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Shivkumar एक गुमनाम शायर
White फूल खिलते हैं बिखर जाते हैं, रंग चढ़ते हैं कि उतर जाते हैं.. जो चल पड़े उजालों में उनकी क्या फ़िक्र जो निकले हैं अंधेरों में, वो किधर जाते हैं ? लाख मुश्किलें ही सही मुस्करा देते हैं, और वो कहते हैं हम बिफर जाते हैं..... उड़ते बादल, सर्द हवाएँ, बदलता मौसम यहीं हैं जो अब फकत नज़र आते हैं.. कहने को उस मोड़ पर घर है उसका पर देखे उसे जमाने गुज़र जाते हैं.. सुना है आज़ भी बला की खूबसूरत है वो कोई देख ले तो कदम ठहर जाते हैं.. बैचैन हूं पर जाता नहीं उसकी चौखट पर कभी एक मर्तबा उसने कहा था, बेकार यूँ ही चले आते हैं... तुम मिलो कभी तो हाल उसका मुझे सुनाना, सुना है वो अब मिलने की वज़ह चाहते हैं... अब जो निकल आयें हैं उन गलियों से, तो मुड़ना कैसा उनसे कहना कि मिलने के मौसम गुज़र जाते हैं.. उतरे हैं किसी के जहन में हम भी बेइंतहा, पर हमारी नजरों में वो कहाँ बसर आते हैं.. ज़रा ठहरो, इश्क़ का जुनूँ जो ढल जाने दो, फिर देखो ये रिश्ते किधर जाते हैं.. जो चल पडे उजालों में उनकी क्या फ़िक्र ©Shivkumar #flowers #Flower #FlowerBeauty #Nojoto #nojotohindi #kavita #फूल खिलते हैं बिखर जाते हैं, #रंग चढ़ते हैं कि उतर जाते हैं..
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White जो हक बात कहने से इंकार कर रहा है,वो जरूर माल विरसे का अकेले डकार रहा है//१ गर है जो जमीर से जिंदा,तो समझिए,वो जरूरजी अपने अहदो वकार में रहा है//२ अपनी औलाद से अदल परवरिश का सबूत है, जो ऐसा न कर सके वो जरूर बेकार रहा है//३ जो भोला*पाड़ा हड़प लें अपने हमशीरी का*विरसा, वो जरूर दोगली भैंस का *शीर चटकार रहा है//४ जिसने की है बसर हयात को सब्र शुक्र गुजारी में, जरूर उनके चश्म में बेशुमार अश्कों का गुबार रहा है/ "शमा"जो नही रहते अपने ईमान पे कायम, उनका हश्र,बरोजे महशर कितना दुश्वार रहा है//६ #SjamawritesBebaa ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_shayari जो हक बात कहने से इंकार कर रहा है,वो जरूर माल*विरसे का अकेले डकार रहा है//१*विरासत गर है जो जमीर से जिंदा,तो समझिए,वो जरूर जी
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White *मसअले न हो तो मसाइल का हल क्या है, दम अशआर में न हो तो,फिर गजल क्या है/१ हमारे*लहजे में*बेरूखी तो न थी,अब बेवजह, आपके मन में,फिर ये हलचल क्या है//२ वो अपनी हरकतों से*आलमअश्कार हो तो गए, अब होने को आज क्या,फिर कल क्या है//३ सोचिए एक उम्र ही तो*बसर करनी है सबको, अब देखना *अबद क्या है,फिर*अजल क्या है// कौन है,जो*मुत्तासिर नही होता*तर्क_ताल्लुक से, कौन समझेगा,फिर ये लगावट दरअसल क्या है//५ "शमा"को तो,मुखोटो में नजर आ गई,अब कई*जीस्त, गर ये गुनाह नही,तो फिर वो*अदल क्या है//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #GoodMorning *मसअले न हो तो मसाइल का हल क्या है, दम अशआर में न हो तो,फिर गजल क्या है/१ *समस्या हमारे*लहजे में*बेरूखी तो न थी,अब बेवजह, आपके
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
Ravendra
Suneel Nohara
Village Life अ बसर तू बता, तू किसके भरोसे है। ना खुदा ना राम तू क्या-क्या सोचे है। जब गई सिया चुराई, था राम भी वही। फिर तकदीरों को कोसें है। अ बसर तू बता, तू किसके भरोसे है। ??? ©Suneel Nohara अ बसर तू बता ,, चाँदनी Anshu writer अदनासा- परिंदा Nîkîtã Guptā