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Gumnam Shayar Mahboob
पता नही बख्शीश मेरी होगी की नहीं मैंने अपने ख्वाहिशों का गला घोंटकर मारा है #पता #बख्शीश #ख्वाहिशों #गला #घोंटकर #मारा #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob
SK Singhania
कृप्या ध्यान दे 👇 "राष्ट्रहित"का गला घोंटकर, छेद ना करना "थाली" में ! "मिट्टी" वाले "दिये" जलाना, अबकी बार दीवाली में !! #Skg ©SK Singhania कृप्या ध्यान दे 👇 "राष्ट्रहित"का गला घोंटकर, छेद ना करना "थाली" में ! "मिट्टी" वाले "दिये" जलाना,अबकी बार दीवाली में !! #SKG #Diwali
Shivangi
परिस्थिति के अनुसार मैंने खुद को ढाल लिया.. अच्छे नहीं थे हालात फिर भी खुद को संभाल लिया.. डरती थी सांपों से, अब कुछ को आस्तीन में पाल लिया।। बात ना बढ़ जाए कहीं सोचकर झगड़े को टाल दिया.. खंजर चले जब भी दिल पर सुई समझ निकाल दिया.. दिल को खिलौना बना सबके मुताबिक हवा में उछाल दिया।। मायके और ससुराल के बीच की है कड़ी रिश्तों के मझधार में रहती डटकर खड़ी वो होती है "बहू" जो अपने आत्मसम्मान का गला घोंटकर अपना जीवन सबके लिए
gaTTubaba
कैसे जीते होंगे वो लोग? जिन्हें फर्ज और इश्क में से किसी एक को चुनना हैं! किसी एक का गला घोंटकर जिंदगीभर उसका मुजरिम बनकर रहना हैं!! बस कहने को जीना हैं सोते जागते मौत को ही सहना हैं!!! किसी से कुछ भी न कहना हैं लेकर पत्थर का दिल सांस लेते रहना हैं!!!! ©gaTTubaba कैसे जीते होंगे वो लोग? जिन्हें फर्ज और इश्क में से किसी एक को चुनना हैं! किसी एक का गला घोंटकर जिंदगीभर उसका मुजरिम बनकर रहना हैं!!
करिश्मा ताब
वो तर्क करती है तो बर्दाश्त नहीं होता तुमसे वो जबाब मांगे तो हाथ उठ जाता है तुम्हारा वो चुपचाप सहन करले तो गुरूर बड़ता है तुम्हारा सब कहने की बातें हैं नारी सशक्त है ज्यादातर घरों में आज भी उसकी बात को तवज़्जो नहीं मिलती ज्यादा कमाती है तो पैसे की गर्मी घरेलू रहे तो कम अक़्ल और गवार अपनी बात मजबूती से रखने के लिये हर रोज जूझना पड़ता है कभी कभी तो अपमानित तक होती है मार खाती है जलील़ होती ताने मिलते हैं तू होती कौन है सपने और सिसकियाँ सब सहते मौन हैं ©®करिश्मा राठौर #औरत से पहले वो एक इंसान भी है ,उसको भी अपनी बात स्वतंत्रता से अपना तर्क रखने का अधिकार है जरा से तर्क वितर्क से तुम्हारा अहं क्यों आडे़ आ ज
Kaushambhi Dixit
"वो लाज़ ओढ़े बैठी रही अपने 'घराने' , मुरेड़ पर कि ज़मीर बिक गया उन इज़्ज़तदारों का , उसके 'कोठे' की चौखट पर" •(caption)• माँ, बहन, बेटी, सखी, प्रेयसी, पत्नी और न जाने कितने रूप हैं स्त्री के । प्रत्येक रूप में वह सृष्टि की और समाज की पूरक है ,कहने भर मात्र ही स
Bharti kashyap
रुंधा गला बहते आँसूओं से होठों पे तू चुप्पी साध चल री ऐ जिन्दगी तू गमों की पोटली बाँध गमों के हज़ार टुकड़ों की तू करले एक बोरी फिर तैयार तोलें आ बाट तराज़ू ला खुद में सहना खुद में जूझना साबित करना है खुद को सहते जा जब तलक तेरे दर्द के सागर में कोई सुनामी ना आ जाये मुसकुराते रहना"क्यूँकी " गमों को छुपाने ये बेहतरीन ठिकाना है -Bharti kashyap -Bharti kashyap #रुंधा गला