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MSA RAMZANI
White यार भी राह की दीवार समझते है मुझे मैं समझता था मेरे यार समझते है मुझे हर रोज इक अता है खताओ के बावजूद मिलता है हमको रिज्क गुनाहो के बाबजुद बेबाकी देखियो तो जरा अपनी कौम की डरती नही खुदा से सजाओ के बावजूद 26/4/15 ©MSA RAMZANI यार भी राह की दीवार समझते है मुझे मैं समझता था मेरे यार समझते है मुझे हर रोज इक अता है खताओ के बावजूद मिलता है हमको रिज्क गुनाहो के बाबजु
यार भी राह की दीवार समझते है मुझे मैं समझता था मेरे यार समझते है मुझे हर रोज इक अता है खताओ के बावजूद मिलता है हमको रिज्क गुनाहो के बाबजु
read moredilkibaatwithamit
White तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँद सितारों का क्या करें दिल कि,अब मरघटी विरानों में भटकता फिरे गुलशन से वास्ता क्या, गुलज़ारों का क्या करें जब ग़म ही है नसीब अपना दर्द ही मोहतरम मौसम ए खिजां है,सब्ज़ चनारों का क्या करें सिमटा हुआ मकान,और दरकी हुई दीवारें हैं बारिश से बचें कैसे, और शरारों का क्या करें डूब जाने का इरादा कर लिया फिर डर कैसा कश्ती की ज़रूरत नहीं पतवारों का क्या करें हम कोई मुंसिफ तो नहीं फैसला कर दें कोई दुनिया ही समझे ,इन गुनहगारों का क्या करें ©dilkibaatwithamit तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ
तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ
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हमारे बीच नफ़रत की कोई दीवार न करते यहीं इक काम तो बस अपने चोकीदार न करते हमारा देश होता चीन से जापान से आगे सियासी लोग जो धर्मों का कारोबार न करते गरीबी बेशसी बे रोजगारी ख़त्म हो जाती धर्म के नाम पे नेता जो भ्रष्टाचार न करते वतन में उन्नती होती मियां हर बार से ज़्यादा वतन का होशला जो पस्त कुछ गद्दार न करते सियासी आदमी कब का इसे बर्बाद कर देतें अगर हम जान से ज़्यादा वतन से प्यार न करते गुलामी में ही रहता देश गर हिन्दू-मुस्लिमा सब कभी अपनी दर्राती को अगर तलवार न करते .... अनवर क़ुरैशी #26January #26January2025 ©dilkibaatwithamit हमारे बीच नफ़रत की कोई दीवार न करते यहीं इक काम तो बस अपने चोकीदार न करते हमारा देश होता चीन से जापान से आगे सियासी लोग जो धर्मों का
हमारे बीच नफ़रत की कोई दीवार न करते यहीं इक काम तो बस अपने चोकीदार न करते हमारा देश होता चीन से जापान से आगे सियासी लोग जो धर्मों का
read moreअनिल कसेर "उजाला"
हाल क्या है मेरा इन दीवारों से पूछो, क्यूँ अश्क़ बह रहे हैं आँखों से पूछो। ज़ख्म मेरा भर ना पाया है अब तक, वफ़ा कर रहे उन वफ़ादारों से पूछो। हुआ क्यों मैं पागल दीवाना जहाँ में, प्यार के दुश्मन ज़माने वालों से पूछो। आदमी ही आदमी से डरने लगा क्यों, चलो इंसानियत के ठेकेदारों से पूछो। बिन तुम्हारे 'उजाला' कैसे जी रहा है, महफ़िल में आ कर वफ़ाओं से पूछो। ©अनिल कसेर "उजाला" दीवारों से पूछो
दीवारों से पूछो
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो, इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो। सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम, बग़ैर ज़ख्मों वाला इश्क़ चाहते हो। सुना है इश्क़ ने बहुत दीवारें गिराई हैं, इश्क़ के सरहदों को मिटाना चाहते हो। कितने फना हुए इश्क़ के इम्तिहान में, दर्द बग़ैर इश्क़ का गुलज़ार चाहते हो। बिन आवाज़ दिए बुला रहे हो उसको, बग़ैर जज़्बात इश्क़ का जुनून चाहते हो। इश्क़ के खेल में लोग छोड़ देते हैं पसीने, बग़ैर बहाए खून इश्क़ का हार चाहते हो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो, इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो। सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम, बग़ैर ज़ख्मों वाला
#love_shayari इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो, इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो। सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम, बग़ैर ज़ख्मों वाला
read moreनवनीत ठाकुर
हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी
#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी
read moreनवनीत ठाकुर
दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घावों को भी मोहब्बत भर सकता है। अक्सर जख्मों से ही नई ताकत मिलती है, जो कभी टूटा था, वही फिर से उठ सकता है। दुश्मनी की दीवार कब तक खड़ी रहेगी, सच्ची दोस्ती की हवाओं में वो भी गिर सकेंगी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घाव
#नवनीतठाकुर दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घाव
read moreIG @kavi_neetesh
Unsplash हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। बोल पड़े हम घर में भाई फिर खींचातानी हो गई। मुंह फेर लिया अपनों ने रिश्तेदार भी रूठ गए। बड़े जतन से बांध रखा वो प्रेम के मोती टूट गए। घर में दीवारें खिंच गई मकान बिकाऊ हो गया। समझदार थे उनका अब पुत्र कमाऊ हो गया। कैसे बांध सके वो डोरी जलन पड़ी थी पांवों में। तुच्छ स्वार्थ से शूल बिछाए सूनी सी इन राहों में। संभल संभलके चलते फिर भी धोखा मिलता है। पांव से जमी खिसकती कभी फैसला हिलता है। जिसका पलड़ा भारी होता लोग उधर हो जाते हैं। सलाह मशवरे आकर हमको रोज देकर जाते हैं। रिश्तेदारों को भी जाने क्यों ये परेशानी हो गई। हमने जब अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। अपनी मेहनत हक का खाना बेईमानी हो गई। न्याय की खातिर टूट पड़े तो खींचातानी हो गई। ©IG @kavi_neetesh #camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
#camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
read moreनवनीत ठाकुर
आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंसाफ का सूरज अब उगाना होगा, नई क्रांति का परचम लहराना होगा। हर साजिश का पर्दाफाश करना होगा, हर अन्याय को जड़ से उखाड़ना होगा। आओ उम्मीदों की मशाल जलाएं, इस सियाह दौर को रौशन बनाएं। ©नवनीत ठाकुर #आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस
#आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस
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