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Yogeshwari Mukta
Hir
नाजाने ये ज़िंदगी में क्या क्या हो रहा है... मेरा सुकून ज़िंदगी से नाजाने कहा जा रहा है... ©Hir #ज़िंदगी_के_किस्से #ज़िंदगी_एक_जंग_है #सुकून_की_तलाश #सुकून_के_पल #नोजोटोराइटर्स #nojotohindi #Nojoto2liner #nojotoshayaristatus
Bhavan Thakkar
नजाने वो दिन कितना खूबसरत होंगा... जब सारे जहां में सिर्फ उजाला होंगा... मेरी कमियाबी का उस दिन त्योहार होंगा... ©Bhavan Thakkar #खूबसूरत #खूबसूरत_हाथों #ज़िंदगी_के_किस्से #ज़िंदगी_एक_जंग_है #nojotoword #nojotoshayri #NojotoWriter #nojotopoem
Ellipsis
क्यों तू इतना बिखर गई हैं? ऐ ज़िन्दगी, कुछ तो बता... आखिर क्यों तू इतनी उलझ गई हैं? नित नई समस्याएंँ तेरी, हर रोज़ परीक्षाएंँ तेरी, हल करते करते थक सी गई हैं, सारी ही आशाएंँ मेरी! मगर हौसलें अब भी बाकी है। हिम्मत का हाथ थामे हुए, तन्हा रास्तों पर निकल पड़ी हूंँ, मंज़िल को पाना बाकी है! ©Ellipsis कुछ तो बता ज़िंदगी... #ज़िंदगीकेकिस्से #उलझीज़िंदगी
Dilip Kumar
"आ तुझे आज, मैं जी भर के प्यार दूं। तेरी सूनी ज़िंदगी को तोहफ़े में बाहार दूं। ये बिखरी ज़ुल्फ़ें हाल बयां करती है तेरा। बैठ मेरी तसव्वर में तेरी ज़ुल्फ़ें मैं संवार दूं। भर दूं लाख खुशियां दामन में तेरे। जरा, आ पास तेरी नज़र मैं उतार दूं। हो इज़ाजत मुझको बसा लूं तुझे रूह में। तू कहे तो छूकर तेरे हुस्न को निखार दूं। या दूर से ही तेरा दीदार करता रहूं। तू बोले तो यूं मैं ज़िंदगी ग़ुजार दूं।" @दिलीप #NojotoQuote #ज़िंदगी_ग़ुजार_दूं।
Rajan Patel
उम्र सफर कर रही है और मैं ख़्वाहिशें लेकर वहीं खड़ा हूँ ©Rajan Patel #ज़िंदगीहैन
ML Suryavanshi
घूंट ज़हर के मिले तो भी पीना पड़ता हैं उधड़ी हुई ज़िंदगी को यूं सीना पड़ता हैं कभी जो हंसता हुआ देखो मुझे तो ताज़्जुब न होना कमबख्त यहां रोज मरकर भी रोज जीना पड़ता हैं ©ML Suryavanshi #ज़िंदगी_ऐ_बहार
Chandrasen Singh
ज़िंदगी माफ़ करते गुज़र गई, बार-बार उन्ही को मनाते गुज़र गई !! ©Chandrasen Singh #ज़िंदगीगुज़रगई
Chandrasen Singh
कैसे कहूं आपने दिए हैं इतने तोहफ़े ज़िंदगी ढूंढ रही है मौत के मौके #ज़िंदगी_ढूंढ_रही_है ©Chandrasen Singh #ज़िंदगी_ढूंढ_रही_है
Shweta Rajak
किताब ज़िंदगी की किताब में उलझ गई हूँ ऐसे कि समझ न पाऊँ खुद को न समझ पाऊँ अपनों के अंदर के मन को किसके मन में क्या चला कौन किससे कितना भला हर राह में उलझी सी हुई कड़ी बन जाती हूँ न इसे कभी सुलझा पाती हूँ बस मन में उलझ कर रह जाती हूँ न समझ आता क्या करूँ किससे मन की बात कहूँ मन ही मन सोच पाती हूँ अपनी हर बात को कहना चाहती हूँ प्रश्न लिए मन में कई सारे लिए फिरती हूँ। ©Shweta Rajak #ज़िंदगीकीकिताब