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Kamlesh Kandpal
चिड़िया देख रही है उजड़ते चमन को हवाई जहाजो से भरे हुए गगन को जमीन में कंक्रीट का बिछा कर जाल नभचरों का जीना भी कर रहा है मुहाल इंसान इतना बेशर्म, बेहया हो गया है मन से आदिम, बाहर से नया हो गया है ©Kamlesh Kandpal #chidiya
GiRlSLiNeS190*
White 03:00 AM सुनो आज २० सालो के बाद कुछ कहना हैं. बचपन में जो राह दिखाई थी तूने अपने पैरो पर चल कर मंजिल पाने की जिस विद्यालय में जाने के लिए हर रोज सुबह तैयार कर के भेजती थी तुम आज क्यों उसी राह पर जब सपने सजा लिए हैं मैंने तो क्यों उसी राह पर सजाए सपनो को पूरा करने से जीझक रही रही हो क्यों रोक लगा रही हो क्या यह प्रकृति का नियम है. या इस नियम की प्रकृति हो तुम.....? क्यों आज बेटे को अपने सपने पूरे करने के लिए भेज रही हो और बेटी को रोक रही हो ऐसा भेदभाव सदियों से है...... या इन भेदभाव मैं सादिया हो तुम...? जिस राह की सलाह देती थी बीस वर्षों पहले आज बीस वर्षों बाद क्यों उसी सलाह से मुकर रही हो तुम यह तुम्हारी भावना हैं. या इन भावनाओं में तुम हो.....? यह कुछ सवाल हैं इनकी गहराई हो तुम...... या इतनी गहरी हो तुम .....? ©GiRlSLiNeS190* #GoodNight poetry in hindi hindi poetry #Reality #Relatable #poem #nojohindi #nojotahindi
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read moreग़म का साथी
White सफलता की खुशी ठीक है, असफलता से सीख बहुत नेक है।। ©ग़म का साथी #good_night #nojoto #shayari #trend #hindi #poem #viral
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read morePawan Shah
White अफ़साने हसीन, नग्मे पुराने ढूंढता हूँ क़िस्से नहीं यादों के खज़ाने ढूंढता हूँ भूली बिसरी बातें, गए ज़माने ढूंढता हूँ फिर रहा हूँ फ़िलहाल दर बदर क्योंकि, मैं ठिकाने नहीं आशियाने ढूंढता हूँ।। ©Pawan Shah #Sad_Status #Love #story #Hindi #Nojoto #nojotohindi #Hindi #poem #Poetry #Life
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read moreAkash Kedia
अच्छा हुआ के बस कहानी का किरदार रहे, इश्क़ मलंगा शायर का अधूरा सा इज़हार रहे, हासिल हुआ जो खोने पर, मिलने से छूठ जाता, है अर्ज़ मेरी कहानी में ये सिलसिला हर बार रहे। जुड़े हुए थे तुमसे जो; पूरे ख़्वाब अगर हो जाते वो, एहसास नजाने कितनो से ये मुलाकातें न होती, नज़र बिछाई राहों पर तुम मेरी ओर चलकर आते तो, अल्फ़ाज़ों की मेरे हिस्से में फ़िर ये बरसातें न होती। कब सुना है दिल दिमाग़ की; ये अक्सर ही लड़ते रहे, बढ़ न पाये कभी तुमसे आगे; तुम में ही उलझे रहे, हर बात हज़ारों सफ़र परे तुम तक आकर ठहर गई, देखा जब भी शीशे में ख़ुद में भी तुम ही मिलते रहे। चाहतें हर रोज़ तुम्हारी गलियों से गुज़रने की, अपने ही घर की राहों का ठिकाना भुलाने लगी, हावी हुए ऐ साकी तुम मुझपर जो इस तरह, मेरी रूह भी मुझे ख़ुद से फ़िर बेगाना बुलाने लगी। मग़र नींद तो खुलनी थी काली रात के ढलने पर, अंधेर ख़्वाबों को सुलगना था आफ़ताब के जलने पर, राब्ता तो उनसे महज़ ख़ुदको बिखेरने तक का था, ये इल्म हुआ एक हरजाई का आकाश के मरने पर। इश्क़ में राख़ होकर सुनो ये आशिक़ दिलदार कहे, हर दीवाना इस जहान में ऐसी मोहब्बत सौ बार करे, जब टूटकर टुकड़े मिलते हैं तो ऐसा कमाल लिखते हैं, के टकरा जाएं जब भी किसीसे तो बिछड़ना हर बार रहे। ©Akash Kedia #wallpaper poetry in hindi love poetry in hindi #writerscommunity #writing #poem #Hindi #yqbaba #yqdidi
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read morePawan Shah
एक इश्क़ हैँ एक दास्ताँ हैँ मैं ज़िंदा हूँ अभी तो माहौल गुलिस्तां हैँ मगर मंज़िल एक तलाश हैँ मुश्किल तो रास्ता हैँ।। ©Pawan Shah #Shiva&Isha #Hindi #Love #Poet #poem