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Writer1
जज्बातों के समंदर इस तरह बह चले सैलाब भी शर्मिंदा हैं, दिल पर आघात और आंसू भी हैरान कि आब भी जिंदा हैं, नरगिस ए साहिर जो थी कभी अब तेरी याद में है आबशार, गम टपके आखों से बैचैन हो तड़पता उठता हैं ज़ार-ज़ार, बरसती आंखों के सैलाब को अब तुम ना रोक पाओगे यारा, हृदय आघात कर यादों में सिसकती सांसों का इल्ज़ाम है यारा, हसरतें ए तम्मन्ना को आख़िर क्यों इस तरह विध्वंस किया, मरना भी चाहा हमनें तो तेरी हंसी यादों ने हमें मरने ना दिया, सदा सर्कशी ए दिल शायद अब बुलंद होने लगी है दिल ए दहशत ए विरान में जाहिरन दीद की चाह होने लगी, दीद- ए-पुर- नम पर दर्द के आंसू स्वप्न मिस्ल ठहरा गए, बरसती आंँखों के हिज़्र की पीड़ा से दरस को तरस गए, पेशवा मेरे दिल का आहिस्ता-आहिस्ता अ़ंजम हो गया, कसदन वो संगदिल सनम परखने में मुलावविस हो गया, बस कर ' रोज़ी' कब तक मासूम दिल को अंधेरे में रखोगी, ख़ामोश धड़कन जो थे पढ़ते उनसे सुनामी दर्द को दिल में छुपाओगी। नरगिस ए साहिर: जादूगर आंखे आबशार: झरना सर्कशी: बगावत दिल ए दहशत ए विरान: दिल का विरान जंगल दीद- ए-पुर- नम: भीगी आंखे मिस्ल: की तरह पेशवा: र
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ होलकर वंश के प्रवर्तक एवं मध्य भारत में मालवा के प्रथम मराठा सूबेदार मल्हार राव होलकर जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन। 🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏 परम् पराक्रमी मल्हार राव जी पेशवा बाजीराव के विश्वसनीय सूबेदार थे, जिन्होंने उत्तर भारत में मराठा साम्राज्य का विस्तार किया।अद्भुत साहस और पराक्रम के प्रतीक मल्हार राव होलकर जी की गौरव गाथा युगों-युगों तक देशवासियों में राष्ट्रप्रेम की अलख जगाती रहेगी.. I ✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ होलकर वंश के प्रवर्तक एवं मध्य भारत में मालवा के प्रथम मराठा सूबेदार मल्हार राव होलकर जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन। पर
JALAJ KUMAR RATHOUR
"पापा हम क्यों पढते हैं इतिहास कितना बोरिंग है ये सब्जेक्ट हैं ना मैं जब पैदा ही नही हुआ मुझे तब की भी तारीखों को याद करना पड़ता है " पास में ही बैठे अपने पापा से प्रेम ने ये पूछा ,देश पांडे साहब ने मजाकिया लहजे से कहा बेटा तेरे बाप ने भी पढा और हर बार मन में यही प्रश्न उठा पर आज तक इस सवाल का जबाब ना मिला, बगल में ही बैठे प्रेम के दादा जी भारत पांडे जी ने उसके पापा देश पांडे के कान को ऐंठते हुए कहा , "तेरे में इतनी बुद्दी ही कहाँ थी रे मोड़ा जो तू जू सवाल पुछतो जू तो हमाओ नाती है जो जे सवाल पूछ रहो है , प्रेम को अपने पास बैठा कर भारत पांडे जी ने कहा "बिटवा जो जे इतिहास होवे है ना जी हमें तासो पढाओ जावे है कि हम अपनी पुरखों की गलतियों से सीख ले और जिने फिर ना दोहराये, प्रेम ने दादा से पूछा पापा वो कैसे तो उन्होंने बताया बेटा मराठा महाराजा छत्रपति शिवा जी महाराज के वंशजो में एक वीर योद्धा थे सदाशिव भाऊ जो मराठा साम्राज्य के रक्षक थे उन्होंने बाहरी आक्रमणकारियों को भारत से भागने के लिए आपने विश्वास पात्र सेनानायक इब्राहीम खान के साथ मिलकर युद्ध लड़ा उस वक्त उन्होंने भारतियों राजाओं से मदद मांगी परंतु कुछ राजाओं ने उनकी मदद ना की जिनमे कुछ राजा हिंदू थे पर उनमे से एक था सिराउजुदौला जिसने पहले तो हाँ कर दी परतुं जब उसको धर्म की कसम दी गयी तो उसने देश से पहले धर्म को चुना और सदा शिव भाऊ का साथ नही दिया इसके विपरीत सकीना बेगम ने सदा शिव भाऊ का साथ दिया और धर्म से पहले देश को रखा,पानीपत के मैदान मे अपनी मातृभूमि के लिए बाजीराव पेशवा के भतीजे सदा शिव भाऊ ने अदम्य साहस के साथ दुश्मनो से लडते हुए अपने प्राण त्याग दिये वो उस दिन हार कर भी जीत गए थे| क्युकी अहमद शाह अब्दाली ने खुद कहा था यहाँ के लोगो को हराना है तो इन्हे आपस मे लड़ाओ और इतिहास हमें सिखाता है की पहिचानो हाँ पहिचानो अपने आस पास से सिराउजुदौला और इब्राहिम खान जैसे वतन के गद्दारों को और सम्मान करो सकीना बेगम जैसी वतन की नारी शक्ति का " जब भारत पांडे जी ने प्रेम की और देखा तो वह सो चुका था आज के भारतीय युवाओं की तरह , भारत, देश प्रेम के जाग जाने की उम्मीद में था और शायद आज भी है धर्म देश से बड़ा नहीं होता, साहब ....... #जलज राठौर "पापा हम क्यों पढते हैं इतिहास कितना बोरिंग है ये सब्जेक्ट हैं ना मैं जब पैदा ही नही हुआ मुझे तब की भी तारीखों को याद करना पड़ता है " पास म
ADITYA
Shiwalika_SSS
"विजयगाथा" सदियों की वो विजयगाथा भारत फिर दोहराएगा, समय बहुत कठिन है मगर जल्द ही बीत जाएगा, ए दुश्मन तू हर एक गुनाह का हिसाब चुकायेगा, समय बहुत कठिन है मगर जल्द ही बीत जाएगा।। Read the caption.... I wrote it about the attack & revenge last year when the most unfortunate event took place in our country 🙏🙏🇮🇳🇮🇳here's the full poem:-
Samir Gautam
आप सभी लोगों को सूचित किया जाता है कि दुर्गा पूजा में मेला या पंडाल में अपने छोटे बच्चों को साथ ले जाते समय एक पेपर मेंअपना नाम व पता और मोब
Jangid Damodar
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। #NojotoQuote झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी