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Nalini
बस के दुश्वार है हर काम का आसां होना आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसां होना ~ मिर्ज़ा असद्दुलाह खान "ग़ालिब" ©Nalini - मिर्ज़ा ग़ालिब पुण्यतिथि
- मिर्ज़ा ग़ालिब पुण्यतिथि #शायरी
read moreVivek Dixit swatantra
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा दिल-ए-नादाँ न धड़क ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क कोई ख़त ले के पड़ोसी के घर आया होगा इस गुलिस्ताँ की यही रीत है ऐ शाख़-ए-गुल तू ने जिस फूल को पाला वो पराया होगा दिल की क़िस्मत ही में लिक्खा था अंधेरा शायद वर्ना मस्जिद का दिया किस ने बुझाया होगा गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो आँधियो तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा खेलने के लिए बच्चे निकल आए होंगे चाँद अब उस की गली में उतर आया होगा 'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकाँ अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा कैफ़ भोपाली ©Vivek Dixit swatantra केफ भोपाली की एक ग़ज़ल
केफ भोपाली की एक ग़ज़ल #शायरी
read moreडॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
- ग़ज़ल की पाठशाला - (पाठ१) ग़ज़ल:शिल्प और संरचना ( तकती/बहर) तकतीअ:वो विधि जिसके द्वारा किसी मिसरे(पंक्ति )या शे'र को अरकानो के तराजू पर तौलते हैं, ' तकतीअ' कहलाती है। तकतीअ से पता चलता है कि शे'र किस बहर में है,या बहर से खारिज है। बहर : एक मीटर है, लय है, ताल है,जो अरकानो या उनके जिहाफों के साथ एक निश्चित तरकीब से बनती है।(पाठ २ कल की पाठशाला में) ©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) #l ग़ज़ल की पाठशाला (१)