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Chetan
जिंदगी के इस मकान में बस कुछ जर्जर सी दिवारे हैं , आखों ने कुछ सपने देखे थे अब तो बस वही हमारे हैं ! मन में ये दूरियां कैसी ,जैसे समंदर के दो किनारे हैं कभी जो दुख लगते थे पराए , अब तो बस वही सहारे हैं ! कुछ खुशियां रह गई धुंधली सी ,जैसे बस गमों की बहारे हैं थम सा गया हो वक्त जैसे , रह गए कुछ बंजर से नजारे हैं ! शहर में खो से गए हैं अपने , बस बीते लम्हों की कतारे हैं , आखों ने कुछ सपने देखे थे ,अब तो बस वही हमारे हैं !! (C. J. ) ©Chetan गावों में राह तकती कुछ धुंधली सी नजरे...
गावों में राह तकती कुछ धुंधली सी नजरे... #कविता
read moreIndian Farmers/motivation
#FarmersLife जीवन जीने का मजा तो गावों में ही आता है।/A To Z amazing videos #समाज
read moreDr Om Saa
यहां खूबसूरती तो हर एक चेहरे पर है पर चप्पल नही है पावों में, साहब...छोड़कर शहरों की मजबूरियां कभी घूमने आओ हमारे गावों में..!! #YourQuoteAndMine Collaborating with Singh Saab पधारो कभी हमारे गावों में...🙏 #yqbaba #yqdidi #hindiquotes #village #city #hindiwriters #
#YourQuoteAndMine Collaborating with Singh Saab पधारो कभी हमारे गावों में...🙏 #yqbaba #yqdidi #hindiquotes #village #City #hindiwriters # #kalwasaab
read moreओमेन्द्र ठाकुर
आजकल गावों में नीम के पेड़ कम हो गए हैं । इसलिए घरों में कड़वाहट बढ़ती जा रही हैं ॥ जुबान में मिठास कम हो रही हैं । लेकिन शरीर में शुगर बढ़
आजकल गावों में नीम के पेड़ कम हो गए हैं । इसलिए घरों में कड़वाहट बढ़ती जा रही हैं ॥ जुबान में मिठास कम हो रही हैं । लेकिन शरीर में शुगर बढ़ #nojotophoto
read moreसाहस
कोई तो जानता है,कोई मानता भले नहीं। जिस गाय से शहर की गलियां दूध से नहाई, उस गाय को गांवों में छूटने के बाद कोई पालता नहीं।। हर कोई जानता है मगर मानता नहीं जिस गाय ने गावों को शहर में बदल दिया उस गाय को शहरों में कोई पालता नहीं।। और सुबह उठते ही दूध भावे बेटों ने
हर कोई जानता है मगर मानता नहीं जिस गाय ने गावों को शहर में बदल दिया उस गाय को शहरों में कोई पालता नहीं।। और सुबह उठते ही दूध भावे बेटों ने #YourQuoteAndMine #देशी_छोरो #deshilifestyle
read moreअवधराम गुरु
जब देवलोक से सुख की देवी- नर्तन करने पृथ्वी पर आ जाएगी, जब आसमान के सूने मस्तक पर- उल्लासों की लाली सी छा जाएगी! जब ढोलक की थापों की
जब देवलोक से सुख की देवी- नर्तन करने पृथ्वी पर आ जाएगी, जब आसमान के सूने मस्तक पर- उल्लासों की लाली सी छा जाएगी! जब ढोलक की थापों की #कविता #nojotophoto
read moreRakesh frnds4ever
दूर दूर तक ले जाते हुए भी कितनी पास रहती है गंतव्य पर पहुंचा ही देने की आस रहती है,, कभी कन्द्राओ से कभी रेगिस्तानों से,, पर्वत पठारों से, घाटी मैदानों से शहर ओर गावों से , सभी जगहों से गुजरती हुई जब सरपट दौड़ती है तो ,, एक मधुर संगीत में कानों को घर के एहसास का सुकून देती जाति है,,..... ©Rakesh frnds4ever #Train #दूर दूर तक ले जाते हुए भी कितनी पास रहती है #गंतव्य पर पहुंचा ही देने की आस रहती है,, कभी #कन्द्राओ से कभी #रेगिस्तानों से,, #पर्
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल.... जो मुझमे थे सदा समाहित, वो संस्कार हमारे । लेकिन इस युग में है देखा , होते वारे न्यारे ।। अब कहाँ ज्ञान दादा-दादी से , पोता वो ले पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल .... ट्रेड ट्रेड में बदल गई है , देखो दुनिया सारी । अब तो सब ही माँग रहे हैं , पुस्तक हो व्यापारी ।। काल खण्ड़ की वो बातें अब , कौन यहाँ सुन पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल .... हानि-लाभ की बातें करते, देखो छोटे बच्चे । इसी आयु में हम आप कभी , थे तो दिल के सच्चे ।। लेकिन दुनिया बदल रही है , गौर न तू कर पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में .... आज पुनः जीवित हो जाये , वो संस्कार हमारे । उठना सोना खाना पीना , वो व्यवहार हमारे ।। जिसे देख जीवन मेरा यह ,धन्य पुनः हो जाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल ...। तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। २७/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल....
सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल.... #कविता
read morelalitha sai
चारमीनार सुनते ही याद आता है.. रंग भी रंग चूड़ियाँ.. और असली खास मोतिया..! चारमीनार सुनते ही याद आता है.. ईद की खरीदारी.. और बहुत सारा ख़ुशी की मोहोल! #goodwalimorning #lalithasai #myworld ईद और चारमीनार. बहुत खूबसूरत...लगता था... राष्ट्र के कहीं शहरों से गावों से.. यहाँ सिर्फ ईद की खरीदार
#goodwalimorning #lalithasai #myworld ईद और चारमीनार. बहुत खूबसूरत...लगता था... राष्ट्र के कहीं शहरों से गावों से.. यहाँ सिर्फ ईद की खरीदार
read moreKavi Pawan Kumar Sharma kautliya
पानी रे पानी बांध भर गए सारे , अतिवृष्ठि के मारे पहाड़ खिसके , पुल टूटे , रोड खुदे सारे बारिश से परेशान है आधा हिदुस्थान नदियों का विकराल रूप देख डरा इंसान सभी शहर , गावों,कस्बों आदमी परेशान पहाड़ों पर बादल फटने से आया तूफान जलमग्न हो गए घर , अस्पताल , खेत खलिहान प्रकृति में मानव के हस्तक्षेप का है परिणाम करो प्रकृति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण , बनाओ प्रदूषण मुक्त वातावरण तब ही हम सभी सुखी रह पाएंगे वरना कही अतिवृष्टि, कही अनावृष्ठि , तो कही पहाड़ खिसकने, कही तूफान की भेट चढ़ जायेंगे । हे इन्द्रदेव ,हो रही बारिश को कम करवाओ सारी आबादी परेशान है इन्हे बचाओ इन्हे बचाओ कवि कौटिल्य ©Kavi Pawan Kumar Sharma kautliya बांध भर गए सारे , अतिवृष्ठि के मारे पहाड़ खिसके , पुल टूटे , रोड खुदे सारे बारिश से परेशान है आधा हिदुस्थान नदियों का विकराल रूप देख डरा