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Insprational Qoute
***विषय:-ख़िदमत*** ए ख़ुदाया शुक्र है तेरा जो वालिदैन के रूप में तू खिदमतगार है, मोजो कट रही जहाँ ए जीस्त वालिदैन ही सबसे खूब उपहार है, पग पग पर दे इम्तिहान जिंदगी के ख़ुद को भी भूल यह जाते हैं, कर्म तेरा जो दे दिया जन्म इनके स्नेहपाश में यही मेरा संसार है, सोच इनके रहम ओ कर्म को ख्वाब में भी यही मेरे दानिश वर है, मेरी चूक को सही राह बता कर सही किया यही मेरे राहगार हैं, न कभी भी भूला पाऊँगी न कभी इनके एहसान चुका मैं पाऊँगी, जिस्म के कतरे कतरे पर नाम हो आप ही मेरे लब ओ रुख़सार है, जब भी सहम जाती हूँ देख किसी बुरे ख़्वाब को रात के साये में, आप की पनाहगाह में महफूज़ हूँ बाक़ी कयामत मात्र अग्यार हैं। वालिदैन:-माता-पिता अग्यार:-अजनबी दूसरी रचना (खिदमत) #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमजान_कोराकागज
dilip khan anpadh
मिट्टी की खिदमत ************* अब ये किरदार निभाया नहीं जाता खुद को खुदी से भुलाया नहीं जाता। हर कोई डूबा है शोहरत की धुन में खुद का फालूदा बनाया नहीं जाता। संस्कार फरेबों में दिखाते है ये सब पैसों से इज्जत कमाया नहीं जाता। गम नहीं कि क्या पाया या खोया है मैंने पुश्तों की इज्जत भुनाया नहीं जाता। कुछ बिक जाते है तलवो की धूल में कुछ से,धर्म ही, निभाया नहीं जाता। वो ओहदे की चादर में सकूँ ढूंढते है मुझे अपना ही पर्दा हटाया नहीं जाता। लोगों में हूनर बढ़ा है चापलूसी का मुझसे ये इज्जत कमाया नहीं जाता। बेचते है स्वाभिमान को नोटों में शायद मुझसे अपना ही दौलत छुपाया नहीं जाता। शान देखना मेरे कब्र की मंजिल पे आके इस मिट्टी को खिदमत सिखाया नहीं जाता फर्क आम और खास में वंही पर दिखेगा हर कब्र पे संगमरमर चढ़ाया नहीं जाता। दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #मिट्टी की खिदमत
DILBAG.J.KHAN { دلباغ.جے.خان }
*खड़ा रहता हूं शान से में अपना सर उठाकर😍😎* *मेरे वालिद ने मुझे इस काबिल बनाया है❤🖕👈✌🏻* ©DILBAG J KHAN #वालिदैन
परवाज़ हाज़िर ........
माई बाप पायाब सा जीवन ना कोई राज़ गहरा हो ... समुन्दर सी जीवन की कैफियत वालिदैन किनारा हे लहरें कितनी भी बुलंद क्यों ना हो भटकने पर हर बार घेरा हे... ©G0V!ND DHAkAD #वालिदैन #Twowords
दि कु पां
"वालिदैन" हम लड़के को भी वालिदैन जानों जिगर से प्यारें हैं, कभी आलुओं के बारें में एक कहावत सुनी थीं, एक आलू सारे आलुओं को सड़ा देता है.. कुछ महसूस आज मुझे यों हुआ, कुछ एक लड़कों ने ना रखा ख्याल वालिदैन का तो बदनाम पूरी लड़कों की जमात हो गई. हम लड़के इंसान ना हुऐ चावल का दाना हो गए कि एक को परख ये सुनिश्चित करने लगे लोग की चावल पक गए 🤔🤔 "वालिदैन"
Chauhan Chirag
वालिदैन का साया रहे, सर पे मेरे, फिर कामयाबी मेरे, कदमों मे होगी, रहे हाथ मेरा उनके हाथों मे, फिर बादशाही मेरे, जज्बों में होगी ।। ©Chauhan Chirag #वालिदैन(माता-पिता)
Tanu Singh
"खिदमत" जिंदगी की खिदमत कैसे करूँ, मैं मुसाफिर बन भटक रहा हूँ। शतरंज से रिश्ते हर बाजी हारा हूँ, मैं पग-पग ही संघर्ष कर रहा हूँ। जहान में एक फूल मुस्कुराए, मैं इसलिए पतझड़ बन रहा हूँ। जिंदगी की खिदमत कैसे करूँ, मैं अश्रु अर्णव बारिश बन रहा हूँ। ये नदियाँ कभी नमकीन न हो, मैं इसलिए खारिद बन रहा हूँ। ©Tanu Singh जिंदगी की खिदमत#रचना#तनु सिंह