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Sangeeta Kalbhor
कागज पर उतर आओ ना.. लिखने बैठी हूँ मैं तुम्हें कागज पर उतर आओ ना नही सुझ रहा है कैसे लिखूँ तुम ही लिखने आओ ना..... लिख देना ओ सब बातें जो मैं तुमसे कहना चाहती हूँ हूँ दूर ही सही पर ऐ दिल मैं तुमसे दूर नही रह पाती हूँ लिख देना वो भी मुराद तुमसे कोई गिला शिकवा नही तुम हो प्रीत मेरी.... तुम्हें भूल पाना संभव ही नही देखो तुम ए भी लिख देना कोई अधिकार नही तुम पर तुम जहां में जहाँ भी रहो प्रेम करती रहूँगी तुम्ही पर..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor कागज पर उतर आओ ना.. लिखने बैठी हूँ मैं तुम्हें कागज पर उतर आओ ना नही सुझ रहा है कैसे लिखूँ तुम ही लिखने आओ ना..... लिख देना ओ सब बातें
Rajkumar Siwachiya
मन्ना होवय ताती ओ साथी बिना कोए बाती या बात नहीं तेरी आच्छी भगवान कसम साच्ची होज्या तावली राजी में उसा कोन्या जिसा लावय तू नाजी ✨👩❤️👨✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya Ohhhhh... Saathi में उसा जमा कोन्या जिसा ला बैठी तू नाजी ✨♥️✨👩❤️👨🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #Tulips #rajkumarsiwachiya #oyedesi #har
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा । देवो के वो देवा बैठी सोचूँ द्वारे । प्राणों को मैं हारे ।। ३ राधा-राधा बोलूँ । मस्ती में मैं डोलूँ ।। माई देखो झोली । मीठी दे दो बोली ।। ०३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा ।
लेखक दिनेश नेकाडी सिरीयापुरा
Shivkumar
आँखों में कोई ख़्वाब सुनहरा नहीं आता इस " झील " पे अब कोई परिन्दा नहीं आता हालात ने चेहरे की चमक देख ली वरना दो-चार बरस में तो बुढ़ापा नहीं आता मुद्दत से तमन्नएँ सजी बैठी हैं दिल में इस घर में बड़े लोगों का रिश्ता नहीं आता इस दर्ज़ा मसायल के जहन्नुम में जला हूँ अब कोई भी मौसम हो पसीना नहीं आता मैं रेल में बैठा हुआ यह सोच रहा हूँ इस दैर में आसानी से पैसा नहीं आता अब क़ौम की तक़दीर बदलने को उठे हैं जिन लोगों को बचपन ही कलमा नहीं आता बस तेरी मुहब्बत में चला आया हूँ वर्ना यूँ सब के बुला लेने से ‘राना’ नहीं आता ©Shivkumar #lakeview #झील #नदियाँ #Nojoto #nojotohindi #आँखों में कोई #ख़्वाब सुनहरा नहीं आता इस झील पे अब कोई परिन्दा नहीं आता हालात ने चेहरे क
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित । हो खुशियां जब संग , तो जीवन हो प्रफुल्लित ।। ले लो हाथ गुलाल , आयी बच्चों की टोली । भर पिचकारी मार , कहो सब हैप्पी होली ।। रंगों में ही ढूढ़़ लो , तुम जीवन के रंग । आ जायेगा आपको , सुन जीने का ढ़ंग ।। सुन जीने का ढंग , हमें त्योहार सिखाते । होली उनमें एक , मिलन की राह बनाते ।। आज न कोई गैर , सीख लो तुम बेढंगो । सबको साथी मान , आज तुम जी भर रंगो ।। फीके सारे रंग हैं , इस होली के ग्वाल । दूर बहुत साजन बसे , कैसे करूँ धमाल ।। कैसे करूँ धमाल , प्रीति बिन फीकी होली । होते साजन पास , करते हंसी ठिठोली ।। सर्दी से बेहाल , मारता लल्ला छीके । बैठी रहूँ उदास , रंग होली के फीके ।। २२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Life Like दोहा:- बोलो सीता राम सब , बोलो राधेश्याम । यही जगत में सत्य है , भज ले प्यारे नाम ।। बाला जी महराज की , कृपा रहे दिन रात । अब तो उनके भक्त की , बढ़ जाये तादात ।। क्यों लड़ते हो आप अब , लव नगरी लाहौर । लेने दो हमको शरण , वो भी अपना ठौर ।। धाम अयोध्या पास में , बसा लखन पुर देख । जन-जन जपकर राम जी , बदले अपनी रेख ।। चलिये खाटूश्याम जी , जपिये राधे नाम । वही मिलेंगे आपको , अपने राधेश्याम ।। बागेश्वर के धाम में , हो प्रभु की जयकार । सत्य सनातन धर्म के , शास्त्री जी अवतार ।। काया से मत मोह कर , समझ इसे गोदाम । इसके अन्दर ही छिपे , है तेरे श्री राम ।। प्रेमा जी महराज का , सुनता नित सत्संग । जिनसे जीवन में खिला , मेरे भगवत रंग ।। तुझमें मुझमें राम हैं , मत कर ऐसे बैर । चल भगवन से माँगतें , इक दूजे की खैर ।। त्रिकुटा पर्वत पे वहाँ , माता बैठी देख । दर्शन करके हम चलो , बदले अपनी रेख ।। जय कारे महादेव के , करते रहिये आप मिट जायेंगे एक दिन ,जीवन के संताप ।। २१/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा:- बोलो सीता राम सब , बोलो राधेश्याम । यही जगत में सत्य है , भज ले प्यारे नाम ।। बाला जी महराज की , कृपा रहे दिन रात । अब तो उनके भक्त क
Vikrant Rajliwal
Anuj Ray
सुहाग की सेज पे बैठी, छुपाए चेहरा अपना घूंघट में, इस दिन की तमन्ना में, कितने ख़्वाब सजाए हैं उसने। उससे ज़्यादा कहीं बेताब, उसका राजकुमार दिखता है। हर पल जिसे पाने के लिए, दिल की धड़कन में बुने हैं सपने। ©Anuj Ray # सुहाग की सेज पे बैठी है"
Sangeeta Kalbhor
पता है मुझे चाय मेरी ठंड़ी हो जायेगी याद तेरी मुझे मनाने तब भी नही आयेगी..... होगा एक खाली अहसास जो मुझे भरा भरासा लगेगा तेरे न होते हुए भी तेरे होने का भाव जगेगा बैठी रहूँगी मैं राह ताकते आओगे तुम कही से चाय का एक एक घूँट या पिलाओगे वही से..... मी म..... ©Sangeeta Kalbhor #GingerTea पता है मुझे चाय मेरी ठंड़ी हो जायेगी याद तेरी मुझे मनाने तब भी नही आयेगी..... होगा एक खाली अहसास जो मुझे भरा भरासा लगेगा तेरे न ह