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Abhishek
जिसने त्यागे जीवन के सारे सूख ना देखी अपनी पीड़ा अपनी भूख सब कुछ न्योछावर कर दिया अपना जिसके लिये वो सन्तान छोडकर गया उसे सदा के लिए अब किसका यकीन करें यह माँ जिसने खो दिया अपना सारा जहाँ क्यूँ कहलाये वो माता के लाल जो रख नहीं सकते अपनी माँ का ख्याल ©Abhishek #अकेली दुखियारी माँ की पीड़ा #
Sarita Shreyasi
आये दिन,संदेशो में,बेतार पर, मीडिया के चर्चा-ए-बाज़ार पर, सैकड़ों,सच्ची और काल्पनिक, कहानियाँ पढ़ी,सुनायी जाती है। माँ की ममता और त्याग को, बेटे-बहू के उपेक्षित व्यवहार को, व्यावसायिकता का तड़का लगा कर, कमजोर भावनाएँ भुनायी जाती है। शक नहीं कि वृद्ध माता-पिता, आज सचमुच तकलीफ में हैं, पर प्रश्न ये है कि यहाँ लिंगभेद क्यूँ है? कलतक बेटी के माँ बाप, जन्म से ही दुखी होते थे, कन्यादान से पुण्य कमाते, जैसे जन्मो का पाप धोते थे। आज बेटियाँ देवी है, लक्ष्मी है, घर आए तो खुशियों की दीवाली है। पुत्री जन्मों का पुण्य संचय है, पिता पुत्री का बड़ा भाग्यशाली है। कलतक बेटे की माँ, सबसे भाग्यवान थी, सुखी सम्पन्न सास, संग माँ वो महान थी। आज वही माँ दुखियारी है, बेटे को अब भी प्यारी है, बस बहू से उपेक्षित है, समय संयोग की मारी है। सुंदर चलचित्र-सी कहानियों में, हर बेटी परी है,बाबुल की रानी है, एकलौती बेटी को ब्याहने के बाद, धन्य माँ-बाप का जीवन खाली है। आये दिन,संदेशो में,बेतार पर, मीडिया के चर्चा-ए-बाज़ार पर, सैकड़ों,सच्ची और काल्पनिक, कहानियाँ पढ़ी,सुनायी जाती है। माँ की ममता और त्याग को, बेट
Vandana
एक अनोखी चीज हाथ लगी है। देखो तो बहुत खास लगी है । पढ़ोगे तो चकरा जाओगे, कैसे कैसे बातें भूल जाओगे, "आदमी की सोच उसे कहां ले जाती है। विचारों को वह कैसे सजाती है। एक नवयुवती छज्जे पर बैठी है, केश खुले हुए हैं और चेहरे को देखकर लगता है कि वह उदास है। उसकी मुख मुद्रा देखकर लग रहा है कि जैसे वह छत से कूदक
Pratik Patil Patu
सोच की कामयाबी ! कहानी जो आपको सिखा देगी 1) कामयाब (Rich) लोग आखिर कैसे सोचते हैं ? 2) मनोज स्थिति बदलो परिस्थिति बदल जाएगी 3) SUCCESS को पाना है तो कैसी सोच रखनी चाहिए? सोच में ही सुख छुपा है SUCCESS का राज संदीप और दीपाली बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दूजे के साथ घूमना, फोन पर बातें करना, सब कुछ अच्छा चल रहा था। अचानक कुछ हो गया और दीपाली ने संदीप के
Subhasish Pradhan
मैं समाज हूँ ! सुबह से लेकर शाम तक शाम से लेकर सोने तक सोने से लेकर सूरज उगने तक ये जो भी घटना दुर्घटना यहाँ घटता रहता है वो सब प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से
Anamika Nautiyal
दर्शन ढूँढन मैं गया दर्शन मिलेया ना कोई झाँक ले खुद में "अनाम" सो दर्शन मिल जाई तो देवियों और सज्जनों बिना किसी देरी के शुरुआत करते हैं आज की चर्चा। चर्चा का विषय है दर्शन। दर्शन के दर्शन करने से पहले हम आते हैं कहानी
Nisheeth pandey
#सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसको फिर प्रजवलित कर धधकनें दूँगा ... प्रणय की भाषा कागज़ पर लिखूँगा, पत्थरों पर शेरनी दुर्गा की आग लिख जाऊंगा...... उस शेरनी दुर्गा , काली , सीता , लक्ष्मी बाई की शौर्य लिख जाऊंगा .... अबला दुखियारी की भाषा बदलने वाली वह गाथा पत्थरों पे लिख जाऊंगा .... बिंदिया पायल कंगन वाले रति गीत की भवर डुबाते चले गये ..... लूट रही है समर भवानी गली गुचे , चौराहे या किसी फार्म हॉउस में कब जागोगे ...... देवी नहीं सिर्फ तुम शक्ति की आग हो ,मत क्रंदन विलाप करो ...... चढ़ो