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REETA LAKRA
मातृ दिवस जब कोई खड़ा न हो साथ माँ थाम लेती हाथ रोती हों आँखें तो माँ चुप कराती जब नींद सताया करती माँ सर पर हाथ फेरती तुतरे बोल बोलती सुनती मा पा बोलना सिखाती प्रथम पाठशाला प्रथम शिक्षिका बनती कान पकड़ती गाल सहलाती क्या सही क्या गलत बताती जीत में शाबासी हार पर 'और एक बार' कह हौसले बढ़ाती माँ तो बस ऐसी ही होती माँ तो बस ऐसी ही होती ६४/३६५@२०२२ मदर्स डे पर कविताएँ पढ़ते हुए मेरे मन में हमेशा विचार उत्पन्न होता है कि बिन माँ की औलादों पर क्या बीतती होगी क्या कल्पना करते होंगे वे अपनी
REETA LAKRA
माँ का मुझ बेटी से रिश्ता, पता नहीं ; था भी कि नहीं ? बेटी ने कभी न देखी माँ ; न कभी पलट कर माँ आई एहसास न हुआ कभी, कहीं है पास, छोड़ दिया ; दूर गई, बेटी से भी कौन खास ? ममता न दी पर चलती रही सांस, माँ न रही माँ ; किससे रखती आस ? शब्द नहीं बयां कर सकते यह रिश्ता, पर यहाँ तो रिश्ता ही नहीं ; शब्द की क्या ज़रूरत ? सबसे सच्चा माँ का रिश्ता, कहाँ गई फिर मेरी माँ ? सबसे गहरा माँ का प्यार , गहराई में डुबा गई क्यों मेरी माँ ? अल्फाज़ की ज़रूरत नहीं माँ के लिए, पर क्या मेरी ज़रूरत नहीं मेरी माँ ? ज़िंदगी के थपेड़े सहने को छोड़ मुझे, शायद मुस्कुराती निकल गई मेरी माँ ६०/३६५@२०२२ मदर्स डे पर कविताएँ पढ़ते हुए मेरे मन में हमेशा विचार उत्पन्न होता है कि बिन माँ की औलादों पर क्या बीतती होगी ? क्या सोचते होंगे वे ? यह एक
shayari platform
धूप में बच्चे के लिए तपती है मां धूप में बच्चे के लिए झुलसती है मां गर्लफ्रेंड और बीवी तो कहीं भी मिल जाएगी लेकिन किस्मत वालों को मिलती है मां । ©shayari platform #MothersDay मदर्स डे पर हिंदी शायरी इमेज मदर्स डे पर शायरी हिंदी में
Anuj thakur "बेख़बर"
मदर्स डे की शुभकामनाएं 🙏💐 हमारी जिद पर जिसकी हां होती है! बसी बच्चों में उसकी जां होती है!! गोद में समाया है दुनिया भर का सुकूं मां जैसी भी हो मां तो मां होती है!!! ©Anuj thakur "बेख़बर" मदर्स डे
mani naman
जीवन के बोझ से अनजान था, एक नन्हा पौधा बड़ा सुनसान था,। बोला लड़खड़ाई तुतलाती जुबाँ से, पूछने लगा अपनी गरीब माँ से, अम्मा!सब बधाई दे रहें हैं भला ये क्या है? कुछ तो बतलाओ,आखिर मदर्स डे क्या है? माँ भी थी भोली, तपाक से बोली। कहीं हवेली हैं तो कहीं बरबस्त घौंसले है। मेरे बच्चे ये सब अमीरों के चोंचले हैं। माँ का दिन तो बस हम दुखियों का है, और ये मदर्स डे व्हाट्सप और फेसबुकियों का है। इतना कहकर वो आंसू पोछने लगी, जली रोटियों को देखकर कुछ सोचने लगी। चूल्हा पुराना था, आग भी थकने लगी, उधेड़बुन से कसमसाई आंखे टपकने लगी। आहिस्ता माँ ने खिड़की खोली, सर पर हाथ रखकर लल्ले से बोली, ये सब है समय काटने का बहाना, कितना ज़रूरी है यूं कोई डे मानना। मेरे लाला बस इतना जान ले ज़रा हकीकत को पहचान ले, बच्चे अगर काबिल ही होते तो बुढ़ापे में ग़म न होते, दरवाजों से औलाद को निहारते इतने वृद्धाश्रम न होते। मदर्स डे
Sandeep rathore
मै वो नहीं जो सिर्फ मदर्स डे पर माँ को याद करू, मै वो नहीं जो सिर्फ मदर्स डे के दिन ही मदर्स डे मनाऊं, मेरे लिए साल का पूरा 365 दिन मदर्स डे होता है..... sandeep...... मदर्स डे