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Anita Najrubhai
विरान हवेली में रहेते है जहाँ कोई जाता नहीं है घुंघरू की आवाज़ आना आती हैं चमगादड़ उडती है सांप बिच्छु चलते हैं ऐसे विरान हवेली में किसी इन्सान की रूह भटकती है ©Anita Najrubhai #हवेली
Sunita Chhattani
उस गांव में जो हवेली थी वो .. कुछ खंजर हों चुकी थीं कुछ डरावनी सी.. जैसे किसिकी परछाई थी वहा. जो धुंधली तस्वीर में... पर नज़र से परे ..... कुछ मिठास भरा स्वर जो धीमे धीमे कोई नाम लिए गुनगुना रहा हो.... लेकिन. एक बात पूछना चाहती थी जो कुछ सवाल जवाब किसिका इंतजार था. बरसों पहले से हैं ,... वोही सुनसान जगह पर,सुनसान राहें जो,किसी मंजिल की तलाश में गुम हो जो कुछ कह रही हो. ,... मानो, कुदरत को भी तरस आता हों... तेज़ आंधी में उड़ी, हवाओं का झोंका आया... और सबकुछ बिखर गया. ... . पहले की तरह...... ©Sunita Chhattani हवेली
Akshay Akki
माना की हम तो बुराई से भी बुरे है .. पर कुछ लोग तो अच्छो को भी अच्छा नही कहाते. बन जाये अगर बात तो सब कहते है. वाह-wah और बात बिगड़ जाये तो क्या-क्या नही कहते.. शैतानी दिमाग..
akshat tripathi
बचपन की शैतानियाँ बचपन की शैतानियाँ और दादी माँ की कहानियां, जिनका स्थान ले चुकीं हैं अब परिवार की जिम्मेदारियाँ, चाहे कितनी भी छा गयी हो हम पर जवानीयाँ, जो हमारे बच्चों को सुनाने के लिए होंगी सबसे दिलचस्प कहानियां.. l #बचपन शैतानी
Aarv;
बचपन और शैतानी बचपन तो हमारा था, पर शैतानी तो बड़े लोग करते थे आज भी साइकिल के आगे का वो डंडा याद है... प्यार के दर्द से कहीं ज्यादा मीठा दर्द उस साइकिल के डंडे का था 😂 #बचपन शैतानी
प्रेरक नीर जैन
बचपन और शैतानी बचपन की मस्ती । शैतानी के पिटारे है । । बचपन के पन्ने हैं । किस्से ढेर सारे है ।। जब जब पलटते किताबो के पन्ने । खुशियों की बौछार करते नज़ारे है ।। #बचपन #शैतानी
Writer Surya
बचपन और शैतानी बचपन और शैतानी मे इतना सम्बंध है जितना कृष्ण और नटखट कृष्णा मे है जैसे बिना शैतानी के बचपन अधूरा है वैसे ही बिना बचपने की शैतानी अधुरी है। दोनो एक दुसरे के अच्छे प्रेमी हैं, अच्छे सखा हैं, एक दुसरे के चिंतक भी हैं। पर दोनो एक दुसरे के बिन अधुरे भी हैं। -Writer Surya बचपन और शैतानी
J P Lodhi.
बचपन और शैतानी बचपन और सैतानी की भी है अजब कहानी। नन्हे मुन्ने थे जब करते थे,गजब की शैतानी। हम मित्रों के साथ खेल खेल में,करते थे नादानी। बालपन में गलती करना, कितना था आसान। बचपन ही था वह जिसमें था,खुशियां का खजाना। गलती करके मान भी लेते,जैसे किया अहसान। बालपन और शैतानी की भी, अलग ही थी बात। बचपन में थे हम कितने नादान, करते थे नादानी। गया बचपन, गए वो दिन जब करते थे शैतानी। बचपन के बारे में सोच, होती है बहुत हैरानी। अब न आएगा लौट के बचपन,रह गई सिर्फ यादें। सिर्फ सुनाते रहेंगे,बचपन के किस्से और कहानी। बचपन और शैतानी