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Milan Kumar

हर एक बात करेंगे साथ देना होगा तब को #hunarbaaz

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ज़हर

#feelings #ज़हर ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर 0 Anshu writer hardik Mahajan Sharm #hunarbaaz

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वंदना ....

#यह अच्छी बात है की परिवर्तन हो रहा है .. हर परिवार में बेटियों को पढ़ाया जा रहा है क्योंकि परिवार ही सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम होता है ...तो #विचार

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sahjad

#mountain 4. जिंदगी का हर पल सुख दे आपको, दिन का हर लम्हा ख़ुशी दे आपको,जहां गम की हवा छू के भी ना गुजरे,खुदा वो जिंदगी दे आपको,जन्मदिन की बध #शायरी

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Hardik Netsurf

भाई साहब हर नाराज औरत के पीछे एक ..😃🤪🤔🥰 #कॉमेडी

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Sk

किसी को सुनने से ज्यादा उसे समझने की कोशिश कीजिये क्योंकि हर कोई उतना कह नहीं पाता जितना वह महसूस करता है #Quotes

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aaj_ki_peshkash

#दिल की बातों को #अल्फ़ाज़ में बयां करना #मुश्किल है, पर हर एक #ख्वाब के पीछे एक अधूरी #चाहत होती है। मोहब्बत की #राह में, हर #दर्द को सहना #Poetry #रात #सुबह #इंतज़ार

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ਸੀਰਿਯਸ jatt

#intezaar हर दिन मौत का इंतज़ार करते हैं ! #SAD

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच #कविता

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चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

Uttam Bajpai

हर एक मंजर नजर आता है। #शायरी

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