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Stories related to पल्लू लटके

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Babli Gurjar

पल्लू #शायरी

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मानव बदायूँनी

# पल्लू #समाज

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Mohan

तेरी हक़ीक़त मुझसे बयाँ न हो जाए।
ये दिल फिर से किसी और का न हो जाए।।

उसके पल्लू का सिरा पकड़ कर बैठ हूँ।
कहीं आज फिर मुझसे नाराज़ न हो जाए।।

उसके शाने पर सर रख सोया था मैं
सपना टुटा मेरा कहीं ये ब्रह्म फिर न हो जाए #पल्लू

Ankur Mishra

कुछ यूँ था वो आलम कुछ यूँ बदल
गया वो मौसम
जब पल्लू उसने अपने सर से हटाया
जुल्फों को खुला छोड़ हवाओं में लहराया
एक काली घटा सी घिर आई थी
तपती धुप में ठंडी छांव खिल आई थी
बरखा हो गई उस दिन बिन मौसम
जब वो मुस्कुराई थी
मानों कयामत ही हो गई 
जब वो शर्माई थी
उसके नज़रों का वार कुछ फिर यूँ
चला की
मदहोश सारा आलम हो गया
वहाँ कौन ऐसा ना था
जीसे 
इश़्क ना हो गया
हर शख्स अपना दिल
उसके कदमों में धर गया
उसके लिए मानों
खुद से ही बगावत कर गया
वो पल वो लम्हा आज भी
याद है मुझे
आखिर मैं भी तो
उसके इश़्क का बिमार हुआ था
रोग इश़्क वाला हमें भी
एक अरसे तक रहा था

©Ankur Mishra #पल्लू

#dawn

Anamika

 सरेआम आंखें ब्यां न कर दे प्रेम,
वो इस कदर पल्लू नीचे सरका चले गए.. #प्रेम
#पल्लू

Ramakrishna

साड़ी के पल्लू #शायरी

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VARUN Kumar

मां के पल्लू

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Death_Lover

अब तो उसके काँधों से पल्लू नहीं सम्भल जाता है, ज़नाब
उससे कहो की कुछ ब-ओ अदब हमारा ही कर लिया करें॥

©Himanshu Tomar #काँधा #पल्लू #मित्र

duggu_durgesh

पल्लू...💕💕 #maa

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बैरी जग से दूर कहीं गुम होना चाहता हूँ
इक बार फिर जीभर रोकर हल्का होना चाहता हूँ!
नि:शब्द ही उसे समझाये एक दौर गुजर गया 
माँ के उस पल्लू में रोये हुए ज़माना बीत गया !

©duggu_durgesh पल्लू...💕💕
#maa

Kisan Kanhiya

मां का पल्लू #Childhood #कविता

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*गुरुजी ने कहा कि मां के पल्लू पर निबन्ध लिखो..*🙏🏻

 *तो लिखने वाले छात्र ने क्या खूब लिखा.....*
     
*"पूरा पढ़े आपके दिल को छू जाएगा"*
       आदरणीय गुरुजी जी...
    माँ के पल्लू का सिद्धाँत माँ को गरिमामयी
 छवि प्रदान करने के लिए था.

  इसके साथ ही ... यह गरम बर्तन को 
   चूल्हा से हटाते समय गरम बर्तन को 
      पकड़ने के काम भी आता था.

        पल्लू की बात ही निराली थी.
           पल्लू पर तो बहुत कुछ
              लिखा जा सकता है.

 पल्लू ... बच्चों का पसीना, आँसू पोंछने, 
   गंदे कान, मुँह की सफाई के लिए भी 
          इस्तेमाल किया जाता था.

   माँ इसको अपना हाथ पोंछने के लिए
           तौलिया के रूप में भी
           इस्तेमाल कर लेती थी.

         खाना खाने के बाद 
     पल्लू से  मुँह साफ करने का 
      अपना ही आनंद होता था.

      कभी आँख में दर्द होने पर ...
    माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर, 
      फूँक मारकर, गरम करके 
        आँख में लगा देतीं थी,
   दर्द उसी समय गायब हो जाता था.

माँ की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए 
   उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू
        चादर का काम करता था.

     जब भी कोई अंजान घर पर आता,
           तो बच्चा उसको 
  माँ के पल्लू की ओट ले कर देखता था.

   जब भी बच्चे को किसी बात पर 
    शर्म आती, वो पल्लू से अपना 
     मुँह ढक कर छुप जाता था.

    जब बच्चों को बाहर जाना होता,
          तब 'माँ का पल्लू' 
   एक मार्गदर्शक का काम करता था.

     जब तक बच्चे ने हाथ में पल्लू 
   थाम रखा होता, तो सारी कायनात
        उसकी मुट्ठी में होती थी.

       जब मौसम ठंडा होता था ...
  माँ उसको अपने चारों ओर लपेट कर 
    ठंड से बचाने की कोशिश करती.
          और, जब वारिश होती,
      माँ अपने पल्लू में ढाँक लेती.

  पल्लू --> एप्रन का काम भी करता था.
  माँ इसको हाथ तौलिया के रूप में भी 
           इस्तेमाल कर लेती थी.

 पल्लू का उपयोग पेड़ों से गिरने वाले 
  मीठे जामुन और  सुगंधित फूलों को
     लाने के लिए किया जाता था.

     पल्लू में धान, दान, प्रसाद भी 
       संकलित किया जाता था.

       पल्लू घर में रखे समान से 
 धूल हटाने में भी बहुत सहायक होता था.

      कभी कोई वस्तु खो जाए, तो
    एकदम से पल्लू में गांठ लगाकर 
          निश्चिंत हो जाना ,  कि 
             जल्द मिल जाएगी.

       पल्लू में गाँठ लगा कर माँ 
      एक चलता फिरता बैंक या 
     तिजोरी रखती थी, और अगर
  सब कुछ ठीक रहा, तो कभी-कभी
 उस बैंक से कुछ पैसे भी मिल जाते थे.

       *मुझे नहीं लगता, कि विज्ञान पल्लू का विकल्प ढूँढ पाया है !*

*मां का पल्लू कुछ और नहीं, बल्कि एक जादुई एहसास है !*

स्नेह और संबंध रखने वाले अपनी माँ के इस प्यार और स्नेह को हमेशा महसूस करते हैं, जो कि आज की पीढ़ियों की समझ में आता है कि नहीं.......पता नहीं। 
*अब जीन्स पहनने वाली माएं, पल्लू कहाँ से लाएंगी*
            *पता नहीं......!!*
*
🙏🏻🌹🙏🏻

©Kisan Kanhiya मां का पल्लू

#Childhood
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