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||स्वयं लेखन||

सुनो! तुम्हें अपने श्रृंगार का हिस्सा बनाना है, तुम्हारे नाम का सिंदूर लगाकर, तुम्हें सदा अपने माथे पर सजाना है। Love #Life_experience L #thought #लव

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सुनो!

तुम्हें अपने श्रृंगार का हिस्सा बनाना है,

तुम्हारे नाम का सिंदूर लगाकर,
तुम्हें सदा अपने माथे पर सजाना है।

©||स्वयं लेखन|| सुनो!

तुम्हें अपने श्रृंगार का हिस्सा बनाना है,

तुम्हारे नाम का सिंदूर लगाकर,
तुम्हें सदा अपने माथे पर सजाना है।
#Love #Life_experience #L

Anuradha T Gautam 6280

स्त्री जो इश्क में रही हमेशा अधूरी ही रही क्योंकि प्रेमिकाओं को सिंदूर नसीब नहीं होता और पत्नियों को पहला गुलाब..🖊️ #शायरी #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️

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Anjali Singhal

"प्यार की थाप बज चुकी, गीत रुनझुन सा बजना है; मुझे तेरी बाहों में रहना है। प्यासे तन-मन-जीवन को, रंग में तेरे रँगना है; मुझे तेरी बाहों में #Poetry #EXPLORE #AnjaliSinghal

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अज्ञात

pradeep kumar

आके तेरी बाहों में हर शाम लगे सिंदूरी #गोपाल_साधु #bestshortvideo #लव

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Ankur tiwari

#love_shayari ना करना हैं तार तार ना बिगाड़ने का इरादा है मुझे तो तुझे दुल्हन सा संवारने के इरादा हैं तेरे हाथों में मेहंदी मेरे नाम की ल #Poetry

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शिवम् सिंह भूमि

Love तुम्हारे माथे पर सिंदूर डालने का हक सिर्फ हमारा होगा😍😍🖋️🖋️🖋️🖋️ #hunarbaaz

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rudra Sanju gehlot

चुन तो लिया है मेने तुमको अब बस सिंदूर बाकी है ✍️✍️ #Shayari

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल:- तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं । क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१ थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला । प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं । #शायरी

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White ग़ज़ल:-
तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं ।
क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१
थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला ।
प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।।२
साथ चलना तुम्हारे अलग बात है ।
साथ पर अजनबी का निभाती नहीं ।।३
जिनसे रिश्ता जुड़ा है यहाँ प्यार का ।
देख उनको कभी मैं रुलाती नहीं ।।४
प्रेम उनका करें कैसे जाहिर यहाँ ।
माँग सिंदूर क्या मैं सजाती नहीं ।।५
दौड़ आयेगा वो  एक आवाज़ में ।
पर उसे भी कभी मैं बुलाती नहीं ।।६
प्यार का सोचकर आज अंज़ाम मैं ।
कोई रिश्ता भी देखो बनाती नहीं ।।७
है सड़क पर बहुत आज मजनूं पड़े ।
मैं नज़र यार उनसे मिलाती नहीं ।।८
भूल तुमसे हुई है जताकर वफ़ा ।
जा प्रखर केश तुझ पर लगाती नहीं ।।९


०६/०४/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:-
तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं ।
क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१
थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला ।
प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।
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