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VARUN 'VIMLA'
हुनर हुनर की अक्लमंदी में तमाशा खूब होता है कभी हारे न बजी जो वो पाशा खूब होता है ©वरुण " विमला " " पाशा " #nojoto #nojotohindi #hundi #2line #quotes rapper_tzar Bhanu Pratap Singh Abhi Raj Md Intaz Alam Ritika suryavanshi
Mohd Hayat Pasha
मैं ऐसे अपनी वफा की मिशाल देता हूँ फसाद अपने से हो तो टाल देता हूँ उन्ही से मैने खाए हैं फरेब अक्सर मैं जिनके पाँव से काँटे निकाल देता हूँ (मौo हयात पाशा) मिलो हम से हम मोहब्बत से नही उस वक़्त से परेशान हैं जो मोहब्बत में गुजार दिया ह
Mohammed Muzammil Pasha
एक गैर भी अपना है अगर दिल से अपना माने तो वो अपना भी पराया है दिल में बैर राखे जो..
Mohd Hayat Pasha
मोहब्बत है अगर तो जता कियों नही देते गले अपने लगाकर बता कियों नही देते किस बात पर रूठे हो ज़रा इतना बताओ खतावार हूँ अगर तो सज़ा कियों नही देते बेचेन अगर तुम हो तो बे ख्याल इधर में हूँ चेहरे से ये नक़ाब हटा कियों नही देते याद रखना इतनी सी इल्तिज़ा है मेरी हमसफर मुझे अपना बना कियों नही लेते मुक़ाद्दर भी चमकेगा किसी रोज़ देखना फासला जो दरमियां है तुम मिटा कियों नही देते हयात पाशा.....????? उनसे इन्तज़ार नही होता थक कर ,,,,,,,सो जाते हैं हम हैं,,,,जो बेचैन बहुत रहते हैं नींद में भी उनका इन्तज़ार किये जाते हैं.!!!
Mohammed Muzammil Pasha
|| पिता तेरे जैसा कोई तो नहीं है ||| पिता जो मिले वो खुदा सा लगे जो ज़ुबा पे न आये दिया तूने है जो
अनुज
तेज़ाब.. स्वयं में खौफनाक.. (अनुशीर्षक पढ़ें) ©अनुज तेजाब, स्वयं में ही खौफनाक, और फिर किसी को पाने का ख्वाब, बदलते रिश्ते दरमियान दिलों के, और कांटों में पल रहा गुलाब, जहां उसे खोने का डर, और
SAHRUN KAHN
('दरिंदगी' एक मज़हब) कोई पुरानी दुश्मन थी क्या उनकी? या कोई हिसाब बाकी था? कोई शिकायत थी क्या उससे? या कोई सवाल बाकी था? नहीं-नहीं ऐसा कुछ भी
Nisheeth pandey
दुनिया से निराला,.... मन का मतवाला .... मिलता कहाँ बाँसुरी वाला..... दूध में बेचता पानी अब ग्वाला.... गन्दगीं है फैली बैठे कहाँ जमुना के किनारे..... फूल अब गमलों में लहक रहें फूलों का सुगंध है किधर.... घनघोर घटाएँ भी जल रही फैक्ट्रीयों के धुंआ से.... ज़हर घुल कर बहती सरमस्त हवाओं से .... मोबाइल कम्प्यूटर में कैद मासूम उमंगें..... दरिया भी रूठी रूठी कैसी उल्फ़त की तरंगें..... अब मिलती बगीचे के झाड़ीओ में गोपियाँ ..... अब हाथों में मिलते नहीं हाथ हद्दे लेती रहती अंगड़ाइयां ..... पर्दा न जाने कब हो जाये ताराज..... न जाने कब किसी गलियारे में बेकस की लूट जाए लाज.... अब काले घूम रहे डट कर उजाले में करते चमचम काले.... उजाले बने दागदार अंधेरे से कहता दामन में छुपा ले.... परियाँ अब आती नहीं धरा पर ... हवाओं में आती नहीं शीतलता धरा पर .... हर वेश्या कहती खुद को राधा यहां.…. हर हवस का भूखा कहता खुद को श्याम यहां..... बलशाली है अब राम यहां.... रषिक कहता खुद को अब कन्हैय्या यहां ..... त्राहिमाम त्राहिमाम करता वीरों का देश .... भेड़ियाँ है चारो तरफ घूम रहें आबो हँवा परेशाँ..... प्रेम का किनारा... सुनसान है सारा... आबरू हैं ख़ामोश.