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Heer
छबि देख भई मीरा दीवानी, ज़हर का प्याला पी गई बावरी। ©Heer #प्रेम #मीराबाई #कृष्णमेरे #hunarbaaz
kalm e shrawan
मीरा फिर पुकार रही मथुरा के मथुराधीश को द्वारका के द्वारकाधीश को गोपियों के दुलारे बृजबाला को गोकुल के नंदलाला को। ©kalm e shrawan #मीरा #मीराबाई #पवित्र #पवित्रविचार
Osho Jain
मीरा बाई रो प्रेम जगत प्रख्यात हैं ना इच्छा ना उम्मीद बस कृष्ण भाव में लीन। #YQRajasthani #Collab #CollabKakasa #मीरा_जयंती #मीराबाई #शरदपूर्णिमा #राजस्थानी_भासा_म्हारो_स्वाभिमान
Kanchan Singla
कृष्ण मेरी आत्मा हैं मैं करती हूं पुकार उनसे सुन लो कृष्णा हमारी हमें दर्श दिखा दो बस यही एक छोटी सी अर्जी हमारी ।। ©Kanchan Singla #कृष्णा #राधे_कृष्णा #राधेश्याम #मीराबाई
नरेश होशियारपुरी
न कुछ पाने की चाहत, न दूर जाने का डर।। बस जाओ इस दिल मे कान्हा, ये जीवन जाएगा संवर।। हम तुम्हें पा लें इतनी हम में शक्ति कहां .. राधे हम तेरे हो जाए काफी है .. ..कान्हा... #कान्हा ...हम में इतनी शक्ति कहां जो हम तुम्हें पा ले 🙏 #कान्हा_की_दीवानी है हम तो बस #राधे_राधे ....जी सबको 🙏 #राधे_कृष्णा ...... जैसा प्रेम कहां 🙏 #मीरा_के_श्याम ..... बस मीरा के हैं 🙏
KRUNAL JADAV
भक्ति की नई ऋत लाई, नाम था उनका मीराबाई; भक्तिरस जीवन में लाना, कृष्णमयी जीवन हो जाना; उन्हें नहीं था कोई कहर, प्रसाद की भाती पिया जहर; श्रद्धा का दीप ऐसा जलाया, भक्ति से पूरा जग उजलाया; प्रभु को ही सर्वस्व जाना, मन में सदा बसे कान्हा. पायो जी मैंने प्रेम रतन धन पायो। मीराबाई की यह संभवतः 520वीं जयंती है। 1498-1547 मीराबाई का जन्म राजस्थान के मेड़ता में हुआ था। भक्ति काव्य में मीरा का स्थान अद्वितीय है। उनकी कविताओं में एक विरही की पीड़ा है। इस के साथ आम जनजीवन का चित्रण और उस समय की विसंगतियों को बख़ूबी चित्रित किया है।
Suman Rakesh Shah
म्हने जो मिलियो वो कोई बता नही सके मोल बिरो। कोई लगा नही सके छुपाणो चाहूं भी तो छुपा ना सकूं दिखाणो चाहूं भी तो दिखा ना सकूं छलके है जो रोम रोम सूं म्हारे कोई बटोरनो चाहकर भी बटोर ना सकयो जग से जरा अळग रीत है बीरी जाणो नही तो है बेमोळ जाण ल्यो तो है अनमोळ पायो जी म्है तो राम रतन धन पायो। । सुमन खम्मा घणी सा 🙏 आज मीरा जयंती रो अती पावण तिंवार है, मीरा बाईसा रो जन्म संवत् 1573 मांय जोधाणा रे कुड़की नामक गाँव मांय हुयो अर उनरो ब्याव उदयपुर रे महाराणा कुमार भोजराज जी रे सागे हुयो हो। मीरा बाईसा भक्ति काळ री सबसूं महान कवयित्री मानी जावे है जिनोने श्री कृष्ण भगवान री भक्ति मांय अपणो सारो जीवण व्यतित कियो। " राणा भेज्यौ सांप पीटारी, शालिग्राम बणे बनवारी " " मीरा थी ऐसी मतवाली विष पि गयी बजा कर ताली " कृष्ण भक्त मीरा ने मारबा वास्ते घणे प्रयास किये गये पण हर बारी श्री मुरली मनोहर श्री कृष्ण
Suman Rakesh Shah
मैंने जो पाया, कोई बयां कर न पाया मोल उसका कोई लगा न पाया छुपाना चाहकर भी छुपा न पाऊँ, दिखाना चाहकर भी दिखा न पाऊँ छलकता है रोम रोम से मेरे जो कोई बटोरना चाहकर भी बटोर न पाया, जग से जरा अलग रीत है उसकी न जानो तो कोई मोल नही, जान लो तो है अनमोल पायोजी मैंने राम रत्न धन पायो... सुमन"रूहानी" पायो जी मैंने प्रेम रतन धन पायो। मीराबाई की यह संभवतः 520वीं जयंती है। 1498-1547 मीराबाई का जन्म राजस्थान के मेड़ता में हुआ था। भक्ति काव्य में मीरा का स्थान अद्वितीय है। उनकी कविताओं में एक विरही की पीड़ा है। इस के साथ आम जनजीवन का चित्रण और उस समय की विसंगतियों को बख़ूबी चित्रित किया है।
Rajnish Shrivastava
पायो जी मैने तुम संग सब सुख पायो एक तुम्हारी खातिर मैने सब का संग ठुकरायो तुम न समझो चाहे मगर हमको समझ सब आयो जीवन तुम बिन हमसे गुजारा नही जायो पायो जी मैंने प्रेम रतन धन पायो। मीराबाई की यह संभवतः 520वीं जयंती है। 1498-1547 मीराबाई का जन्म राजस्थान के मेड़ता में हुआ था। भक्ति काव्य में मीरा का स्थान अद्वितीय है। उनकी कविताओं में एक विरही की पीड़ा है। इस के साथ आम जनजीवन का चित्रण और उस समय की विसंगतियों को बख़ूबी चित्रित किया है।