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Guruwanshu

तुम जो कह नहीं पाते, वो लिख देते हो, जो लिख नही पाते, उसे Reel भेज कर बताते हो..! और ! अब जो बता भी नही सकते, मुझे वो समझना है। क्यों! सही #yqbaba #yqdidi #guruwanshu #किसनेकहा

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तुम जो कह नहीं पाते, वो लिख देते हो,
जो लिख नही पाते, उसे Reel भेज कर
बताते हो..!
और ! अब जो बता भी नही सकते,
मुझे वो समझना है। तुम जो कह नहीं पाते, वो लिख देते हो,
जो लिख नही पाते, उसे Reel भेज कर
बताते हो..!
और ! अब जो बता भी नही सकते,
मुझे वो समझना है।

क्यों! सही

Number 1 Gk

भारत की झीलों की नगरी किसे कहते.. #Knowledge

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Prabhakar Tripathi 'Parinda'

#भोपाल की बारिश... #शायरी

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भोपाल की बारिश पे अर्ज किया
 है-
गिरा दे जैसा पानी है, तेरे पास ए बादल
यह प्यास  है दिल की
उनके इश्क से बुझेगी, तेरे बरसने से नही। #भोपाल की बारिश...

Arjun Rawat

भोपाल मध्यप्रदेश की सफर #Life

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vista

#भोले_बाबा की नगरी #विचार

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बहुत खुब है ये मौसमों की रंगत कभी सुखा सुखा कभी पानी ही पानी और कभी हरियाली। अरे पगले यही तो है भोले की नगरी सारी , जो बनाती हमे भाग्यशाली ।। #भोले_बाबा की नगरी

CK JOHNY

द्वैत की नगरी

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ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 
जन्म-मरण दुख-सुख मित्र-वैरी 
अपने-बेगाने के यहाँ अजब नजारे। 
दोनों हाथों में लड्डू चाहता है हर कोई
माया और राम में हर किसी को दुविधा रे। 
अपना मन ही पग-पग छलता है जहाँ
मझधार में डूबे सब पहुँचा न कोई किनारे। 
भजन-सिमरन की पतवार बना प्राणी
सत्संग-सेवा में लग सुधार जिंदगानी। 
दुई का चक्कर मिटेगा सतगुरु के सहारे। 
सतगुरु  दया-मेहर से लग जाओगे किनारे। 

ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
10.07.2020 द्वैत की नगरी

Anuj Pal

#भोले की नगरी #ज़िन्दगी

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CK JOHNY

द्वैत की नगरी

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ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 
जन्म-मरण दुख-सुख मित्र-वैरी 
अपने-बेगाने के यहाँ अजब नजारे। 
दोनों हाथों में लड्डू चाहता है हर कोई
माया और राम में हर किसी को दुविधा रे। 
अपना मन ही पग-पग छलता है जहाँ
मझधार में डूबे सब पहुँचा न कोई किनारे। 
भजन-सिमरन की पतवार बना प्राणी
सत्संग-सेवा में लग सुधार जिंदगानी। 
दुई का चक्कर मिटेगा सतगुरु के सहारे। 
सतगुरु  दया-मेहर से लग जाओगे किनारे। 

ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़  द्वैत की नगरी

Paramjit Singh landran

प्रेम की नगरी #लव

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CK JOHNY

द्वैत की नगरी

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ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 
जन्म-मरण दुख-सुख मित्र-वैरी 
अपने-बेगाने के यहाँ अजब नजारे। 
दोनों हाथों में लड्डू चाहता है हर कोई
माया और राम में हर किसी को दुविधा रे। 
अपना मन ही पग-पग छलता है जहाँ
मझधार में डूबे सब पहुँचा न कोई किनारे। 
भजन-सिमरन की पतवार बना प्राणी
सत्संग-सेवा में लग सुधार जिंदगानी। 
दुई का चक्कर मिटेगा सतगुरु के सहारे। 
सतगुरु  दया-मेहर से लग जाओगे किनारे। 

ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
10.07.2020 द्वैत की नगरी
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