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Stories related to 15 march 2021 day

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Sandeep sain

15 march #Comedy

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DJ Gaming

#GoodNight THE DAY ENDS NOW 15 MARCH 2023 #News

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AFSAR SEKH

15 march 2022 #Memes

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Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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3
मैं इंसानों को गुलाम होता देख रहा हूँ,
मैं व्यवस्थाओं को आंसू से तर-बतर
रोता देख रहा हूँ, समय को
मैं फूलो के बिस्तर पर लेटे
मेरी भावी पीढ़ी के बदन में
रंगीन कांटे चुभोता देख रहा हूँ।
कैसे कहूँ आज़ादी मना रहा हूँ,
मैं एक अदद तारीख पर,
एक अदद अनजान तारीख तक 
जिंदा रहने के लिए कसमसा रहा हूँ,
ख्वाब पूरे होने की खुशी नहीं
मैं एक सस्ता सा ख्वाब देखने
छटपटा रहा हूँ कि मैं घर पर हूँ
और घर को घर बनाये रखने
नित फैलती जाती, 
पड़ोस में शमशान को बेची
जमीन पर पछता रहा हूँ।
End 15 Aug 2021

Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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2
आज़ादी किसी राजा की मौत,
या किसी नए राजा का जन्म नहीं होती।
एक राष्ट्र के अभुदय में बीसियों
वर्षांतरालों तक तारीखें आती हैं, 
इन सबका एक ही दायित्व होता है
वो एक सकारात्मक अर्थ पुष्ट करती जाती हैं।
मुझे याद आयी सैनिक छावनी में
चली पहली गोली, जिसके पहले
किसी अनजान तारीख पर 
एक हृदय में खून उबला था,
बांकी जो हुआ, सब पिछला था।
मुझे क्या याद है वो तारीख जब
पहली बार किसी मुहर ने
सुनी-सुनाई कहानियां भूलायीं थीं,
रटे-रटाये नामों से अलग,
थोथे-खोंखले उपदेशों से थलग,
प्रदर्शन और दिखावों को भूलकर,
छलावों से चित्त को दूर कर
स्याही का स्पर्श किया था,
उस रोज उसने आज़ादी का
एक अर्थ अनायास ही जिया था।
Cont... 15 Aug 2021

Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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2
आज़ादी किसी राजा की मौत,
या किसी नए राजा का जन्म नहीं होती।
एक राष्ट्र के अभुदय में बीसियों
वर्षांतरालों तक तारीखें आती हैं, 
इन सबका एक ही दायित्व होता है
वो एक सकारात्मक अर्थ पुष्ट करती जाती हैं।
मुझे याद आयी सैनिक छावनी में
चली पहली गोली, जिसके पहले
किसी अनजान तारीख पर 
एक हृदय में खून उबला था,
बांकी जो हुआ, सब पिछला था।
मुझे क्या याद है वो तारीख जब
पहली बार किसी मुहर ने
सुनी-सुनाई कहानियां भूलायीं थीं,
रटे-रटाये नामों से अलग,
थोथे-खोंखले उपदेशों से थलग,
प्रदर्शन और दिखावों को भूलकर,
छलावों से चित्त को दूर कर
स्याही का स्पर्श किया था,
उस रोज उसने आज़ादी का
एक अर्थ अनायास ही जिया था।
Cont... 15 Aug 2021

Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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1
कहा उसने,
तारीख लिख लो
दस्तावेजों में, किताबों में,
गुफा की दीवारों पर,
महल के मेहराबों में!
पर एक सवाल पूछूंगा,
पिंजरे से पंछी कब आजाद हुआ?
जब उसके पंख तीलियों से लड़े?
जब अचानक ही पिंजरे के द्वार खुल पड़े?
जब वो उससे बाहर आया?
जब उसने उड़ने को जोर लगाया?
जब वो उसी आँगन में लगी लता के
शीर्ष पर जा बैठा?
जब उसने वहाँ से अनंत आकाश देखा?
या अब जब वो उन स्मृतियों को
पीछे छोड़ने भागा जा रहा है?
तुम देखना नया बहेलिया 
उसके घोंसले की डाल के नीचे
जाल लगाकर सुस्ता रहा है!
मैं समझ गया कि
आज़ादी की कोई एक तारीख नहीं होती!
Cont... 15 Aug 2021

Shahruk khan Khan

15 agyat 2021

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Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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3
मैं इंसानों को गुलाम होता देख रहा हूँ,
मैं व्यवस्थाओं को आंसू से तर-बतर
रोता देख रहा हूँ, समय को
मैं फूलो के बिस्तर पर लेटे
मेरी भावी पीढ़ी के बदन में
रंगीन कांटे चुभोता देख रहा हूँ।
कैसे कहूँ आज़ादी मना रहा हूँ,
मैं एक अदद तारीख पर,
एक अदद अनजान तारीख तक 
जिंदा रहने के लिए कसमसा रहा हूँ,
ख्वाब पूरे होने की खुशी नहीं
मैं एक सस्ता सा ख्वाब देखने
छटपटा रहा हूँ कि मैं घर पर हूँ
और घर को घर बनाये रखने
नित फैलती जाती, 
पड़ोस में शमशान को बेची
जमीन पर पछता रहा हूँ।
End 15 Aug 2021

Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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1
कहा उसने,
तारीख लिख लो
दस्तावेजों में, किताबों में,
गुफा की दीवारों पर,
महल के मेहराबों में!
पर एक सवाल पूछूंगा,
पिंजरे से पंछी कब आजाद हुआ?
जब उसके पंख तीलियों से लड़े?
जब अचानक ही पिंजरे के द्वार खुल पड़े?
जब वो उससे बाहर आया?
जब उसने उड़ने को जोर लगाया?
जब वो उसी आँगन में लगी लता के
शीर्ष पर जा बैठा?
जब उसने वहाँ से अनंत आकाश देखा?
या अब जब वो उन स्मृतियों को
पीछे छोड़ने भागा जा रहा है?
तुम देखना नया बहेलिया 
उसके घोंसले की डाल के नीचे
जाल लगाकर सुस्ता रहा है!
मैं समझ गया कि
आज़ादी की कोई एक तारीख नहीं होती!
Cont... 15 Aug 2021
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