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꧁༺ami༻꧂
मै भी क़भी जवान थे। सौंदर्य और खुशबुओं के समान थे। जीवन का अरमान थे। विविधता का सम्मान थे। मै भी कभी जवान थे। मै भी कभी जवान थे। परिद्श्य के पहचान थे। नगर बसाने में भगवान थे। नगर भसाने में सैतान थे। गीतों के आवाज थे । सुरो के ताल थे मै भी कभी जवान थे । में फूलो के तरह मुरझा रहा हूं। अपने दर्द को छुपा रहा हु। किया मिलेगा तुझे बता कर। अपने आप को जला रहा हु। जो समझ न सका अपने आप को । वो किया समझेगा रिस्तो के प्यार को। आज तू मेरा दोहन कर रहा हैं। कल तू खुद दोहन हो जाओगे। हे मानव मुझे अब भी तो जीने दो। हे मानव मुझे अब भी तो जीने दो। - #सुखती नादिया कहती हैं
Simran Singh
नादिया के उस पार है एक देश बेगना । रहता है वहाँ अपना कोई जाना पहचान ।। मिला नहीं जिससे मैं कभी, हुआ नहीं वहाँ कभी जाना । नादिया के उस पार है एक देश बेगना । नादिया के उस पार
Swati Tyagi
तूझको चाहा एसे जैसे चाहा हो महादेव को ©Swati Tyagi #महादेव #शिव #नंदी #नादिया #भक्ति #devotionalquotes #swatityagi #friendshipquotes #lovequotes
भक्ति मार्ग
Manoj Nigam Mastana
#Joker अन्तर मन की वेदना जब प्रखर रूप में आती है तब नादिया अपने नैनो से अश्रु की धार चलाती है जब जीवन को जीवन का आयाम नहीं मिल पाता है तब गहन संवेदनाये जीवन की पल पल हमें रुलाती है तब हम अपने आँखों में एक राह किसी की तकते है कोई ऐसे भी कोई आये जैसे सावन घुमड़ बरसते है तब तब आता है एक मस्ताना जो अधरों पर चंचलता लाता है हर पल हमें हँसाने को खुद #जोकर बो बन जाकेता है मनोज मस्ताना 9027168899 अन्तर मन की वेदना जब प्रखर रूप में आती है तब नादिया अपने नैनो से अश्रु की धार चलती है जब जीवन को जीवन का आयाम नहीं मिल पाता है तब गहन संवेदन
कुमार अमित
आइये भारत को एक घर बनाते है। जो पहले था हरा भरा ; जहा पक्षियों का झुंड एक दूसरे से खेला करते थे जहा नन्हे-मुंहे बचे बिना किसी भेद भाव के एक दूसरे से पेड़ो के पीछे आंख मिचौलीया खेला करते थे। जहा छपर से पानी गिरने पर एक दूसरे से लिपट जाया करते थे। वो प्यार से भरा एक सुंदर सा घर बनाते है । आइये मिलकर बहुत सारा पेड़ लगाते हैं । और प्यारी सी खुशियो को समेटते है आइये नदियों के जल को निर्मल बनाते है । बहुत सारा पेड़ लगते है आइये मिलकर भारत को एक घर बनाते है । अमित कुमार... भारत एक घर आओ मिलकर एक सुनहरा घर बनाते है जो बिखरा बिखरा सा लग रहा है- #भारत का घर जहा नादिया तड़प रही है बहते हुए गन्दगी से। जहा पेड़ तड़प
J Narayan
"कसूर- An Unidentified Love Story" (Kindly Read the Poem in Caption 👇) कुछ तेरे इशारे ठहरे, कुछ हम नासमझ ठहरे, कुछ तेरी कशिश थी, कुछ हम दीवाने ठहरे, यूँ तो कसूर तेरा भी नही, मेरा भी नही, कुछ तू हमारा नही, कुछ हम
CM Chaitanyaa
" श्री चैतन्य महाप्रभु " श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य सन् 1486 में फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को पश्चिम बंगाल के नवद्वीप (नादिया) नामक गाँव में हुआ। यह स्वयं श