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Stories related to दिख रहा

SHIVRAJ SAHRIYA

#sad_quotes भटक रहा था वो

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White तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,
दिल मेरा था और धड़क रहा था वो।
प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है,
आंसू मेरे थे और सिसक रहा था वो।

©Shivraj Singh #sad_quotes भटक रहा था वो

- Arun Aarya

#love_shayari #तलाश रहा है

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White काफ़ी दिनों से उदास रहा है ,

भूखा दिल इश्क़ तलाश रहा है..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #love_shayari #तलाश रहा है

- Arun Aarya

#AloneInCity #गुजार रहा हूँ

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उसको जीताने के वास्ते मैं हार रहा हूँ ज़िंदगी ,

महज़ मैं मयकदे में अपनी गुजार रहा हूँ ज़िंदगी !

माँ-बाप ने कभी नहीं उठाये मुझपर हाथ अपनी ,,

मग़र मैं रोज ख़ुद को एक थप्पड़ मार रहा हूँ ज़िंदगी..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #AloneInCity #गुजार रहा हूँ

F M POETRY

#ये कौन कह रहा है....

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White ये कौन कह रहा है कि अब तक मैं घर में हूँ..

कब का निकल चुका हूँ मैं अब तो सफर में हूँ..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #ये कौन कह रहा है....

Mohan Sardarshahari

कोई किशोर जैसा दिख जाये

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कुछ लोगों का व्यक्तित्व रोजमर्रा काम करते हुए भी खास छाप छोड़ जाता है।
        ऐसा ही व्यक्तित्व था किशोर कुमार सारस्वत,रतनगढ ( किशोर )काउंटर कैशियर  का। वह जब लेन-देन के समय नोट गिनता था  तो उसकी बोडी में  एक आकर्षक लय पैदा होती थी और मैं उसको देख कर आनंदित होता था। यों  लगता था जैसे यह पैसे गिनने की  मशीन ही है । वह अपने काम को आन्दित होकर करता था और जैसे ही उसके पास लाईन कम होती तो दूसरी लाईन में दूर खड़े ग्राहक को आवाज देकर अपनी लाईन में बुला लेता था । हमेशा चेहरे पर एक ताजगी भरी मुस्कराहट रहती थी। सब से हंस कर उनकी बात सुनता और यथासंभव समस्या का हल भी बताता था। आज भी मैं जब भी किसी बैंक में जाता हूं तो हर‌ काउंटर पर नजर डालता हूं कि क्या पता कहीं कोई किशोर जैसा दिख जाये।।

©Mohan Sardarshahari कोई किशोर जैसा दिख जाये

ranjit Kumar rathour

आज़ मे जी रहा हुँ

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कितना सही कितना गलत 
इसका हिसाब क्या करना 
आज के आज़ जीना 
कल को क्यों मरना 
जो अतीत को झाकूंगा 
तो रोना आएगा 
भविष्य कि सोचूँ 
तो और भी डराएगा 
वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता 
उसे क्यों न संभालू 
इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ 
हा थोड़ा थोड़ा ही सही 
दिल ने दी इज़ाज़त तो 
हल्का हल्का सा जाम 
किसी के नाम का 
उसके हा उसके लबों से 
आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ
हा पी रहा हुँ
अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ

©ranjit Kumar rathour आज़ मे जी रहा हुँ

theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter 
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे

Shashi Bhushan Mishra

#दिन निकलता जा रहा#

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आज, कल, परसों पे  टलता जा रहा,
साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा,

तैरने   वाले   गये   उस  पार   कबके,
कुछ  किनारे   हाथ  मलता   जा रहा,

भूलने   वाले   भुला    बैठे   अदावत,
टीसने   वाले   को   खलता   जा रहा,

जम   गई   है    बर्फ़   सी   संवेदनाएं,
वेदना   से    ग़म   पिघलता   जा रहा,

कोई   बच  पाया  नहीं  इस  काल से,
समय  की  चक्की में  दलता  जा रहा,

संभलकर  ही   कर्म  करना  जगत में,
भाग्य  बनकर  बीज  फलता  जा रहा,

ज्ञान दीपक  से मिटे  अंधियार 'गुंजन',
हृदय  में  सुख-शांति  पलता  जा रहा,
  ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
           प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #दिन निकलता जा रहा#

RUPESH Kr SINHA

#भटक रहा है हर इंसान

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F M POETRY

#लोगों को लग रहा है....

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Unsplash लोगो को लग रहा है मैं ज्ञान पढ़ रहा हुँ..

गुज़रे हुए दिनों कि दास्तान पढ़ रहा हुँ..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #लोगों को लग रहा है....
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