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Vaishali Kahale
lalitha sai
सुबह का नास्ता.... हमारी सुबह के नाश्ते में... उनको तरह तरह के पकवान पसंद.. मुझे उनको बनाके खिलाना पसंद.. आज सुबह कॉफी नहीं दी थी उनको क्योँकि कॉफी लेने के बाद
#Mr.India
मां तेरे लिए कुछ खयाल लिखने थे, जो लम्हे याद आए उनके एहसास लिखने थे, बातों ही बातों में तेरा जिक्र आया, आज कल जब मैं घर से ऑफिस निकलता हूं ना, तो मां वो तेरा स्कूल वाला लंच बॉक्स याद आया, ऑफिस से आने के बाद थकान जाती नहीं हैं, बस थक कर सो जाता हूं, बचपन की तरह सर रख सकूं तेरी गोद में, वो अंचल नज़र ना आया, जब भी तू दूध से छाछ बनाती थी, उसका जो मक्खन तूने मुझे खिलाया आज वो याद आया, ताजा हैं मेरे जहन में वो दूरियों से भरी यादें, तुझसे बात करके वो सिसक सिसक कर रोना आज याद आया, अक्सर जब उस स्टेशन तक छोड़ने आती थी तू मुझे, तुझे देख कर मुझे और मुझे देखकर तुझे, मां तेरा वो आसुओं से नम चेहरा याद आया, एक बात कहूं मां तुझसे, तुझसे दूर जाने पर दर्द मिला और तुझे पास पाकर सकूं आया...!! ©#Mr.India मां तेरे लिए कुछ खयाल लिखने थे, जो लम्हे याद आए उनके एहसास लिखने थे, बातों ही बातों में तेरा जिक्र आया, आज कल जब मैं घर से ऑफिस निकलता हूं न
#Mr.India
Yaminee Suryaja
फेसबुक दोस्त (अनुशीर्षक में पढ़ें यह छोटी सी कहानी) ©Yaminee Suryaja फेसबुक दोस्त भाग 1 क्या? ... मेरे नोट्स तुमने चुराए थे। जैसे तुम मांगती तो मैं तुम्हें देती ही नहीं। दुःख और गुस्से के मिश्रित भाव से मै
Abhi Panwar
मेरी छोटी छोटी चोटों पर मोटे-मोटे मोती लुटाती वो, मैं उसके चोटी के पीछे हूँ मैं उसके आंचल में छिपा हूँ और मैं ही हूँ वो जो हर दफा उलझ जाता उसकी लटों में, मैं मिलता हूँ उसके हर रूप से, मैं उसके हर रूप का कायल हूँ, होता उसी से मैं कामिल हूँ। उसमें शायद मैं कभी नज़र न आऊँ लेकिन वो हमेशा ही झलकेगी मुझमें, मेरी आँखो की चमक बनकर, मेरी हँसी की रौनक बनकर, मेरी बातों का जिक्र बनकर, वो कहीं न कहीं दिख ही जायेगी तुमको। क्योंकि वो है तो मैं हूँ। ---अनुशीर्षक में पढ़े--- ©Abhi Panwar वो है तो मैं हूँ उसमें शायद मैं कभी नज़र न आऊँ लेकिन वो हमेशा ही झलकेगी मुझमें मेरे कंघी किए बालो से लेकर, मेरे माथे में प्यार से हाथ फेरत
Unconditiona L💓ve😉
"ममता चित्र" { भाव "अनुशीर्षक" में महसूस कीजिये } .. आठ साल का वो मासूम बच्चा स्कूल से आया , खींचके अपनी टाई ढीली की बस्ता पटका और चिल्लाकर कहा.. "चल उठ माँ, चल मेरे साथ, मेरे स्कूल और जवा
अशेष_शून्य
ये गले लगना भी कितना जरूरी है न ?! ~©Anjali Rai — % & सुबह से सांझ तक सिर्फ सूरज माथे पर नहीं चलता एक गृहणी भी उसके साथ दौड़ लगाती है पौं फटने से पहले उठकर पूरा घर आंगन हथेलियों पर रख लेती
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
***. मेरा जादुई घर*** मैं,मेरी पत्नी और हमारे बच्चे,एक जादुई घर में रहते हैं....😀 हम अपने गंदे कपड़े उतार देते हैं,जिन्हें अगले दिन साफ कर दिया जाता है😀 हम स्कूल और ऑफिस से आते ही अपने जूते उतार देते हैं, फिर अगली सुबह हम साफ सुथरे पॉलिश वाले जूते पहनते हैं...😀 हर रात कूड़े की टोकरी कचरे से भरी होती है और अगली सुबह खाली हो जाती है.... 😀 मेरे जादुई घर में खेलते समय बच्चों के कपड़ों से बदबू आती है,लेकिन अगले ही पल वे साफ हो जाते हैं और उनके खेल उपकरण जल्दी से अपने बक्से में फिर से व्यवस्थित हो जाते हैं..... 😀 मेरे जादुई घर में हर दिन मेरे और मेरे बच्चों के लिए पसंदीदा खाना बनता है...🙏 मेरे जादुई घर में,आप सुन सकते हैं "माँ, मम्मी मम्मा" हर दिन लगभग सौ बार पुकारा जाता है ...😀 मम्मा नेल क्लिपर कहाँ है...❓ माँ, मेरा गृहकार्य पूरा करो...मम्मा, भाई मुझे पीट रहा है...😀 मम्मा,आज मेरा स्कूल लंच बॉक्स बनाना मत भूलना,माँ आज ही हलवा पूङी बनाओ.... 😀 माँ,मुझे आज चींटी नहीं मिल रही है,वह यहां रोज एक लाइन में चलती है माँ मेरे लिए एक सैंडविच बनाओ...मुझे भूख लगी है माँ मुझे वॉशरूम जाना है...😀 मम्मा,मुझे पहले भूख लगी थी... 😀 अभी नहीं रात को सोने से पहले जो आखिरी शब्द सुना वो है "माँ" और सबसे पहला शब्द सुना है "माँ" जब मैं सुबह अपने जादुई घर में उठता हूँ ...🙏 बेशक, इस जादुई घर की ओर अब तक कोई भी आकर्षित नहीं हुआ है,हालांकि सभी के पास यह जादुई घर है ... और शायद ही कभी किसी ने इस घर के "जादूगर" का धन्यवाद किया होगा... 😎 इन जादुई घरों का जादूगर कोई और नहीं बल्कि हर "पत्नी और मां" है। जो अपने ही घरों में करते हैं ऐसा जादू...👍 भगवान हर उस "पत्नी और मां" को आशीर्वाद दें,जिनके "धैर्य और अनंत कर्म" हर घर में समृद्धि लाते हैं... सभी माताओं, पत्नियों, बेटियों और बहनों को समर्पित🙏 ©Ankur Mishra #मेरा#जादुई#घर एक दिन एक लेखक की पत्नी ने उससे कहा कि तुम बहुत किताबें लिखते हो😀आज मेरे लिए कुछ लिखो तो फिर मुझे विश्वास होगा कि तुम सच में
Sachin Ken
बस नम्बर 708 आज भी रोज की तरह वैसे ही आयी थी,भीड़ से पूरी तरह भरी हुई वैसे अब तो आदत भी हो चली थी भीड़ से भरी बस में सफर करने की हालाकिं सफर त