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Shishpal Chauhan
Vishnu Bhagwan मिलता है सच्चा सुख भगवान तुम्हारे चरणों में, आशा की किरण जगह देते हो तुम पल भर में। दिल से सेवा जो करता है स्थान दे देते हो अपने चरणन में, मिल जाता है सब कुछ जो आ जाए तेरी शरण में। मिलता है सच्चा सुख भगवान तुम्हारे चरणों में, आप चाहो तो फूल खिला दो पत्थर में। जहां पड़े आपकी नजर दृश्य बदल जाए पल भर में, तुम बसे हो हर कण कण में, मानव ढूंढता फिरे मंदिर मस्जिद में। ©Shishpal Chauhan # भगवान बसे हैं कण कण में
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-कण में बसे प्रभु राम जी । पूछता फिर क्यों कि अंदर कौन है ।।३ और कुछ पल धीर धर ले तू यहाँ । वक़्त बोलेगा धुरंधर कौन है ।।४ एक तेरे सिर्फ़ कहने से नहीं । है खबर सबको सिकंदर कौन है ।।५ दौड़ आयेगा हमारे पास तू । गर पता तुझको हो रहबर कौन है ।।६ तुम कहो तो मान भी लें बात हम । बस बता दो तुम विशंभर कौन है ।।७ बंद हो जायेगी तेरी बोलती जानेगा जब तू कलंदर कौन है ।।८ हम सभी इंसान हैं तेरी तरह । खोजता फिर क्यों तू बंदर कौन है ।।९ इस कदर मत कर गुमाँ खुद पर बशर जान ले लिखता मुकद्दर कौन है ।।१० आज दिल की बात मैं पूछूँ प्रखर । तू प्रखर है तो महेन्दर कौन है ।।११ १९/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-क
Shivkumar
Meri Mati Mera Desh मेरी माटी मेरा देश हमारा देश तो जैसे गंगा सागर सा है इसकी माटी तो अति पावन है देवों की भी यह मानस माता है ये धरती मां बंधुत्व भाव ही दिखलाती है गंगा , जमुना और सरस्वती जी वो संगम तट पर बहती नित धारा है सांझ सकरे सिंधु चरण पखारे कश्मीर मुकुट सा लगता प्यारा है मेरी माटी मेरा देश अलग सभी से बोली भाषा और भिन्न यहां गण वेश ये प्रेम से भरा हुआ अनेकता मे एकता का है एकता मे अनेकता का ये संसार यहां है पानी से पत्थर तक सब पूजे जाते हैं कण कण मे भी मेरे प्रभु समझे जाते हैं यहीं से खुलता सतयुग का प्रवेश द्वार है ऋषि मुनियों का अब भी बसता संसार है मुझे मेरी माटी मेरे देश पर गर्व है मुझे इसके विशेष होने पर गर्व है अखिल विश्व को भी समझा सकता हूं क्यों है प्यारी मेरी माटी मेरा देश ©Shivkumar #MeriMatiMeraDesh #Nojoto #nojotohindi मेरी माटी मेरा देश
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं । पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे , कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं । वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं, जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१ वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब , वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं । कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ, मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं । भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम, सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं, असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे , देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२ १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो , सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,
Ravendra
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“ मातृभूमि रक्षक “ प्रतिकूल परिस्थिति कितनी भी कदम कभी भी रुके नहीं हम मातृभूमि के रक्षक हैं राहों में कितने शूल सही वर्षा, बादल, बिजली की चकमक राह में रोड़े रहे हजार कभी दरकती धरती देखी कभी दरकते रहे पहाड़ बादल फटते, रस्ते कटते हिम वर्षा का दौर चले मन में संशय कहां रहा एक बार जब निकल पड़े दुश्मन का दिल दहल उठा जब गूंज उठा भारत जयघोष मातृभूमि को अर्पण सब कुछ कण - कण रक्त करे उदघोष ©Instagram id @kavi_neetesh “ मातृभूमि रक्षक “ प्रतिकूल परिस्थिति कितनी भी कदम कभी भी रुके नहीं हम मातृभूमि के रक्षक हैं राहों में कितने शूल सही वर्षा, ब
HintsOfHeart.
एक ज़र्रा¹ हूँ कायनात² में पर मुझमे है कायनात भी इश्क़ तो रास नहीं आया ये ज़हर है, आब-ए-हयात³ भी कहने को भुला दिया उनको करते हैं तसव्वुर⁴ में बात भी ग़म ए ज़िन्दगी तू न गुमान कर पा लूँगी तुझसे निजातⁿ भी ©HintsOfHeart. #बेख़ौफ़_वजूद #Undaunted_Being 1. कण, छोटा सा अंश / Particle, Tiny portion. 2. ब्रह्मांड / Universe 3.अमृतजल / Water of immortality. 4. ख़
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" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है सपन सलौना टूट रहा है मचल रहा पहलू में सागर दरिया दिल का फूट रहा है होनी और अनहोनी के संग बीच भंवर में फंसा हुआ हूँ मृग मरीचिका मुझे लुभाती संशय मन का और बढ़ाती बिखर रहा हूं कण कण जैसे पवन वेग सिक्ता उड़ जाती खुद में खुद को ढूंढ रहा हूं मिला नहीं मुझको तुम जैसा खुद ही खुद को लूट रहा हूं हार गया हूं मैं इस जग से तिल तिल करके टूट रहा हूं ©Instagram id @kavi_neetesh " हर पल जैसे कुछ छूट रहा है" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है सपन सलौना टूट रहा है मचल रहा पहलू में सागर दरिया दिल का फूट रहा है होनी
Sawan Sharma
Jai shree ram घर घर नगर नगर गली मोहल्ले चौराहे पर गूंज रहा श्री राम नाम दिल से होकर जुबानो पर उत्सव जैसा लगता है कितना प्यारा लगता है हरे राम हरे कृष्ण कानो में जो पड़ता है रामलला के स्वागत में भक्तिमय सब हो गया मष्तिष्क से चित्त तक सब प्रफुल्लित हो गया राम कहीं गए नहीं राम हमारे मन में है जीव जंतु में है बसे राम बसे कण कण में है । ©Sawan Sharma घर घर नगर नगर गली मोहल्ले चौराहे पर गूंज रहा श्री राम नाम दिल से होकर जुबानो पर उत्सव जैसा लगता है कितना प्यारा लगता है हरे राम हरे कृष्ण