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ashish gupta
यादों का जंगल है जहा छम छमकर आती हो तुम जगनुओ की तरह बज उठता है दिल घुनगुरूओ की तरह महक जाता है हर पल खुसबुओं की तरह ©ashish gupta #BehtiHawaa यादों का जंगल है जहा छम छमकर आती हो तुम जगनुओ की तरह बज उठता है दिल घुनगुरूओ की तरह महक जाता है हर पल खुसबुओं की तरह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हरे छीट की चुनरी डाले ,पीला है परिधान । रंग बिरंगें फूल केश में , जैसे है गुलदान । आयी गोरी ऐसे जैसे , जैसे माघ बसंत जिसे देख के कहता मैं भी , कुदरत का वरदान ।। हरे छीट की चुनरी डाले ........ छमक छमक के उछल उछल के , जब चलती है चाल । पायल कंगन सब गातें हैं , गालों में है ताल । मीठे मीठे बोल बोलती , ले कोयल से तान ललक जगी है पिया मिलन की , करती काम महान ।। हरे छीट की चुनरी डाले ...... महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हरे छीट की चुनरी डाले ,पीला है परिधान । रंग बिरंगें फूल केश में , जैसे है गुलदान । आयी गोरी ऐसे जैसे , जैसे माघ बसंत जिसे देख के कहता मैं भ
Jyotshna Rani Sahoo
हां ये काजल से काला ये इंतेज़ार के अंधेरा मेरे होंठो की लाली अब तुम्हारे बिन है बिखरा पायल से ज्यादा सोर मचाएं यादें तुम्हारा इज़हार सुनने को बेकरार है ये दिल बिचारा। ओ, गोरी बडे लुभवन तेरी वो प्यारी आँचल... जादू कर गई तेरे आखोँ के वो काजल... तेरी होठों के लाली कर दिया हमें घायल... छमाक् छम् छमके तेरी पैरो
Vikramaditya Bhatt
Vikramaditya Bhatt
सोमेश त्रिवेदी
तू सुचित्त, चंचल चित्तवाली कामिनी, मन भामिनी... मेरा हृदय हो भवन तेरा, मेरे हृदय पथ गामिनी... अधर पाटल नैन कज्जल, मुख है चमकती चांदनी... केशपाश जस मेघाकाश, उस बीच दमके दामिनी... पाँव नूपुर छमक छम छम, चलत भूमि पग धरे... कंगन करे जो खनक खन खन, मेरा हृदय कंपन करे... मुदित मन, सुरभित पवन हो, स्पर्श तुझसे सुहावनी... प्रेम की परिभाषा तुझसे, है प्रेम का पर्याय तू... प्रेम का अध्ययन करूँ मैं, है प्रेम का अध्याय तू... हाँथ में हो हाँथ तेरा, साथ में हो साथ तेरा... तू मेरे हिय में समायी, तू ही बनी मन भाविनी... #NojotoQuote शृंगार रस में स्वरचित कविता... त्रूटियों से अवश्य अवगत करायें... तू सुचित्त, चंचल चित्तवाली कामिनी, मन भामिनी... मेरा हृदय हो भवन तेरा, मे
यशवंत कुमार
जलद (बादल) बिना मात्रा की कविता। Read in caption #baadal #clouds जलद (बादल) सर सर सर सर जलद सरस। झर झर झर झर जलद बरस। हरक्षण धवल जलद बरस।
Vandana
एक प्यास जिंदगी की एक अधूरी प्यास जिंदगी की उम्र भर भटकती है बीहड़ों में,,,,,, पतझड़ बीते सावन आए बीते दिन महीने साल,,,,,,, फूल खिले बसंत महके सुना सुना मन क