काया की ईंट जुड़ती है जहाँ संबंधों से! और परस्पर तारतम्यता के साथ बनाती है नेह की दीवार! जहाँ खट्टे-मीठे अनुभव बाँह पसारे मिलते हैं! सुकून माथा सहलाता है बोझिल दिन को थकन के बाद! जहाँ अभी भी खूंटी पर टँगी शर्ट तुम्हारी राह तकती है! तुम्हारी महक में मेरी साँस बसती है! वह यादों की चारदीवारी ही मेरे लिये "घर " कहलाता है!! घर तो घर होता है!
Shashi Bhushan Mishra
Red sands and spectacular sandstone rock formations राजपुरोहित बन गए दरबारी कवि लोग, करते हैं गुणगान देश का सुंदर है संयोग, ज्ञानी-ध्यानी वक्ता बनकर घूम रहे चहुँ ओर, श्रोता भ्रमवश सोच रहा है देखो कैसा योग, पंडालों में भीड़तंत्र की दिखती असली झाँकी, जिसकी जितनी क्षमता उसका वैसा है उद्योग, मूर्त अमूर्त न पूजे निर्गुण सगुण गए उरझाय, दिव्य ललाट ठाठ ठाकुर सा माया का है भोग, आत्मज्ञान के बिना किसी का होता ना कल्याण, वेद-पुराण संत की वाणी मिटे न मन का रोग, प्रेम और आनंद हृदय को कर देते संतुष्ट, दु:ख दुविधा संशय में जीवन खो देता उपयोग, अवसर यही सफल करने का 'गुंजन' ये उपहार, अविनाशी और नाशवान का जीवन मधुर सुयोग, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सुंदर है संयोग#
Shashi Bhushan Mishra
ये माँ है वो चंदा मामा हमारा है, धरा से चाँद का रिश्ता पुराना है, करे रौशन हमारी रात को जब, चमक पाता नहीं कोई सितारा है, दिखे माशूक सा चेहरा फलक में, बिना उसके न कोई और प्यारा है, क़फ़स में क़ैद उसके दिल हमारा, बिना देखे न अब कोई गुजारा है, है दो-दो चाँद पानी और नभ में, सर्द है रात दरिया का किनारा है, चलो कश्ती में बैठो सैर कर आयें, मिले ना जीस्त में मौका दोबारा है, हरेक पल का नया प्रारूप गुंजन, वस्ल की रात का सुंदर नजारा है, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सुंदर नजारा है#
Ajay Bishwas
माँ काली रात को सहर बनाती है बोझल फ़िज़ा में डगर बनाती है माँ सर पर रखकर हथेली अपनी औलाद को नूर-ए नज़र बनाती है # माँ घर को घर बनाती है