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Shashi Bhushan Mishra
धीरे-धीरे उतर रहा है चाँद गगन में, और चाँदनी उतर रही है मेरे मन में, फूल और तितली हैं मेरे ख़्वाबों जैसे, होता है एहसास यही सबको यौवन में, शांति और संतोष जहाँ मिलते हैं दोनों, फ़र्क नहीं रहता है धनी और निर्धन में, ज़िक्र समस्याओं का करने से क्या होगा, समाधान ढूँढो होगा कल्याण भुवन में, प्रश्नों में फँसकर ही लोग उलझ जाते हैं, राह दिखाई पड़ती कहाँ यार उलझन में, बेक़सूर लाचार विवश कैसी मानवता, कोलाहल का शोर सुनाई देता रण में, युद्ध महज बनता है कारण सर्वनाश का, शांति मिलेगी सिर्फ़ हृदय के परिवर्तन में, रहे सदा आबाद चमन यूँही सदियों तक, करूँ यही मनुहार फूल से हर 'गुंजन' में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #परिवर्तन में#
DEVENDRA KUMAR
Grandparents say अब तो इस बुढ़ापे में प्यार करने के , दिन कहाँ बचे हैं मेरे, फिर भी अक्सर होते ही हैं,प्यार की महफ़िलों में चर्चे मेरे। शादी - शुदा हूँ मैं, और बाल - बच्चे भी काफी बड़े हैं मेरे, मेरी बीवी के सिवा अब तो कोई भी , साथ नहीं रहता मेरे। - देवेंद्र कुमार # अब तो इस बुढ़ापे में
Rk Bhatia Nahar
ये ढलता हुआ सूरज सुलझा जाता है कई उलझनों को ("परिवर्तन तय है।") rk.. ©Rk Bhatia Nahar परिवर्तन,, जिंदगी में,,,
Roshni Soni
बदलते रिश्तो का फसाना सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है कुछ रिश्ते इतने खास होते थे धड़कन बन दिल के साथ होते थे अब हर रिश्तो को निभाना मुशीबत सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है कुछ पल इतने खास होते थे यादे बन हर पल पास होते थे अब हर यादो को सँजोना बीमारी सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है कुछ अपने इतने खास होते थे आँखे बन हर पल साथ होते थे अब हर अपना बोझ सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है दुनिया में हर लोगो के बदलने का जमाना सा बन गया है बदलते रिश्तो का फसाना सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है पुरानी सोच में परिवर्तन
Ashok Topno
जवान हो तो थोड़ा उछल कूद कर लिया करो बुढ़ापे में तो सीधा चलना भी मुश्किल हो जाता है ©Ashok Topno बुढ़ापे
Himaani
जिनके लिए एक एक पाई जोड़कर घर बनाया था आज उन्होंने ही निकाल दिया मुझे घर से दर-दर भटकने के लिए ©Himaani #ChainSmoking बुढ़ापे में अपना भी साथ छोड़ देते हैं