Find the Latest Status about कुमारिल भट्ट from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कुमारिल भट्ट.
Mahima Jain
जब मैं प्यार के बारे में सोचता हूं, तो लगता है कितना विचित्र एहसास है। दूसरे की खुशी में खुद को खुशी मिलती है दूसरे के गम में होता अपना मन उदास है।। Battle Day 1 Quote 2 Prompt used :- महेश भट्ट :- 'जब मैं प्यार के बारे में सोचता हूं, मुझे आनंद नहीं, दर्द याद आता है। मैं जानता हूं कि ऐस
Mahima Jain
जब मैं प्यार के बारे में सोचता हूं, तो हर तकलीफ़ भूल जाता हूं। जब भी लगता है दुनिया से डर, अपनी मां का आंचल ओढ़ सो जाता हूं।। Battle Day 1 Quote 1 Prompt used :- महेश भट्ट :- 'जब मैं प्यार के बारे में सोचता हूं, मुझे आनंद नहीं, दर्द याद आता है। मैं जानता हूं कि ऐस
CM Chaitanyaa
" श्री चैतन्य महाप्रभु " श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य सन् 1486 में फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को पश्चिम बंगाल के नवद्वीप (नादिया) नामक गाँव में हुआ। यह स्वयं श
narendra bhakuni
Divyanshu Pathak
जब तक प्रतिहारों में साहसी-पराक्रमी शासक उत्पन्न होते रहे उनका राज्य विस्तार भी हुआ।शुरुआती दौर में मण्डोर के प्रतिहार- नागभट्ट,शिलुक,बाउक शक्तिशाली रहे।उज्जैन और कन्नौज के प्रतिहारों में भी कई प्रतिभासंपन्न योद्धा हुए।समूचे राजस्थान पर अधिकार कर उन्होंने- गुहिल,राठौड़,चौहान तथा भाटियों को सामन्त बनाकर राज्य किया।जैसे ही इनकी केंद्रीय शक्ति कमज़ोर हुई तो सामन्तों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए।जिस राजस्थान की मिट्टी में उनका उदय हुआ,उसी राजस्थान को वे हमेशा के लिए अपना न रख सके। : डॉ गोपीनाथ शर्मा लिखते हैं कि - जोधपुर के शिलालेखों से यह प्रमाणित होता है कि प्रतिहारों का अधिवासन मारवाड़ में लगभग छठी शताब्दी के द्वित्त
Funny Singh🐼
सुशांत की जान 'Depression' ने नहीं ली। सुशांत की जान 'Nepotism' ने ली है।। हर तरफ आज जोरों की चर्चा है कि सुशांत ने Depression की वजह से अपनी जान दे दी। लेकिन इन्हें Depression हुआ कहाँ से? अगर इस Depression की तह त
शब्दिता
माता-पिता एक पिता ही है जो अपने वर्चस्व को संघर्ष में परिवर्तित करता है। एक मां ही है जो अपने अस्तित्व को पालन पोषण में परिवर्तित करती है। पिता लगा द
शब्दिता
एक हकीकत जो अब सपना है। क्या वो सपना था जो कुछ वर्षों पहले जिया था मैंने जिसको नाम दिया गया बचपन क्या वो सपना था। बिना किसी छल के हंसना बिना किसी डर के चलना क्या वो
शब्दिता
खो गया वह बचपन *खो गया वह बचपन* वो बचपन के दिन थे जब खिलखिलाते हुए हंस जाया करती थी। आज हंसती हूं तो पाती हूं कि आंखें तो नम हैं मेरी। खेलते खेलते वक