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Vibha Katare
"तरंग रंग सर्वदा, नमामि देवी नर्मदा" कृप्या अनुशीर्षक पढ़े .. मेरी माँ का बड़ी ही फुर्सत से सजाया गया पूजाघर और उस में हमेशा ही दोनों किनारों पर लाल चूनर से सजी काँच की दो शीशियाँ। इन शीशियों में साधारण
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्री राम के अलावा इन 4 से भी हार गया था रावण :- अधिकतर लोग यही जानते हैं कि रावण सिर्फ श्रीराम से ही हारा था, लेकिन ये सच नहीं है। रावण श्रीराम के अलावा शिवजी, राजा बलि, बालि और सहस्त्रबाहु से भी पराजित हो चुका था। यहां जानिए इन चारों से रावण कब और कैसे हारा था… बालि से रावण की हार:- एक बार रावण बालि से युद्ध करने के लिए पहुंच गया था। बालि उस समय पूजा कर रहा था। रावण बार-बार बालि को ललकार रहा था, जिससे बालि की पूजा में बाधा उत्पन्न हो रही थी। जब रावण नहीं माना तो बालि ने उसे अपनी बाजू में दबा कर चार समुद्रों की परिक्रमा की थी। बालि बहुत शक्तिशाली था और इतनी तेज गति से चलता था कि रोज सुबह-सुबह ही चारों समुद्रों की परिक्रमा कर लेता था। इस प्रकार परिक्रमा करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता था। जब तक बालि ने परिक्रमा की और सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया तब तक रावण को अपने बाजू में दबाकर ही रखा था। रावण ने बहुत प्रयास किया, लेकिन वह बालि की गिरफ्त से आजाद नहीं हो पाया। पूजा के बाद बालि ने रावण को छोड़ दिया था। सहस्त्रबाहु अर्जुन से रावण की हार:-सहस्त्रबाहु अर्जुन के एक हजार हाथ थे और इसी वजह से उसका नाम सहस्त्रबाहु पड़ा था। जब रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंचा तो सहस्त्रबाहु ने अपने हजार हाथों से नर्मदा नदी के बहाव को रोक दिया था। सहस्त्रबाहु ने नर्मदा का पानी इकट्ठा किया और पानी छोड़ दिया, जिससे रावण पूरी सेना के साथ ही नर्मदा में बह गया था। इस पराजय के बाद एक बार फिर रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंच गया था, तब सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था। राजा बलि के महल में रावण की हार:- दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। एक बार रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया था। वहां पहुंचकर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था। इस प्रकार राजा बलि के महल में रावण की हार हुई। शिवजी से रावण की हार:- रावण बहुत शक्तिशाली था और उसे अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड भी था। रावण इस घमंड के नशे में शिवजी को हराने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया था। रावण ने शिवजी को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन महादेव तो ध्यान में लीन थे। रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा। तब शिवजी ने पैर के अंगूठे से ही कैलाश का भार बढ़ा दिया, इस भार को रावण उठा नहीं सका और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया। बहुत प्रयत्न के बाद भी रावण अपना हाथ वहां से नहीं निकाल सका। तब रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उसी समय शिव तांडव स्रोत रच दिया। शिवजी इस स्रोत से बहुत प्रसन्न हो गए और उसने रावण को मुक्त कर दिया। मुक्त होने के पश्चात रावण ने शिवजी को अपना गुरु बना लिया। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्री राम के अलावा इन 4 से भी हार गया था रावण :- अधिकतर लोग यही जानते हैं कि रावण सिर्फ श्रीराम से ही हारा था,
Suyash
STATUE OF UNITY READ MORE 👇👇 :::::: STATUE OF UNITY ::::: ----------------------------- सन् 1947 में हमे अंग्रेज़ों से आज़ादी तो मिली लेकिन वैसे नही जैसे हम
Poetry with Avdhesh Kanojia
मेरी दृष्टि ✍️अवधेश कनौजिया© #मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है।
Poetry with Avdhesh Kanojia
मेरी दृष्टि #रावण #राम #ravan #ram #yqdidi #history #author मेरी दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती त
Mamta Singh
एक स्त्री अगर प्रेम करती है तो सिर्फ प्रेम करती है कोई हद नहीं रखती पर अगर विरक्त हो जाये कोई सरहद उसे नहीं रोकती... (अनुशीर्षक में पढ़े) एक स्त्री के प्रेम,सम्मान, और स्वाभिमान की कहानी मेरी सोना के पहले प्यार की कहानी मां नर्मदा 🙏 के उद्दभव की कहानी.. Eshu Anju Singh Archana Shukla✍️ AK Alfaaz... Disha Singh चिरकुंवारी नर्मदा की अधूरी प्रेम-कथा;- कहते हैं नर्मदा ने अपने प्रेमी शोणभ
Abundance
नर्मदा........ भारत की सारी नदिया पश्चिम से पूर्व की और बहती है लेकिन सिर्फ नर्मदा नदी पूर्व से पश्चिम बहती है,बाकी सारी नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती है लेकिन सिर्फ नर्मदा अरब सागर से मिलती है,एक दर्द भरी कहानी जिसके जड़ में तड़प, वेदना, अब्यक्त दर्द है..... नर्मदा नदी का विवाह नद सोनभद्र से तय हुआ था, नर्मदा के पिता ने कहा था जो गुलबकावली का फूल लाएगा उससे नर्मदा की शादी होगी, नर्मदा ने सोनभद्र को नहीं देखा था उसने दाशी रोहिला को बोला सोनभद्र को खबर करो मै उससे मिलना चाहती हु... रोहिला नहीं लौटी... फिर नर्मदा खुद गयी वहाँ उन्होंने दोनों को साथ देखा फिर वो क्रोध से कभी शादी ना करने की कसम खायी और उलटी दिशा की और जाने लगी और कुछ हिस्सा ये भी था...विवाह मंडप में बैठने से पहले नर्मदा को पता चला सोनभद्र का जुड़ाव जुहिला(एक आदिवासी नदी मांडला के पास बहती है )जो उनकी दाशी है उससे था, नर्मदा जो अच्छे घराने की थी उसे ये अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और मंडप छोड़ कर उलटी दिशा में चलने लगी जब सोनभद्र को गलती का एहसास हुआ तो वो नर्मदा के पीछे गए और कहे ****लौट आओ नर्मदा पर नर्मदा नहीं लौटी 🥺 वो कुंवारी रह गयी....और यही कारण रहा एक स्थान पर सोनभद्र से अलग होती नर्मदा दिखाई 🥺देती है नर्मदा इतनी पवित्र नदी है की गंगा नदी भी यहा स्नान करने आयी ... बिना स्नान किये सिर्फ नर्मदा दर्शन से पूरा पुण्य मिल जाता..जोहिला नदी भी उधर बहती लेकिन वो दूषित नदियों में गिनी जाति है... लेकिन नर्मदा वापस नहीं लौटी.. वहाँ के हर पत्थर को शिवलिंग माना जाता और बिना प्रानप्रतिष्ठा के पूजा भी होती... आज भी जो लोग नर्मदा की परिक्रमा करते है (और भी बातें मै बताउंगी ) उन्हें नर्मदा के विलाप की आवाज़ सुनाई देती..... सभी नदिया एक तरफ नर्मदा अकेली बहती रहती......... ©Mallika #नर्मदा