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Shaikh Shabbir
खुशी क्या होती है इस पेड़ से पूछो जब तक इसके पास हरियाली थी तब तक ये भी हरा भरा था आज देखो सुख कर जमीन का बोझ बना पड़ा है इस पेड़ से हमे एक बात मालूम पड़ती है जिंदगी में हर इंसान से मोहब्बत करो सबसे मिलते जुलते रहो आप अगर किसी को रोज कोसेंगे क्या पता वो भी अंदर से टूट जाए और आपको पता तक ना चले जब तक वो पेड़ हरा था अपने आस पास को हरियालियो से भरा पड़ा था वैसे ही जिस इंसान से आप मोहब्बत करते हो उसे मत कोसो क्या पता कभी वो भी आपको छोड़ जाए इसलिए हर इंसा की कद्र करनी चाहिए ©Shaikh Shabbir शब्बीर शेख
The Poet
कहा फ़लक ने ये उड़ते हुए परिंदों से ज़मीं पे लोग मकानों में क़ैद रहते हैं फ़लक
Ankur Mishra
फ़लक से ज़मीं पे आ गिरा हूँ अपनों की महरबानी है आसमां में उड़ना चाहा था ज़मीं खिंच ली मेरी मेरे पैरों तले से ©Ankur Mishra #फ़लक #Hopeless
Shaikh Shabbir
क्यू कि तू अपनी खुबिया ढूंढ खामियां निकाल ने केलिए लोग है ना अगर कदम रखना है तो आगे रख पीछे खींचने केलिए लोग हैं ना सपने देखना है तो ऊंचा देख नीचा दिखाने के लिए लोग है ना तू अपने अंदर की चिंगारी भड़का जलने केलिए लोग है ना प्यार करना है तो खुद से कर नफरत करने केलिए लोग है ना जिंदगी को आगे बढ़ाते चल कब्र में लेजाने केलिए लोग हैं ना शब्बीर शेख ©Shaikh Shabbir I am शब्बीर बाबा #Mic
Diwan G
जिन्हें ऐतबार नहीं तुझपे, क्यों उनपे हक की बात करता है। उन्हें धरातल की समझ नहीं, और तू फ़लक की बात करता है। ©Diwan G #माहर_हिंदीशायर #फ़लक #WelcomLife
Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ."
*(फ़लक पे चाँद)* ए खुदा ऐसा कभी वक़्त न आये के उसे रोना पड़े ए खुदा ऐसा कभी वक़्त न आये के उसे रोना पड़े मैं सुकून से सोता रहूँ और उसे रातों में जगना पड़े मैं सुकून से सोता रहूँ और उसे रातों में जगना पड़े ©*Md Alfaz* #Dreams "फ़लक पे चाँद"
madhu Kurmi
ज़मीं से फ़लक तक, बस मुझे आए तू ही नजर तेरी सिवा और कोई न दिखे मुझे कही भी तू जो नही पास मेरे कैसे भला जी पाऊंगा हुए जो हालात कभी ऐसे ज़मीं से फ़लक तक बस रहना सदा तुम संग मेरे न जाना कभी छोड़कर भी तुम मुझे #ज़मी से फ़लक तक
Nirankar Trivedi
ज़मीं से फ़लक तक, ज़मी से फ़लक तक,फ़लक से ज़मी तक उसका ही फरमान चलता है | यू तो भरम सब को होता है, मेरे ही सहारे से ये ज़माना चलता है | #ज़मी से फ़लक तक
Abhi verma
ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए इक चाँद फ़लक पर निकला हो इक चाँद सर-ए-बाम आ जाए ©Abhi verma इक चाँद फ़लक abhi verma