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MSA RAMZANI
इस दिल को तेरे प्यार का अरमान बहुत है जीने के लिए बस यही सामान बहुत है। आखों में लहू बनके न बह जाये कलेजा सीने में मेरे दर्द का तूफान बहुत है। अब शक्ल भी अपनी हमे अपनी नहीं लगती आईना कई रोज से हैरान बहुत है। तुम कैसे मसीहा हो दवा क्यों नहीं देते मुश्किल में मेरी जान, मेरी जान बहुत है। अब जींस यहां कोई भी अरजा नहीं भाई अरजा है मगर कोई तो इंसान बहुत है। वह जब भी मिला मुझते मुहब्बत से मिला है उस शख्स का मुझ पर एहसान बहुत है। देखो तो कभी आके मेरा घर भी रमजानी इस दिल की तरह बे सरोसामान बहुत है। 7/10/15 ©MSA RAMZANI Ghazal Tushar Yadav Anupriya
Ghazal Tushar Yadav Anupriya
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इस नदी की धार में ठण्डी हवा आती तो है नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है एक चिंगारी कहीं से ढूंढ लाओ दोस्तो इस दिये में तेल से भीगी हुई बाती तो है एक खण्डहर के दिल सी एक जंगली फूल सी आदमी की पीर गूंगी ही सही गाती तो है एक चादर सांझ ने सारे नगर पर डाल दी यह अन्धेरे की सडक उस ओर जाती तो है ताबीर के मैदान में लेटी हुई है जो नदी पत्थरो से ओट में जा जा के बतियाती तो है देख नहीं कोई कि काममाबियों के नाम पर और कुछ हो न हो रमजानी आसमां सी छाती तो है 25/9/15 ©MSA RAMZANI गजल #गजल #gazal Deepika, Pandey Tushar Yadav Raj hasan Deepika, Pandey Anupriya Tushar Yadav
MSA RAMZANI
तुम मेरे प्यार का कोई हिसाब मत करना जो मैं खो जाऊं तो मुझको तलाश मत करना गरीब मां की भी अजमत को तुम न पाओगे खरीद कर बताओ माँ कहां से लाओगे 27/3/15 ©MSA RAMZANI #maa #Mother Raj hasan Harsh gupta Anupriya Tushar Yadav
MSA RAMZANI
हिंदू हैं, न मुस्लिम हम तो हैं भारतवासी। बरसों पहले छोड़ दी हमने अंग्रेजों की गुलामी, अब है भ्रष्टाचार को देश से खदेड़ने की बारी। ©MSA RAMZANI #RepublicDay Harsh gupta Tushar Yadav Anupriya Lakshmi singh
#RepublicDay Harsh gupta Tushar Yadav Anupriya Lakshmi singh
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मैं डूब रहा हूँ दुनिया तेरी रौनक से मैं अब ऊब रहा हूँ। तू चांद मुझे कहती थी मैं डूब रहा हूँ।। अब कोई शनासा भी दिखाई नहीं देता। बरसों से इसी गाँव का महबूब रहा हूँ।। मैं ख्वाब नहीं आपकी आंखों की तरह था। मैं अपका लहजा नही असलूब रहा हूँ।। सच्चाई तो यह है कि तेरे करिया-ए-दिल मे। इक वह भी जमाना था कि मैं खूब रहा हूँ।। इस गाँव के पत्थर भी गवाही मेरी देंगे। सहरा भी बता देंगे कि मज़जूब रहा हूँ।। दूनियाँ मुझे साहिल से खडी देख रही है। मैं एक ज़जीरे की तरह डूब रहा हूँ।। फेंक आये थे मेरे अपने भी मुझको। मैं सब्र में रमज़ानी रहा हूँ।। ©MSA RAMZANI गज़ल Harsh gupta Pooja Udeshi Tushar Yadav Anupriya Mukesh Poonia
गज़ल Harsh gupta Pooja Udeshi Tushar Yadav Anupriya Mukesh Poonia
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