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Manya Parmar
Manya Parmar ✨ ©Manya Parmar khoon खोलाने वाली चीज़े
khoon खोलाने वाली चीज़े #Poetry
read moreBhavana kmishra
मैंने दरवाजा खोला, और वो सामने खड़ा था.. उसे देख, मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे.. उसने कहा, देखो रो नहीं आया हूं तुमसे ही मिलने.. घर में सबसे बात कर लिया है, अब हम साथ रहेंगे हमेसा के लिए..ok खुश! ©Bhavana kmishra #मैंने#दरवाजा#खोला#
Anuj Ray
हुई है प्रसन्न मेरे इश्क़ की देवी ,और जैसे ही मंदिर का मैंने दरवाज़ा है खोला। देखके प्रेम की देवी को ,चेतना हुई लुप्त, उसी में हो गया विलुप्त मेरा चोला। ©Anuj Ray #मैंने दरवाजा खोला
Bulbul varshney
और मैंने देखा कि कोई है जिससे मेरे होने या ना होने से फर्क पड़ता है जो मेरे होने से खुशियां मनाता है और मेरे ना होने से छुपते छुपाते आंसू बहाता है। ©Bulbul varshney #मैने दरवाजा खोला।
Saddam
दरवाज़ा खोला और देखा जिसका मैं कई सालों से इंतजार कर रहा था एक डांकियां उसके नाम की चिट्ठी लाया है उसमे लिखा था अब तुम्हारा इंतजार खत्म हो गया मैं तुम्हे अब उस दुनिया मैं मिलूंगी जहां हमारे और तुम्हारे प्यार के बीच मैं ये समाज जात पात नही आयेगा ।😭 ©Saddam Hussain दरवाज़ा खोला #Prem
Amit Singhal "Aseemit"
तुम मत खोला करो मेरे मन की हर गिरह को, मेरे मन को कसकर बंधा और छुपा रहने दो। गिरह खोलोगे तो देखोगे सिर्फ़ दुख विरह को, इसको शांत रहकर सहना है इसको सहने दो। ©Amit Singhal "Aseemit" तुम मत खोला करो
तुम मत खोला करो #शायरी
read moreKalpana Tomar
मैंने दरवाजा खोला, जब उसने बैल बजाई। वो खड़ा था मेरे आगे, मैं उसे देख मुश्काई। बोला वो हंस कर आने को, क्या नहीं कहोगी अंदर। पर भीतर मेरे भावों का अब , उठने लगा समंदर। मैं बोली आओ बैठो, उनसे भी मिलवा दूंगी। तुम बातें करना दोनों, मैं चाय बना के दूंगी। वो सोच के कुछ फिर बोला, अभी तो मैं जाता हूं। अब समय नहीं है ज्यादा, फिर और कभी आता हूं। पति पत्नी और 👉 वो ©Kalpana Tomar मैंने दरवाज़ा खोला........ #nojohindi #nojotolovelife
मैंने दरवाज़ा खोला........ #nojohindi #nojotolovelife #Life
read moreShashi Bhushan Mishra
प्यार के धन से धनी बनूँ पर कपट त्याग हिय द्वार न खोला, तुम तो सदा पास थे मेरे मैं ही बस्ती बस्ती डोला, सच है हम हैं यहाँ मुसाफिर ये जग चार दिनों का मेला, तुम हो रखवाले इस जग के फिर क्यों सोचूँ मैं हूँ अकेला, ह्रदय न भरे प्रेम से जब तक सब कुछ खाली सा लगता है, प्रेम वृष्टि से खिले सृष्टि का कमल, गुलाब,चमेली,बेला, पल दो पल ये दौलत सोहरत खाली हाथ करे सब रुख़सत, लालच, लोभ, स्वार्थ में पड़कर करते हैं सबलोग झमेला, भूख, प्यास, नींद की तुष्टि कल्पित कथा नहीं कर पाती, ख़्वाब तिमिर है किन्तु हकीक़त अरुणोदय की स्वर्णिम बेला, अन्तर्मन से नमन करूँ तुमको अर्पित चंचल मन मेरा, शरणागत घट छलके अमृत ज्योतिर्मय उर प्रेम खटोला, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #कपट त्याग हिय द्वार न खोला#