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manoj solanki boddhy
राम मंदिर आंदोलन में एक भी ब्राह्मण दंगों में या पुलिस की गोली से नही मारा गया. आप मारे गए, ओबीसी एससी एसटी मरे ! अछूतों ने हिन्दू बनकर क्या क्या नही सहा रामलला के लिए. पढ़ाई लिखाई छोड़कर, काम धंदा त्यागकर कारसेवक बनकर अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर सीने में गोली खाई ! ब्राह्मणों को सत्ता मिली, राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में पद प्राप्त हुआ. लेकिन ओबीसी एससी एसटी को मिला ? कोरोना बीमारी और आर्थिक महासंकट काल में कल ब्राह्मणों के समूह ने तय किया राममंदिर पहले से अधिक बड़ा और भव्य बनाया जाएगा ! निर्णय करने वाले ब्राह्मण पदाधिकारियों के नाम इस प्रकार हैं. 1)महंत नृत्य गोपाल दास - राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष 2)चंपत राय - महासचिव 3)गोविन्द देव गिरी 4)स्वामी परमानन्द 5)कामेश्वर चौपाल 6)डॉ अनिल मिश्रा 7)विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा 8)महंत दिनेन्द्र दास 9)अविनाश अवस्थी - अतिरिक्त चीफ सेक्रेटरी 10)अनुज झा - डीएम 11)कृष्ण गोपाल दास - आरएसएस प्रतिनिधि 12)नृपेंद्र मिश्रा - राम जन्मभूमि निर्माण अध्यक्ष 13)के के शर्मा - मंदिर सुरक्षा परिसर सलाहकार 14)कमल नयन दास 15)जगतगुरु वासुदेवानंद सरस्वती 16)स्वामी विष्णु प्रसंतीर्थ महाराज 17)के परासरन इन नामो में कोई यादव, पटेल, मौर्य, तेली, रजक, जाटव, पासवान सरनेम नही मिलेगा. जिन्हें हिन्दू होने का गुमान रहता है. ओबीसी एससी एसटी को हिन्दू कहा जाता है तो इन्हें क्यों नही राममंदिर निर्माण ट्रस्ट में शामिल किया गया. आबादी के लिहाज से 85% पद इसी वर्ग के पास होना चाहिए था और बाकी 15% ब्राह्मण ठाकुरों के पास ! ओबीसी एससी एसटी हिन्दू धर्म में बंधुआ मजदूर हैं. सांप्रदायिक हिंसा और वोट की खातिर ब्राह्मणों ने हिन्दू बनाया है ! kranti kumar #leaf राम मंदिर आंदोलन में एक भी ब्राह्मण दंगों में या पुलिस की गोली से नही मारा गया. आप मारे गए, ओबीसी एससी एसटी मरे ! अछूतों ने हिन्दू ब
डर को समाप्त करने का एकमात्र उपाय है, निडर होकर उसका सामना करना। © गोपाल दास
कोई ऐसी सेवा सोपों मुझे मेरे गुरुदेव जिसको मैं निभा सकूं हर मोड़ पर मिले आप और मैं सिर झुका सकूं © गोपाल दास
Dharmendra singh
समय ने जब भी अंधेरों से दोस्ती की है जलाकर अपना ही घर हमने रोशनी की है। सबूत है मेरे घर में धुएँ के धब्बे कभी यहां उजालों ने खुदकुशी की है । न लड़खड़ा कभी ,कभी न बहका हूं पिलाने में फिर तुमने क्यों कमी की है । गोपालदास नीरज के पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन। ©Dharmendra singh गोपाल दास नीरज
Death_Lover
भज मन! चरण-कँवल अविनाशी। जेताई दीसै धरनि गगन विच, तेता सब उठ जासी।। इस देहि का गरब ना करणा, माटी में मिल जासी।। यों संसार चहर की बाजी, साझ पड्या उठ जासी।। कहा भयो हैं भगवा पहरया, घर तज भये सन्यासी। जोगी होई जुगति नहि जांनि, उलटी जन्म फिर आसी।। अरज करू अबला कर जोरे, स्याम! तुम्हारी दासी। मीराँ के प्रभु गिरधर नागर! काटो जम की फांसी।। अर्थ मीराबाई इस पद में कहती हैं कि हे मन तू कभी नष्ट ना होने वाले भगवान् के चरणों में ध्यान धरा कर। तुझे इस धरती और आसमान के बीच जो कुछ दिखाई दे रहा हैं। इसका अंत एक दिन निश्चित हैं। यह जो तुम्हारा शरीर हैं इस पर बेकार में ही घमंड कर रहे हो, यह भी एक दिन मिटटी के साथ मिल जाएगा। यह संसार चौसर के खेल की तरह हैं। बाजी शाम को खत्म हो जाती हैं।उसी प्रकार यह संसार नष्ट होने वाला हैं। भगवान् को प्राप्त करने के लिए भगवा वस्त्र धारण करना काफी नही हैं। इसके साथ ही मीरा ने इस पद के माध्यम से लोगों को यह भी बताने की कोशिश की है कि – सन्यासी बनने से न ही ईश्वर मिलता हैं, न जीवन मरण के इस चक्कर से मुक्ति मिल पाती है। इसलिए अगर ईश्वर को प्राप्त करने की युक्ति नहीं अपनाई तो इस संसार में फिर से जन्म लेना पड़ेगा। वहीं मीराबाई ने अपने प्रभु से हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा है कि – मै तुम्हारी दासी हूं, कृपया मुझे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलवाओ। (मेरे राम) ©Himanshu Tomar #मेरे_राम #मीराबाई #मन #भगवा #सन्यासी #महंत #दास