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Odysseus
Nisheeth pandey
#सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसको फिर प्रजवलित कर धधकनें दूँगा ... प्रणय की भाषा कागज़ पर लिखूँगा, पत्थरों पर शेरनी दुर्गा की आग लिख जाऊंगा...... उस शेरनी दुर्गा , काली , सीता , लक्ष्मी बाई की शौर्य लिख जाऊंगा .... अबला दुखियारी की भाषा बदलने वाली वह गाथा पत्थरों पे लिख जाऊंगा .... बिंदिया पायल कंगन वाले रति गीत की भवर डुबाते चले गये ..... लूट रही है समर भवानी गली गुचे , चौराहे या किसी फार्म हॉउस में कब जागोगे ...... देवी नहीं सिर्फ तुम शक्ति की आग हो ,मत क्रंदन विलाप करो ...... चढ़ो हवसी शिकारी के वक्षस्थल पर,और सिंह हुंकार भरो ...... वीरांगना तुम अब स्वाभिमान कि शक्ति पहचानो , तुम विश्व शक्ति की ठानो ...... कलाई ममोड सके न कोई तन छू सके न कोई , जैसा अडिग लक्ष्य भर जाऊंगा ..... रक्त नहाया किसी नन्हीं गुड़िया का शव,जाग रहीं है वर्षों से .... फुल की रक्षा का प्रण, फुल के बदन में कांटे जगा जाऊंगा ..... बलात्कारिओं को जेल देने से, गुड़िया की मरी आत्मा को क्या जीवन मिल जाएंगे ..... कंटक से भयभीत हुए तो,सुमन नहीं खिल पाएंगे...... कोई हाथ बढ़े तुम्हारे आबरू की ओर ,कभी न घबराना ..... हाँथ बढ़ने वाले का तुम,शीश काट कर चौराहे पे सज़ाना ...... सुप्त पड़ी अंतःशक्ति को तुम,कहो भवानी अब जागो, गिरो दामिनी बन भेड़िये पर,असि भय त्यागो ...... देखो अबोध मासूस चिड़िया को ,नोंच नोंच कर हवश मिटाते हैं ...... तड़प रही है तुतलाती सिसकियाँ , दरिंदे मौज मनाते हैं ....... खुलेआम चौराहों पर अबलाओं की इज्जत लुट जाती , तब छानबीन का खेल देखो ...... पाक पर्दा पड़ जता गुनाहों पर , अब नोटों का खेल देखो ..... रोज किसी को चीथड़े होने की बारी है आज क्या कल क्या ?..... सुप्त पड़ी नारी शक्ति सुन , खनकते चूड़ियों संग भर सकती हो हुंकार तलवार की क्या ? .... सीना ताने खड़ा भेड़िया , अपराध का उजाला है । हर सीनें में जलती आग पर , न जाने क्यूं अधर पर ताला है ।। पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसक
Pramod Kumar
Niranjan Nirajan Shih
Abhishek
जिसने त्यागे जीवन के सारे सूख ना देखी अपनी पीड़ा अपनी भूख सब कुछ न्योछावर कर दिया अपना जिसके लिये वो सन्तान छोडकर गया उसे सदा के लिए अब किसका यकीन करें यह माँ जिसने खो दिया अपना सारा जहाँ क्यूँ कहलाये वो माता के लाल जो रख नहीं सकते अपनी माँ का ख्याल ©Abhishek #अकेली दुखियारी माँ की पीड़ा #
Poet Shivam Singh Sisodiya
Ramgopal Singh
#5LinePoetry ©Ramgopal Singh एक बेचारी दुखियारी।
Poet Shivam Singh Sisodiya
Poet Shivam Singh Sisodiya