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ज़हर
ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर ©ज़हर #feelings #ज़हर ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर 0 Anshu writer hardik Mahajan Sharm
वंदना ....
sahjad
जिंदगी का हर पल सुख दे आपको, दिन का हर लम्हा ख़ुशी दे आपको,जहां गम की हवा छू के भी ना गुजरे,खुदा वो जिंदगी दे आपको,जन्मदिन की बधाई हो! ©sahjad #mountain 4. जिंदगी का हर पल सुख दे आपको, दिन का हर लम्हा ख़ुशी दे आपको,जहां गम की हवा छू के भी ना गुजरे,खुदा वो जिंदगी दे आपको,जन्मदिन की बध
Sk
White किसी को सुनने से ज्यादा उसे समझने की कोशिश कीजिये क्योंकि हर कोई उतना कह नहीं पाता जितना वह महसूस करता है ©Sk किसी को सुनने से ज्यादा उसे समझने की कोशिश कीजिये क्योंकि हर कोई उतना कह नहीं पाता जितना वह महसूस करता है
aaj_ki_peshkash
दिल की बातों को अल्फ़ाज़ में बयां करना मुश्किल है, पर हर एक ख्वाब के पीछे एक अधूरी चाहत होती है। मोहब्बत की राह में, हर दर्द को सहना पड़ता है, फिर भी हर एक रात के बाद, सुबह का इंतज़ार होता है। ©aaj_ki_peshkash #दिल की बातों को #अल्फ़ाज़ में बयां करना #मुश्किल है, पर हर एक #ख्वाब के पीछे एक अधूरी #चाहत होती है। मोहब्बत की #राह में, हर #दर्द को सहना
ਸੀਰਿਯਸ jatt
मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं ©ਸੀਰਿਯਸ jatt #intezaar हर दिन मौत का इंतज़ार करते हैं !
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच