Nojoto: Largest Storytelling Platform

New घूँघट Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about घूँघट from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, घूँघट.

    PopularLatestVideo

Anjali Singhal

मन में एक दीप जला, प्रेम प्रज्वलित करके; चाँदनी नहाई हो जैसे, झील में उतरके। रूप-यौवन में बिन श्रृंगार ही, एक आभा सी चमके; रखे हैं आँखों मे #Poetry #AnjaliSinghal

read more

Eklakh Ansari

आएँ हैं वो मज़ार पे घूँघट उतार के मुझ से नसीब अच्छे है मेरे मज़ार के ~ क़मर जलालवी #kamarjalalvishayari #EklakhAnsari

read more

Eklakh Ansari

आएँ हैं वो मज़ार पे घूँघट उतार के मुझ से नसीब अच्छे है मेरे मज़ार के #kamarjalalvishayari #EklakhAnsari

read more
आएँ हैं वो मज़ार पे घूँघट उतार के
मुझ से नसीब अच्छे है मेरे मज़ार के

~ क़मर जलालवी

©Eklakh Ansari आएँ हैं वो मज़ार पे घूँघट उतार के
मुझ से नसीब अच्छे है मेरे मज़ार के

#kamarjalalvishayari 
#EklakhAnsari

Sarita Malik Berwal

काश! मेरे घूँघट की बजाय समाज अपनी आँखों का हिसाब देता!

©Sarita Malik Berwal #घूँघट

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मिल गया है प्यार में ये आज नज़राना मुझे । कह रहे हैं लोग सारे यार दीवाना मुझे ।।१ बह नही जाना कहीं तू आज फैशन होड़ में । देख तुमको भारती परिध #शायरी

read more
मिल गया है प्यार में ये आज नज़राना मुझे ।
कह रहे हैं लोग सारे यार दीवाना मुझे ।।१

बह नही जाना कहीं तू आज फैशन होड़ में ।
देख तुमको भारती परिधान पहनाना मुझे ।।२

तू नहीं घूँघट उठाती जो वहाँ बाज़ार में ।
तो नही पड़ता कभी भी यार शर्माना मुझे ।।३

क्या बताएं किस तरह तुमको पुकारा है यहाँ ।
तुम न आए जो यहाँ तो यार जलजाना मुझे ।।४

चाहतों से आज दिल को तू यहाँ मंदिर बना ।
और अपनी अर्चना का हार पहनाना मुझे ।।५

फिर नही होगा खुशी का सुन ठिकाना भी यहाँ ।
अब तुम्हारे दीद कर इस बार मुस्काना मुझे ।।६

यह प्रखर की इल्तिजा है यार सुन ले भी ज़रा ।
नाम से अपने बना दे आज अफ़शाना मुझे ।।७

०६/०५/२०२३   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मिल गया है प्यार में ये आज नज़राना मुझे ।
कह रहे हैं लोग सारे यार दीवाना मुझे ।।१

बह नही जाना कहीं तू आज फैशन होड़ में ।
देख तुमको भारती परिध

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

स्वार्थी लोगो का रिश्ता बतलाते कैसे । उनको अपना कहकर आज बुलाते कैसे ।। हम प्यादे थे सुन उठकर आ जाते कैसे । उसने दाँव लगाया तो पछताते कैसे । #शायरी

read more
स्वार्थी लोगो का रिश्ता बतलाते कैसे ।
उनको अपना कहकर आज बुलाते कैसे ।।

हम प्यादे थे सुन उठकर आ जाते कैसे ।
उसने दाँव लगाया तो पछताते कैसे ।।

सच्चाई से डर लगता है अब तो मुझको
झूठी बातें उनको आज सुनाते कैसे ।।

जख्म़ अभी सब हरे हमारे आकर देखो ।
बोलो ना जख्मों पर हम इतराते कैसे ।।

बनकर वो हमदर्द हमारे पहलू बैठे ।
अब उसका ये प्यार भला झुठलाते कैसे ।।

उठा रहे थे हम दुल्हनिया का जब घूँघट ।
बोलूँ कैसे यार हमी शर्माते कैसे ।।

उतरा चाँद हमारे आँगन खुशियां छाई ।
देख प्रखर को आज यहाँ मुस्काते कैसे ।।

०५/०५/२०२३     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR स्वार्थी लोगो का रिश्ता बतलाते कैसे ।
उनको अपना कहकर आज बुलाते कैसे ।।

हम प्यादे थे सुन उठकर आ जाते कैसे ।
उसने दाँव लगाया तो पछताते कैसे ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुहब्बत तुम्हीं से जताते चलें हम । तुम्हें आज अपना बनाते चलें हम ।। बता क्या रहीं धड़कने अब हमारी । तुम्हें साज वो भी सुनातें चलें हम ।। हय #कविता

read more
मुहब्बत तुम्हीं से जताते चलें हम ।
तुम्हें आज अपना बनाते चलें हम ।।

बता क्या रहीं धड़कने अब हमारी ।
तुम्हें साज वो भी सुनातें चलें हम ।।

हया जो नहीं तुम करो अब हमीं से ।
कहो आज घूँघट उठाते चलें हम ।।

अगर हाँ कहो तुम ए जाने जिगर तो ।
तुम्हें यार दुल्हन बनाते चलें हम ।।

भटकते रहोगे भुलाकर हमें तुम ।
तुम्हें याद ये भी दिलाते चलें हम ।।

२२/०४/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुहब्बत तुम्हीं से जताते चलें हम ।
तुम्हें आज अपना बनाते चलें हम ।।

बता क्या रहीं धड़कने अब हमारी ।
तुम्हें साज वो भी सुनातें चलें हम ।।

हय

Nishaaj

तारों भरी पलकों की, बरसाई हुई गज़लें है कौन पिरोऐ जो बिखराई हुई गज़लें वो लब हैं कि दो मिसरे और दोनों बराबर के ज़ुल्फ़ें कि दिले शायर पै छाय #शायरी

read more

कंचन

घूँघट में चेहरे को छुपा कर चली आ रही है मन ही मन आज वो खूब मुस्कुरा रही है दिल में थोड़ी बेचैनी सी भी है और खुशी भी आज वो दुल्हन बन दूसरे घर #विचार

read more

Vedantika

♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1041 collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को र

read more
घूँघट की आड़ में रोज बात हो रही।
चोर निगाहों से भी मुलाकात हो रही।

दीदार न हुआ उनका दिल बेताब है,
उसके ख़यालों में रोज रात हो रही।

चाँद भी बेक़रार हैं पाने को दीद तेरा,
फ़लक़ से फूलों की बरसात हो रही।

घूँघट का ले सहारा वो हक़ जताते हैं,
खनकते कंगन से गुफ़्तगू-ए-जज़्बात हो रही।

कब तलक़ रहेगी आड़ घूँघट की दरम्यान?
वस्ल की न जाने कब से ख़्वाहिशात हो रही। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1041 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को र
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile