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Arora PR
White कैसी काशी कैसी मथुरा कैसा वृंदावन जगत के ईश्वर क़ो तो कंण कंण में व्याप्त होकर पड़ता हैं बूँदबून्द कर पूरा बादल बन कर बरसता हैं खून पसीने की बूंदो से.तो जीवन सर्जित करना पड़ता हैं ©Arora PR कैसी कशी कैसी मथुरा.....i
jayram Kumar
जरूरी नहीं सब लोग आपको समझ पाए तराजू सिर्फ वजन बताता है क्वालिटी नहीं ©jayram Kumar #हर किसी का दर्द समझा करो बिना बजे किसी का दर्द नहीं दुखता है
Supriya
“जिस चीज में आपका Interest हैं उसे करने का कोई टाईम फिक्स नही होता. चाहे रात के 1 ही क्यों न बजे हो.” ©Raj Veer #bicycleride “जिस चीज में आपका Interest हैं उसे करने का कोई टाईम फिक्स नही होता. चाहे रात के 1 ही क्यों न बजे हो.”
RJ SHALINI SINGH
Anjali Singhal
Rita rajpreet
एक बज गया, लेकिन लौटने का मन नहीं होता, क्योंकि आगे और-और सुंदर भूमि आती चली जाती है। मगर फिर लौटना ही पड़ा; दो बजे तक लो लौटा। अब घबड़ाया। सारी ताकत लगाई; लेकिन ताकत तो चुकने के करीब आ गई थी। सुबह से दौड़ रहा था, हाँफ रहा था, घबरा रहा था कि पहुँच पाऊँगा सूरज डूबते तक 😄😄😁😆कि नहीं। सारी ताकत लगा दी। पागल होकर दौड़ा। सब दाँव पर लगा दिया। और सूरज डूबने लगा...। ज्या😀😀😀दा दूरी भी नहीं रह गई है, लोग दिखाई पड़ने लगे। गाँव के लोग खड़े हैं और आवाज दे रहे हैं कि आ जाओ, आ जाओ! उत्🥺🥺🥺साह दे रहे हैं, भागे आओ! अजीब सीधे-सादे लोग हैं- सोचने लगा मन में; इनको तो सोचना चाहिए कि मैं मर ही जाऊँ, तो इनको धन भी मिल जाए और जमीन भी न जाए। मगर वे बड़ा उत्साह दे रहे हैं कि भागे आओ! 😍😍😍 उसने आखिरी दम लगा दी- भागा, भागा...। सूरज डूबने लगा; इधर सूरज डूब रहा है, उधर भाग रहा है...। सूरज डूबते-डूबते बस जाकर गिर पड़ा। कुछ पाँच-सात गज की दूरी रह गई है; घिसटने लगा। अभी सूरज की आखिरी कोर क्षितिज पर रह गई- घिसटने लगा। और जब उसका हाथ उस जमीन के टुकड़े पर पहुँचा, जहाँ से भागा था, उस खूँटी पर, सूरज डूब गया। वहाँ सूरज डूबा, यहाँ यह आदमी भी मर गया। इतनी मेहनत कर ली! 💔💔💔💔💔शायद हृदय कर दौरा पड़ गया। और सारे गाँव के सीधे-सादे लोग जिनको वह समझाता था, हँसने लगे और एक-दूसरे से बात करने लगे! 😂😂 ये पागल आदमी आते ही जाते हैं! इस तरह के पागल लोग आते ही रहते हैं! यह कोई नई घटना न थी, अक्सर लोग आ जाते थे खबरें सुनकर, और इसी तरह मरते थे। यह कोई अपवाद नहीं था, यही नियम था। अब तक ऐसा एक भी आदमी नहीं आया था, जो घेरकर जमीन का मालिक बन पाया हो। यह कहानी तुम्हारी कहानी है, तुम्हारी 🥺🥺🥺🥺जिंदगी की कहानी है, सबकी 😂😆जिंदगी की कहानी है। यही तो तुम कर रहे हो- दौड़ रहे हो कि कितनी जमीन घेर लें! बारह भी बज जाते हैं, दोपहर भी आ जाती है, लौटने का भी समय होने लगता है- मगर थोड़ा ♥️♥️♥️♥️और दौड़ लें! न भूख की फिक्र है, न प्😆😆यास की फिक्र है। जीने का समय कहाँ है? पहले जमीन घेर लें, पहले जितोड़ी भर लें, पहले बैंक में रुपया इकट्ठा हो जाए; फिर जी लेंगे, 🥰🥰🥰🥰फिर बाद में जी लेंगे, एक ही☺️☺️☺️ दिन का तो मामला है। और 🥺🥺🥺कभी कोई नहीं जी पाता। गरीब मर जाते हैं भूखे, अमीर मर जाते हैं भूखे, कभी कोई नहीं जी पाता। जीने के लिए थोड़ी विश्रांति चाहिए। जीने के लिए थोड़ी समझ चाहिए। जीवन मुफ्त नहीं मिलता- बोध चाहिए।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💔♥️ ©Rita rajpreet आती चली जाती है। मगर फिर लौटना ही पड़ा; दो बजे तक लो लौटा। अब घबड़ाया। सारी ताकत लगाई; लेकिन ताकत तो चुकने के करीब आ गई थी। सुबह से दौड़ रहा थ
Neelam Modanwal
Sangeeta Kalbhor
प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थरथरले काळीज दाटून नयनात अश्रूतून झुरझूरले काय चुकले माझे की मी माझेपण अर्पिले पाषाण ह्रदयी असणाऱ्याला शेंदुराने सजविले घाव बसता घावावर हाक तरी निघावी कशी निपचित पडून वेडे सत्त्व घेत असे वामकुक्षी ह्रदया तुझ्या कारणे मी काय काय सोसले शब्द आग ओकताना रे कुठले देऊ दाखले एक बरे जाहले मला वेडीला प्रेम रे घावले काळजाला काजळवणारे प्रेम मी रे जाणले..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #outofsight प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थर