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pravin Barawkar
कोणाला किती जीव लावा पण त्याला आपल्यापेक्षा बेटर ऑप्शन मिळाला तर तो आपल्याला सोडून जातोच #प्रविण सुतार
@Devidkurre
.. हत्यायें होती है आंखों के सामने हर एक के हर एक दिन... बस हम मान लेते है, हर एक हत्या को मृत्यु..!! #डेविड ©Devid Devid हत्यारे कौन
Ghanshyam Malawat
जिसकी हत्या हुई उसको चाहने वाले सजा से संतुष्ट हो जाए #NojotoQuote हत्यारे को सजा कैसी
Aniket sagar
🤔कधी बापाचं दुसरं रूप पाहिलंय?🤔 कधी बापाचं दुसरं रूप पाहिलंय? चिडतो, ओरडतो, चिडचिड करतो मुलांचं लवकर कौतुक ही नाही करत पण कधी त्यांच्या मनात काय चाललंय हे कधी कुणी जाणून घेतलंय? कधी बापाचं दुसरं रूप पाहिलंय? स्वतः नाही खाणार पण मुलांना खाऊ घालतो स्वतःला काही नाही घेणार पण मुलांना आणतो बालपणी बोट पकडून चालायला शिकवतो खांद्यावर बसवून अख्खं जग तो दाखवतो मुलांना हसवण्याचा सतत प्रयत्न करतो कधी त्याला मनात रडतांना पाहिलंय? नाही ना! मुलांना कधीच तो आपलं दुःख सांगत नाही सुख देतो सदा कधी दुःख त्याचं मांडत नाही किती हळवा आहे आतून हे कधी जाणवतंय कधी हळव्या बापाचं दुसरं रूप पाहिलंय? एकदा बसा बोला जाणून घ्या किती प्रेम आहे त्याच्या काळजात प्रेम करत नाही तो नका असं समजू खूप काही दडलेलं असतं त्याच्या मनात... ©कवी अनिकेत मशिदकर #MarathiKavita #premkavita #lovepoetry #Sunrise Pandit Nimbalkàr यश सोनार Harishchandra R. Dhiwar कवी-श्रीशैल सुतार DISHAASHIRWAD officia
Mohd Akhtar Razaa
2 Years of Nojoto जन-गण-मन ये पूछ रहा है दिल्ली की दीवारों से कब तक हम गोली खायें सरकारी पहरेदारों से सिंहासन खुद ही शामिल है अब तो गुंडागर्दी में संविधान के हत्यारे हैं अब सरकारी वर्दी में जन-गण-मन ये पूछ रहा है दिल्ली की दीवारों से कब तक हम गोली खायें सरकारी पहरेदारों से सिंहासन खुद ही शामिल है अब तो गुंडागर्दी में संविधान के
अंदाज़ ए बयाँ...
गोरों से छिनी आज़ादी, काले दिल के ग़ुलाम रहे, ये धर्मों के सौदागर, करते क़त्ले आम रहे। मासूमों के हत्यारे जा बैठे हैं अब तख़्तों पर, इज़्ज़त ख़ुदकी लुटाके मुफ़लिस झूले हैं दरख़्तों पर। किसकी है ये स्वतंत्रता, कौन यहाँ स्वतंत्र है, ज़ातपात बाज़ार है, समानता षड्यंत्र है। रविकुमार गोरों से छिनी आज़ादी, काले दिल के ग़ुलाम रहे, ये धर्मों के सौदागर, करते क़त्ले आम रहे। मासूमों के हत्यारे जा बैठे हैं अब तख़्तों पर, इज़्ज़त ख़ुदकी
अंदाज़ ए बयाँ...
गोरों से छिनी आज़ादी, काले दिल के ग़ुलाम रहे, ये धर्मों के सौदागर, करते क़त्ले आम रहे। मासूमों के हत्यारे जा बैठे हैं अब तख़्तों पर, इज़्ज़त ख़ुदकी लुटाके मुफ़लिस झूले हैं दरख़्तों पर। किसकी है ये स्वतंत्रता, कौन यहाँ स्वतंत्र है, ज़ातपात बाज़ार है, समानता षड्यंत्र है। रविकुमार गोरों से छिनी आज़ादी, काले दिल के ग़ुलाम रहे, ये धर्मों के सौदागर, करते क़त्ले आम रहे। मासूमों के हत्यारे जा बैठे हैं अब तख़्तों पर, इज़्ज़त ख़ुदकी
Ankur Grover
25 दिसम्बर ©Ankur Grover जोरावर जोर से बोला, फतेह सिंह शेर सा बोला रखो ईंटे भरो गारे, चुनों दीवार हत्यारे निकलती साँस बोलेगी, हमारी लाश बोलेगी यही दीवार बोलेगी, हजार