हवसी शिकारी के वक्षस्थल पर,और सिंह हुंकार भरो ...... वीरांगना तुम अब स्वाभिमान कि शक्ति पहचानो , तुम विश्व शक्ति की ठानो ...... कलाई ममोड सके न कोई तन छू सके न कोई , जैसा अडिग लक्ष्य भर जाऊंगा ..... रक्त नहाया किसी नन्हीं गुड़िया का शव,जाग रहीं है वर्षों से .... फुल की रक्षा का प्रण, फुल के बदन में कांटे जगा जाऊंगा ..... बलात्कारिओं को जेल देने से, गुड़िया की मरी आत्मा को क्या जीवन मिल जाएंगे ..... कंटक से भयभीत हुए तो,सुमन नहीं खिल पाएंगे...... कोई हाथ बढ़े तुम्हारे आबरू की ओर ,कभी न घबराना ..... हाँथ बढ़ने वाले का तुम,शीश काट कर चौराहे पे सज़ाना ...... सुप्त पड़ी अंतःशक्ति को तुम,कहो भवानी अब जागो, गिरो दामिनी बन भेड़िये पर,असि भय त्यागो ...... देखो अबोध मासूस चिड़िया को ,नोंच नोंच कर हवश मिटाते हैं ...... तड़प रही है तुतलाती सिसकियाँ , दरिंदे मौज मनाते हैं ....... खुलेआम चौराहों पर अबलाओं की इज्जत लुट जाती , तब छानबीन का खेल देखो ...... पाक पर्दा पड़ जता गुनाहों पर , अब नोटों का खेल देखो ..... रोज किसी को चीथड़े होने की बारी है आज क्या कल क्या ?..... सुप्त पड़ी नारी शक्ति सुन , खनकते चूड़ियों संग भर सकती हो हुंकार तलवार की क्या ? .... सीना ताने खड़ा भेड़िया , अपराध का उजाला है । हर सीनें में जलती आग पर , न जाने क्यूं अधर पर ताला है ।। पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसक
Nisheeth pandey
#सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसको फिर प्रजवलित कर धधकनें दूँगा ... प्रणय की भाषा कागज़ पर लिखूँगा, पत्थरों पर शेरनी दुर्गा की आग लिख जाऊंगा...... उस शेरनी दुर्गा , काली , सीता , लक्ष्मी बाई की शौर्य लिख जाऊंगा .... अबला दुखियारी की भाषा बदलने वाली वह गाथा पत्थरों पे लिख जाऊंगा .... बिंदिया पायल कंगन वाले रति गीत की भवर डुबाते चले गये ..... लूट रही है समर भवानी गली गुचे , चौराहे या किसी फार्म हॉउस में कब जागोगे ...... देवी नहीं सिर्फ तुम शक्ति की आग हो ,मत क्रंदन विलाप करो ...... चढ़ो हवसी शिकारी के वक्षस्थल पर,और सिंह हुंकार भरो ...... वीरांगना तुम अब स्वाभिमान कि शक्ति पहचानो , तुम विश्व शक्ति की ठानो ...... कलाई ममोड सके न कोई तन छू सके न कोई , जैसा अडिग लक्ष्य भर जाऊंगा ..... रक्त नहाया किसी नन्हीं गुड़िया का शव,जाग रहीं है वर्षों से .... फुल की रक्षा का प्रण, फुल के बदन में कांटे जगा जाऊंगा ..... बलात्कारिओं को जेल देने से, गुड़िया की मरी आत्मा को क्या जीवन मिल जाएंगे ..... कंटक से भयभीत हुए तो,सुमन नहीं खिल पाएंगे...... कोई हाथ बढ़े तुम्हारे आबरू की ओर ,कभी न घबराना ..... हाँथ बढ़ने वाले का तुम,शीश काट कर चौराहे पे सज़ाना ...... सुप्त पड़ी अंतःशक्ति को तुम,कहो भवानी अब जागो, गिरो दामिनी बन भेड़िये पर,असि भय त्यागो ...... देखो अबोध मासूस चिड़िया को ,नोंच नोंच कर हवश मिटाते हैं ...... तड़प रही है तुतलाती सिसकियाँ , दरिंदे मौज मनाते हैं ....... खुलेआम चौराहों पर अबलाओं की इज्जत लुट जाती , तब छानबीन का खेल देखो ...... पाक पर्दा पड़ जता गुनाहों पर , अब नोटों का खेल देखो ..... रोज किसी को चीथड़े होने की बारी है आज क्या कल क्या ?..... सुप्त पड़ी नारी शक्ति सुन , खनकते चूड़ियों संग भर सकती हो हुंकार तलवार की क्या ? .... सीना ताने खड़ा भेड़िया , अपराध का उजाला है । हर सीनें में जलती आग पर , न जाने क्यूं अधर पर ताला है ।। पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसक
Ramgopal Singh
#5LinePoetry ©Ramgopal Singh एक बेचारी दुखियारी।
Odysseus