Find the Latest Status about आलिया निंदिया from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, आलिया निंदिया.
Ashok Topno
चाँद तारों से रात जगमगाने लगी फूलों की खुशबू से दुनिया महकने लगी सो जाईए रात हो गई है काफी निंदिया रानी भी आपको देखने आने लगी! ©Ashok Topno #निंदिया #रानी 🌠🤨 #sweet_dreams
Rustam Roy
निंदिया भरी आँखों को जरा धीरे-धीरे खोलो, इस सुबह की नमी से अपनी पलकों को धो लो, हमने तो आपको बोल दिया है गुड मॉर्निंग, अब आपकी बारी हैं हमें गुड मॉर्निंग तो बोलो। सुप्रभात !!! ©Rustam Roy निंदिया भरी आँखों को जरा धीरे-धीरे खोलो, इस सुबह की नमी से अपनी पलकों को धो लो, हमने तो आपको बोल दिया है गुड मॉर्निंग, अब आपकी बारी हैं हमें
HARSH369
आलिया- चलो सादि कर लेते है ? रनवीर - सादि तो वो करते है जिन्हे पत्नियो से दबकर रहने कि आदत है या दबाव मे रखने कि आदत है.., हम मनचले है,भवरे है, कभी इस फूल पर कभी दूसरे फूल पर मन्दराते रहते है..! ©Shreehari Adhikari369 #आलिया &रनवीर
ashish gupta
ख्वाब पूरे कहां हो जाते हैं बुरी नजर से ही नजर आते हैं वह ख्वाब में मात्र ही रह जाते हैं बस निंदिया रानी के संग में बस धीरे-धीरे ही आते हैं रात सुहानी हवा चल रही और वर्षा ख्वाबों की ही लाते है फिर भी न जाने क्यों ये उठते ही खो जाते है ख्वाब कहा गुम हो जाते है ©ashish gupta #DREAMING_GIRL ख्वाब पूरे कहां हो जाते हैं बुरी नजर से ही नजर आते हैं वह ख्वाब में मात्र ही रह जाते हैं बस निंदिया रानी के संग में बस धीर
Ravendra
Vedantika
माधव की मैं प्रेम दीवानी हुई दुनिया में बदनाम केशव ने जो थाम लिया तो भय का क्या काम गिरधर ने मेरे हर गम को अमृत बना दिया मोहन की बांसुरी की धुन ने मरहम लगा दिया गोपाल के चितवन से पराजित हुआ है चित्त वसुदेव की मुस्कान पर विश्व हुआ मदमस्त नमस्कार मित्रों 🙏 (शुरू करो चौथा पड़ाव लेकर प्रभु का नाम) काव्य संग्रह प्रस्तुत करता है "मेरी व्याकरण यात्रा" *चौथा पड़ाव* इस पड़ाव के न
Kulbhushan Arora
*सु*मन दीप🪔 स्नेह देवी का नाम ...*सु*मन है, सुमन का मन *मां*का मन है, मन है कि मंदिर का प्रांगण है,? चहुं ओर स्नेहिल मीठा वंदन है, स्नेह के दीप जलाती सब
Lokesh Meena
आलिया ने अखबार में पढ़ा कि पुलिस ने 80किलोहेरोइनपकडीहै आलिया चिल्ला पड़ी-शिटयार, सोनाक्षी पकड़ी गई!!! ©Lokesh Meena #Likho आलिया ने अखबार में
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विषय :- संतान दोहा :- विपदा में संतान ही , मातु-पिता की आस । हाथ उठा माँगें दुआ , रहे सदा वह पास ।। सुख दुख में संतान जो , कल तक रही सहाय । आज वही संताप का , कारण बनती जाय ।। मातु-पिता से प्यार जो , करती है संतान । जग में उनको ही सदा , मिलता है सम्मान ।। माँग रही माता सभी , माता से वरदान । रघुनायक जैसा मुझे , दे दो तुम संतान ।। चरण धूल नित मातु की , लेती जो संतान । जीवन की बाधा हटे , राह बनें आसान ।। कुण्डलिया :- माता रानी आज दो , सबको यह वरदान । मात-पिता की बात को , मानें अब संतान ।। मानें अब संतान , तात क्यों वैरी होवे । पाकर तनय कपूत , कभी न निंदिया खोवे ।। कहे प्रखर अब मातु ,आज वर ये मिल जाता । कट जायें सब कष्ट , आप जब चाहो माता ।। २६/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय :- संतान दोहा :- विपदा में संतान ही , मातु-पिता की आस । हाथ उठा माँगें दुआ , रहे सदा वह पास ।। सुख दुख में संतान जो , कल त