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Anamika
ये साईड इफेक्ट के पैनें घाव, बिन मौसम बह ही जाते स्राव .. #साईड_इफेक्ट #स्राव #एकख़याल
zindagi@0km
सफेद रक्त आँखों मे बहता रहा फिर रात भर इन अश्को का तापमान गर्मी में भी 0 डिग्री रहा बहुत शुष्क बहते रहे ये दरिया में पर मिलने को कोई समंदर न रहा सफेद रक्त
M.K Meet
"मेरी मुहब्बत इस सफेद गुलाब की तरह पाकिजा है..... जहांपनाह:- क्या इसे अपके दिल में, थोड़ी सी जगह मिलेगी" !! meet #सफेद गुलाब
Kajalife....
रंग बदलते देर कहाँ लगती है मेरे हाथों में लाल की बजाय अब सफेद गुलाब था केवल और केवल मौन... स्तब्धता... और कोई रंग नहीं प्रेम का.... फरेब का... एकदम साफ.... बेदाग...!! ©Kajalife.... सफेद गुलाब
Rajneesh Ranjan
Truth सफेद रंग शान्ति का प्रतिक । अपने अन्दर सभी रंगो को समाहित करने का रंग। इन्सान , भले ही मन का काला क्यूं नही हो परंतु तन तो चहता है सफेद ही। ये जो , सफेदपोश होते हैं, उनके ही हाथ काले कारनामओं से रंगे होते हैं । मानो तो काले काम की लिबास है सफेद रंग। बदनाम ना हो जाए इसकी चिंता सताती है। मगर दुसरे की बदनामी समझ नही आती । मतलबपरस्ती की दुनियाँ में , उलझनें अनेक हैं, सभी एक दुसरे को इस्तेमाल की चीज़ समझते हैं । ऐसे मे कौन अपना है, कौन पराया कहना कठिन । कितने भी काले सफेद में बदल दिये जाएँ मगर अन्त मे गालियाँ ही मिलती है। खाने को यारों , किसी को रुपये दे दो। मगर बुद्धि नही। रजनीश रंजन सफेद रंग
Rajneesh Ranjan
सफेद रंग शान्ति का प्रतिक । अपने अन्दर सभी रंगो को समाहित करने का रंग। इन्सान , भले ही मन का काला क्यूं नही हो परंतु तन तो चहता है सफेद ही। ये जो , सफेदपोश होते हैं, उनके ही हाथ काले कारनामओं से रंगे होते हैं । मानो तो काले काम की लिबास है सफेद रंग। बदनाम ना हो जाए इसकी चिंता सताती है। मगर दुसरे की बदनामी समझ नही आती । मतलबपरस्ती की दुनियाँ में , उलझनें अनेक हैं, सभी एक दुसरे को इस्तेमाल की चीज़ समझते हैं । ऐसे मे कौन अपना है, कौन पराया कहना कठिन । कितने भी काले सफेद में बदल दिये जाएँ मगर अन्त मे गालियाँ ही मिलती है। खाने को यारों , किसी को रुपये दे दो। मगर बुद्धि नही। रजनीश रंजन सफेद रंग
Sunita Katyal
सखियों बताइए किस किस ने सफेद कोट वालों से कर्जे लिए हैं #gif सफेद कोट
Shreya Subharya
मै सफेद में लिपटी हूं अरमानों को दफन कर मै कायदों से सिमटी हूं मै हजार दागों से सनी हुई छुपकर सफेद से लिपटी हूं। वो वादें तोड़कर गया जहां छोड़कर तो बस अभी अभी कसमों से निपटी हूं वो मजहब धर्म के नाम पर धर्म से दूर करे मुझे क्यूंकि मै सफेद से लिपटी हूं। ना जाने कौन सा गुनाह मेरा की मनुहुसियत के डर से लोगों से छिपती हूं समाज ना जाने क्यों इतना घृणा करे मुझसे कहते है मै सफेद से लिपटी हूं ये सादगी सी जिंदगी जीते अब सादे पोशाक में मारी सी फिरती हूं इतनी सफेदी में हजारों कलंक है जानी क्यूंकि मै सफेद से लिपटी हूं। श्रेया शुभार्या #सफेद #समाज