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Amit Singhal "Aseemit"
हमारे देश में ही बहुत सारे हैं रमणीय स्थल, जिनको देखने आते हैं विदेशों से सैलानी। यदि भारतीय भी उन्हें देखने की करें पहल, देश का मान सम्मान बढ़े तो न होगी हैरानी। ©Amit Singhal "Aseemit" #रमणीय
Anil Ray
किस प्रेमशास्त्र से पढ़ा तुमने यार..! प्रेम में प्रतीक्षा नही परीक्षा होती है.. अब मत देख ज़ख़्मों को कुरेदकर.. इंतजारे-मोहब्बत में रमणीय महल अब एक जर्जर खण्डर-सा रहा है धड़कनों में सिसकियाँ भी शेष नही.. पर बेवफ़ा तराश कर देखों कभी तो इस बेजान दिल पर अभी भी बस.. एक तुम्हारा ही तो नाम लिखा है और तुम ताउम्र कहते रहे हमें प्रेम नही है.!! इसी सदमें में मेरी जान गयी जान..!! आने में बहुत देर कर दी आपने पर... शुक्रिया आखिर तुम आये तो सही। हम झूठे ही सही पर दुनिया को पैगाम होगा मर जाता है इंसा पर मोहब्बत नही मरती..! ©Anil Ray ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️ किस प्रेमशास्त्र से पढ़ा तुमने यार..! प्रेम में प्रतीक्षा नही परीक्षा होती है.. अब मत देख ज़ख़्मों को कुरेदकर.. इं
Anil Ray
पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है। यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स्वरुप धारण कर पाशविकता में परिवर्तित... पुरुष सत्ता ही स्त्री शक्ति से श्रेष्ठ है...! और पुरुष सत्ता के समर्थक सदैव ही इसी रूप का अन्यायोचित उपयोग सतत रूप से सदियों से प्रचलित भी है। परन्तु...पुरुष हर्षोल्लास से खुशी मनाये वह सदा ही विकास क्रम में स्त्रियों से पिछड़ा हुआ अविकसित व विकासशील है। जिस दिन पुरूष सच में विकास प्राप्त कर पुरुषोत्तम स्वरुप में होगा वह स्त्री ही है। दरअसल वात्सल्य, प्रेम, दया एवं कोमलता से ही इस सृष्टि का संरक्षण सम्भव है और यह सब स्त्रियों के सद्गुण है पुरुषों के नही। स्वभाव का एक ओर नाम है प्रकृति..और जिसकी प्रकृति विकृत उसकी सृष्टि भी। अजीब है ऐसी विकृत मानसिकता वाले लोग इस महासृष्टि से अपना एकाधिकार चाहते है। जो पुरुष किसी स्त्री की आबरू को संरक्षण नही देता अथवा प्रयास ही नही करता है... वह पुरुष माँ का पुत्र, बहिन का भाई या फिर पत्नी का पति अथवा क्या महिला-मित्र कहलाने का न्यायिक अधिकारी है??? दोस्तों बंदिशें चारदीवारों की नही है चारदिवारी में बंद तहज़ीब की है वरना.. यह सृजन प्रकृति तो अपनी हैसियत गर्भावस्था के दौरान भी दिखा सकती है तुम साहस को अपनी निजी सम्पत्ति का ख्याल भी मन से निकाल फेक दो... अगर स्त्री प्रकृति है तो क्यों नही पुरुष इस प्रकृति में समर्पित भाव को लेकर पूर्णतः स्वयं को समाहित कर दे ताकि सृष्टि सुरक्षित और रमणीय रहे सदा। ©Anil Ray 🩷🩷🩷 स्त्री प्रकृति या प्रकृति स्त्री 🩷🩷🩷 पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है। यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स