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Ravendra
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ज़हर
ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर ©ज़हर #feelings #ज़हर ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर 0 Anshu writer hardik Mahajan Sharm
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
AJAY NAYAK
White जीवन में इतनी निश्चिंतता होनी चाहिए जिनपर विश्वास करें, उनसे फल की चाह में थोड़ा सा इंतज़ार करें ! –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ www.nayaksblog.com ©AJAY NAYAK #Dosti #Trust जीवन में इतनी निश्चिंतता होनी चाहिए जिनपर विश्वास करें, उनसे फल की चाह में थोड़ा सा इंतज़ार करें ! –अjay नायक ‘वशिष्ठ’
Rameshkumar Mehra Mehra
तु मेरी बो खुशी है.....! जो मै किसी को ना दूॅ..... ©Rameshkumar Mehra Mehra !# तू मेरी बो खुशी है,जो मै किसी को ना दूॅ......
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे दूर हों । जब शरण उनकी ठिकाना क्यों यहाँ मजबूर हों ।। आस जिसने भी लगाई वो न खाली हाथ है । जो न माने आज इनको वो बड़ा नादान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... राम के ही भक्त है वह राम का ही नाम लें । राम के वह नाम बिन देखो न कोई काम लें ।। राम का तू जाप कर ले राम ही आधार हैं । राम का ही नाम सुनकर खुश सदा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... काम इस संसार में कोई हुआ ऐसा नही । दूत दानव दैत्य जो सुन नाम हनु कांपा नही ।। व्यर्थ फिर चिंता तुम्हारी है सुनो संसार में । सब सफल ही काज होंगे जब कृपा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब... जानते हैं लोग भोलेनाथ के अवतार हैं । राम जी का काज करने को सदा तैयार हैं ।। इस जगत में भक्त इनसा सुन जगत में है नही । राम का ही नित्य करते ये सदा गुणगान हैं ।। डर नहीं इंसान तू अब .... डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। २३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा दो अर्ज़ मेरी भी। सुना हमने उसी दर से सभी पाते निवाले हैं ।।२ यही हमको निकालेंगे कभी बेटे बडे़ होकर । अभी जिनके लिए हमने यहाँ छोडे़ निवाले हैं ।।३ नहीं रोने दिया उनको पिया खुद आँख का पानी । दिखाते आँख अब वो हैं कि हम उनके हवाले हैं ।।४ किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५ यहाँ तुमसे भला सुंदर बताओ और क्या जग में । तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे शिवाले हैं ।।६ डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की । तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७ प्रखर भाता नहीं बर्गर उन्हें भाता नहीं पिज्जा । घरों में रोटियों के जिनके पड़ते रोज़ लाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा द