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Shivakant Pandey
कब तक दर्द को अपने आप में सहोगे तुम आज खुल के कह दो जवाना सुनने को बेकरार हैं शिवाकान्त पान्ड़ेय✍ #gif दर्द की रूपरेखा
Ajay Kumar
मोदी सरकार के विकास के एक रूपरेखा।
Swati Tyagi
शिक्षक ज्ञान का स्त्रोत नहीं है। केवल शिक्षा को सुगम करता है, और चीजों को सरल करके बताता हैं।। ©Swati Tyagi राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का शिक्षक के प्रति दृष्टिकोण #शिक्षा #शिक्षक #दृष्टिकोण #swatityagi
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 सफल होने से पहले आपको उसकी रूपरेखा तैयार करनी होगी , तभी आप सफल हो पाओगे !.i. j ©Indra jeet #जीवन दर्शन 🌹 सफल होने से पहले आपको उसकी रूपरेखा तैयार करनी होगी , तभी आप सफल हो पाओगे !.i. j
Sameer Das
#Most_Shocking_Prophecies अमेरिका के ‘‘श्री एण्डरसन’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले या 21वीं सदी के प्रथम दशक में विश्व में असभ्यता क
परवाज़ हाज़िर ........
Sudha Tripathi
डायरी लेखन में दो बातें आवश्यक होती है मनन एवं चिंतन। मनन मतलब अपने को आत्मा के रूप में देखने, समझने, अनुभव करने अपने जीवन के उद्देश्य का विचार करना, निरीक्षण करना, आत्मपरीक्षण करना चिंतन मतलब निरीक्षण के आधार पर हुई त्रुटियों में सुधार करनेके लिए एक सुनिश्चित रूपरेखा बनाना उसे क्रियान्वित करने का साहस एकत्रित करना, यूं तो डायरी लिखना बहुत सहज है लेकिन अगर ईमानदारी सेलिखी जाए तो कई बार कलम रुक जाती है। मैं तो डायरी अपने लिए लिखती हूं... चाहे तो देख ले मैं इसमें कैसी दिखती हूं... ©Sudha Tripathi #meriDiaryse डायरी लेखन में दो बातें आवश्यक होती है मनन एवं चिंतन। मनन मतलब अपने को आत्मा के रूप में देखने, समझने, अनुभव करने अपने जीवन के
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है । जिया कहता यहीं रुक जा तू , यही ईश्वर लेखा है ।। मिला है संग किस्मत से तो , इसे भी भाग्य जानें हम । मानकर हम अब इसे अपना ,इसे पहचान मानें हम ।। चलो स्वीकार लो सब मिलकर ,जो अब तक अनदेखा है .. मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है।। देखो नदियों के ऊपर ही , चमकता वह सवेरा है । दूर पर्वत के पीछे वहाँ , वही करता बसेरा है ।। वही अद्भुत शक्तियों का मैं , सुनो संचार देखा है । मनोरम दृश्य यह मनभावन , प्रकृति का आज देखा है धरा के शीश हैं यह लगते , यहाँ ऊँचे सभी पर्वत । इन्ही पर्वत से बहता नीर , लगता सबको अब शर्बत ।। बुझाने प्यास पथिक को यहाँ , अब तक हमने देखा है । मनोरम दृश्य यह मनभावन , प्रकृति का आज देखा है ।। अभी तक भटके अँधेरों में ,सवेरा आज देखा है ...। यही पंचतत्व सितारे है , यह सुगम रूपरेखा है मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है।। १६/०१/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है । जिया कहता यहीं रुक जा तू , यही ईश्वर लेखा है ।। मिला है संग किस्मत से तो , इसे भी भाग्य जानें
yogesh atmaram ambawale
प्रिय दिनदर्शिका,तुझे येणे होते नवं वर्ष येता. सर्वांचेच तुझ्याकडे लक्ष्य असते,तुला भिंतीवर टांगता. दिवस तर एक ही असा चुकत नाही की तुझ्याकडे पाहिल्याशिवाय सुरुवात होत नाही. तू म्हणजे सर्वांची मुख्याध्यापिका आहे, तुझ्या नियोजनानेच वर्षाचे कार्यक्रमाची रूपरेखा आहे. तुझा वापर कित्येक कामासाठी होतो, गॅस सिलिंडर केव्हा लागला ची नोंद ही तूच ठेवतो. सर्व सणांची,पंचांगाची,मुहूर्ताची योग्य ती माहिती ही तूच देते, कुणाचा वाढदिवस केव्हा आहे ची नोंद ही तुझ्या जवळच ठेवली जाते. प्रिय दिनदर्शिका तू वर्षभर सोबत राहते, नवीन वर्ष लागताच तुला कुठेही टाकले जाते. स्वार्थपणा पण बघ आमचा तुझ्या अंगावर लिहिलेल्या सर्व नोंदींची आम्ही नकल करतो, आणि काम होताच लगेच तुला मोकळे करून विसरून जातो. मित्रानों💕 सुप्रभात. दिनदर्शिका ही आपला दैनंदिन जिवनाचा एक महत्त्व पुर्ण भाग आहे. वर्ष बदला कि दिनदर्शिका बदलते प्रत्येक वर्षी नवीन दिनदर्शि