… मौजों में नहीं जोश... अब घरों में जलते नहीं प्रेमक दिए .... अब फटी आबरू से जलती है मोमबत्तियां.... हे विराट रूपी , हो काल गति से परे .... तुम भी नियति में बंधे .... यहाँ वहां थे कभी सर्वत्र थे.... कभी तुम्हें धरा पूजा .... कभी तुम धरा पूजे..... कभी तुममे गगन कभी गगन में तुम , कभी माया ने तुम्हें भी छला .... कभी माया को छले तुम.... लीला पर लीला रचते रहे , अधर्म का सदा विनाश करते रहें.... अब कहाँ हो ... कहाँ विलुप्त हो.... अधर्म से व्याकुल धरा का कण कण हो रहा... अब तो नन्ही सीता या राधा और रुक्मिणी भी द्रोपदी सी चौसर पर बिछ रही ... कौन रक्षक कौन भक्षक कौन अपना कौन पराया विश्वास का चिथड़ा उड़ रहा ... तुम सकल चराचर में हो समाये, व्यथित भाग्य का आओ बनो सारथी फिर से... अब घर घर में मिल रहे मोह और लोभ में जकड़ा धृतराष्ट्र..... हर के नियत मे बसता दुर्योधन और दुषशाशन का चरित्र.... आज का शकुनि अब लँगड़ा भी नही रहा .... हर चौराहे पर पसार रखा पाशा और लोग बिक यहां रहे .... असुरता अधर्मता है लगा रहा ठहाके पे ठहाके यहां... पाप आजकल डिस्को पे है नाच रहे यहां.... बोलो श्रीकृष्ण मुरारी मोहन प्यारे कन्हैया की कब आओगे ... कब आओगे ... 🤔निशीथ🤔 🙏🏻 #शुभ_जन्माष्टमी 🙏🏻 ©Nisheeth pandey दुनिया से निराला,.... मन का मतवाला .... मिलता कहाँ बाँसुरी वाला..... दूध में बेचता पानी अब ग्वाला.... गन्दगीं है फैली बैठे कहाँ जमुना के
YumRaaj ( MB जटाधारी )
यमराजः अथवा धर्मराजः संसारस्य सर्वेषां जीवानां प्राणिनां अन्तिमसंयंत्रणकर्ता च अस्ति। अयम् यमराजः वेदपुरुषस्य पुत्रः च आहूतः अस्ति। अत्र अस्मिन् लेखे यमराजस्य परिचयः निरूप्यते। नाम: यमराजस्य नाम धर्मराजः अथवा यमः इति प्रसिद्धमस्ति। "यम" शब्दः संस्कृतभाषायाम् "नियमने" अर्थे प्रयुज्यते, यथा यमः जीवानां कर्मणि नियमयति इति नामकरणं योग्यं भवति। तस्य अपि अन्ये नामानि च सन्ति, यथा अंतकः, कालः, वैवस्वतः, धर्मराजः, मृत्युः इत्यादयः। पितरोऽधिपतिः: यमराजः पितृलोकस्य पितरोऽधिपतिः अस्ति। पितृलोकं अस्य अधिष्ठानं भवति। पितृलोके प्रविष्टे सर्वेऽपि जीवाः यमराजस्य सन्निधौ आविष्कृतं भवन्ति। यमराजः तेषां कर्मणि नियमयति च तथा अन्यायानि प्रशास्तुम् अर्हति। यमलोकः: यमराजस्य निवासस्थलं यमलोकः नाम अस्ति। तत्र तेषां जीवानां कर्मफलं निरीक्ष्य यमराजः तथा विचार्य तेषां योनिसंस्थानं नियमयति। यमलोके यात्रां कृत्वा जीवाः तेन योनिसंस्थानेन सम्बद्धाः भवन्ति। यमदूताः: यमराजस्य सेनापतयः यमदूताः नाम्ना विख्याताः भवन्ति। ये यमराजस्य अधीना अस्ति ते यमदूताः यमराजस्य आदेशानुसारिणसर्वेभ्यः जीवेभ्यः सन्देशान् प्रेषयन्ति च यमराजस्य अधीना आवर्तन्ते। यमदूताः यात्रां कृत्वा जीवानां कर्मफलं तथा पापपुण्यानि निरूपयन्ति च। यमदूताः यमराजस्य अद्यतनं चरित्रं धारयन्ति च भवन्ति। यमराजस्य पाञ्चालिकं रूपम्: यमराजस्य पाञ्चालिकं रूपं अस्ति। पाञ्चालिकं रूपं यमराजस्य विभूषणानि अस्ति, यथा धर्मचक्रं, दण्डं, पाशं, यमगुप्तं च। धर्मचक्रं यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा धर्मस्य प्रतिष्ठानं। दण्डः यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा यमराजस्य न्यायविधानं। पाशः यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा यमराजस्य बन्धनानि। यमगुप्तः यमराजस्य सहायकः अस्ति, यथा यमराजस्य सङ्केतकः। यमराजस्य धर्मः: यमराजस्य धर्मः अत्यंत महत्त्वपूर्णः अस्ति। यमराजः सन्तानं धर्मं नियमयति च, यथा न्यायस्य पालनं, पापपुण्यानां फलानां वितरणं च। यमराजस्य धर्मस्य वेदपुरुषैः प्रमाणं उपपाद्यते च। यमराजस्य अर्थः: यमराजस्य अर्थः सम्पूर्ण जगत्सृष्ट्यादिकर्तृभ्यः विभूषितः अस्ति। यमराजः समस्तं कर्मफलं नियन्त्रयति च तथा अधिकृतं अनुशास्ति। यमराजस्य अर्थः धर्मरूपेण भगवत्प्राप्तौ निर्वहति च। इत्येवं यमर ©YumRaaj YumPuri Wala #navratri #यमनियम यमराज, नाम, स्वामी, यमलोक, यमदूत, यमराज पांचालिका, यमधर्म, अर्थ! #Yumraaj यमराज या धर्मराज संसार के सभी प्राणियों के परम