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शब्दिता
*मानवता* मनुष्य के विचारों की प्रखरता ही मानवता की प्रथम सीढ़ी है। मानव का सौन्दर्य मानवता के गुण में ही निहित है। जो मनुष्य स्त्री तथा पुरुष में भेद दृष्टि ना रखकर सिर्फ मानव है, यह दृष्टिकोण रखता वही श्रेष्ठ मानव है तथा वह व्यक्ति मानवता के लिए एक प्रेरणा हैं। यही प्रेरणा उस व्यक्ति की संगति में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मानवीय बनाती है। विचारों की आकृति ही मानवता है। विकृत है वह विचार जिसमें मानवता का अभाव है।। मानवता की प्रवृत्ति सदैव प्राकृतिक होती है। #manavta
Abhimanyu Dwivedi
🌱🌱जीवन- धर्म 🌱🌱 **धरा धर्मों के पार भी इक धर्म सुसज्जित है ईश्वर ह्रदय से जो जन्मा वो मानवता मंडित आभा कहलाई है हिन्दू,मुस्लिम,सिख्ख, इशाई ,बौद्ध ,जैन,यहूदी, पारसी इन सब रेखाओं ने तो बस मानवता की साख मिटाई है सम्पूर्ण धरा लहूलुहान हो आई इनकी व्यर्थ जड़े सींचते सींचते फिर भी जाग सका न प्राणी , मानवता सो गयी प्रणय में अभी भी धर्मो की ही लड़ाई है बस मानव मानव न बन पाया सब विशेष अवशेष हुआ अब शेष मानवता की ही ढुढाई है** 🌱🌱अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त) 🌱🙏🌱 ©Abhimanyu Dwivedi Manavta
Manavta #विचार
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**मानव का वज़ूद** जिंदा वो नहीं जिनमें साँसे हैं जिन्दा वो हैं जिनके वज़ूद में इंसानियत है देख वो नहीं रहे जिनके पास आँखे हैं देख वो रहे हैं जिनकी आँखों में सच जिंदा है सुन वो नहीं रहें हैं जिनके पास कान हैं सुन तो वो ही रहें हैं जिनमें होश उम्दा है बोल वो नहीं रहे जिनके पास मुख है बोल तो वो सकते हैं जिनमें बोध चुनिंदा है अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त) 🌱 ©Abhimanyu Dwivedi manavta
manavta #विचार
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