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Neel
प्रेम पर ग्रंथ एक लिख दूं या कह दूं अनगिनत किस्से, प्रेम से इतर क्या है यहां, कितने हैं अनछुए हिस्से। कोई आंखों से पढ़ता है, कोई होठों से गढ़ता है, कोई हाथों की नरमी से, दिल की हर बात कहता है। कोई कहकर भी न समझे, कोई जाने अनकहे ही, कोई चाहे न रहकर साथ, कोई पूजे बिन मिले ही। प्रेम की न कोई भाषा, प्रेम की न कोई बोली, जिसने मन राम बन साधा, सीता बन वो उसकी हो ली। प्रेम अनवरत बहता झरना, प्रेम पावन गंगा- यमुना, प्रेम सा कुछ पवित्र न जग में, प्रेम के जैसा दूजा सम ना। कितना कुछ कह चुके हैं लोग, कितना कहना अभी बाकी, प्रेम पर कितना कुछ लिख दूं, कितना लिखना अभी बाकी। प्रेम पर ग्रंथ एक लिख दूं, या कह दूं अनगिनत किस्से, प्रेम से इतर क्या है यहां, कितने हैं अनछुए हिस्से।। 🍁🍁🍁 ©Neel प्रेम ग्रंथ 🍁
Neel
प्रेम पर ग्रंथ एक लिख दूं या कह दूं अनगिनत किस्से, प्रेम से इतर क्या है यहां, कितने हैं अनछुए हिस्से। कोई आंखों से पढ़ता है, कोई होठों से गढ़ता है, कोई हाथों की नरमी से, दिल की हर बात कहता है। कोई कहकर भी न समझे, कोई जाने अनकहे ही, कोई चाहे न रहकर साथ, कोई पूजे बिन मिले ही। प्रेम की न कोई भाषा, प्रेम की न कोई बोली, जिसने मन राम बन साधा, सीता बन वो उसकी हो ली। प्रेम अनवरत बहता झरना, प्रेम पावन गंगा- यमुना, प्रेम सा कुछ पवित्र न जग में, प्रेम के जैसा दूजा सम ना। कितना कुछ कह चुके हैं लोग, कितना कहना अभी बाकी, प्रेम पर कितना कुछ लिख दूं, कितना लिखना अभी बाकी। प्रेम पर ग्रंथ एक लिख दूं, या कह दूं अनगिनत किस्से, प्रेम से इतर क्या है यहां, कितने हैं अनछुए हिस्से।। 🍁🍁🍁 ©Neel प्रेम ग्रंथ 🍁
Archana Tiwari Tanuja
तुम सामने बैठो :- तुम सामने बैठो मैं तुमपे लिखूं कविता, श्रृंगार लिए प्रेम रस की बहती सविता। अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️ (पूरी ग़ज़ल कैप्टन में पढ़े) ©Archana Tiwari Tanuja #forbiddenlove #Nojoto #NojotoHindi #Nojotowriters #NojotoFilms #Viarl #MyThoughts #hindi_poetry #shayrigazal #hindisahitya 20/06/2023 ग़
एक इबादत
"लाडली" मुझे अपनी मोहब्बत की कभी ढ़लती शाम नही लिखना है तेरे- मेरे प्यार को कभी पूर्णविराम नही लिखना है मैं भले हो जाऊं अकेला पर हर पल संग तेरा एहसास रखना चाहता हूँ तुझसे जुडी़ हर याद हर अरमां,हर ख्वा़ब को आबाद रखना चाहता हूँ "जान" मैं अपने प्रेम की कहानी नही बल्कि एक प्रेम उपन्यास लिखना चाहता हूँ बेशुमार तेरी चाहत,बेशुमार प्यार को तेरे बस अपनी दड़कन,हर सांस लिखना चाहता हूँ "गुलाब" मैं तुझे खुद का पूरा किरदार लिखना चाहता हूँ अपने जीवन के बाग का हर बहार लिखना चाहता हूँ हाँ "कवि" मैं अपने प्रेम का एक प्रेम ग्रंथ लिखूंगा उसमें तुझे अपना खुदा ,और सच्चे मन से इबादत लिखूंगा.! "लाडली" मुझे अपनी मोहब्बत की कभी ढ़लती शाम नही लिखना है तेरे- मेरे प्यार को कभी पूर्णविराम नही लिखना है मैं भले हो जाऊं अकेला
LOL
यूँ ना बनाओ पुर्जे खतों के मेरे लिए ये प्रेम-ग्रंथ हैं.. तुमको पाने की तरकीबें इनमें जीतने के कुछ षड्यंत्र हैं तुम पर है जो न्यौछावर उस प्रेम के कई अंग हैं.. तुम जानो ना हाल प्रियसी यादों के खंजर जब चुभते हैं टुकड़ा-टुकड़ा हो जाता हूँ खाक मंजर सब चुभते हैं.. ये कुछ कागज के पन्ने जिनमें अब तुम रहती हो यही तो मेरा आसरा हैं मेरी छत हैं मेरे जीवन के स्तंभ हैं.. -KaushalAlmora लिखते हुए तुम्हें कुछ पन्ने जो भीग जाते हैं अक्सर संभाले हैं वो मैंने सब गेंद बनाकर कभी खेल लेना इनसे भी तुम तुम्हें कुछ अच्छा लगेगा इजहार-ए
subodh kumar
तुम्हारे इंतज़ार मे देखो मैने फूल बिछा कर रखा है चांद से लेकर रौशनी उधार मैने शमा जला कर रखा है, हवाओं में भी खुशबू है शाख पे पत्ते डोल रहें तुम कहकशाँओ की रानी हो तारों को सज़ा कर रखा है| तुम्हारे माथे पर कुमकुम की जगह चांद मुझे सजाना है बड़ी मिन्नतों से माना है चांद को पास बिठा कर रखा है, है रात बड़ी चुपचाप यहां तुम्हारे आने से कोई हरकत हो पंछी नदिया झरनों को मैने तुम्हारे दीदार को रोक रखा है| अब और देर करो ना तुम दिल मेरा है धड़क रहा सारा प्यार तुमपे लुटाना है जो दिल में छुपा कर रखा है, लिखना है तुम पर गज़ल कोई जो प्रेम ग्रंथ बन जायेगा जो अब तक ना लिखा गया इश्क में वो ख्याल छुपा कर रखा है| तुम्हारे इंतज़ार मे देखो मैने फूल बिछा कर रखा है चांद से लेकर रौशनी उधार मैने शमा जला कर रखा है हवाओं में भी खुशबू है शाख पे पत्ते डोल रहें
AK__Alfaaz..
था उसका घर, उसके प्रेम के, हृदय की उत्तर दिशा मे, उसकी हथेलियों की रेखाओं से, चार कोस दूर, पलकों की मेड़ से सटे, जहाँ उसके एक किनारे, अश्रु सरोवर मे, खिलते हैं.. उसके, वियोग के नीलकमल, पूष की रात मे, जिन पर गिरी ओस की बूँदें, टिमटिमाती हैं, किसी.. टूटे तारे की भाँति, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #प्रेम_ग्रंथ था उसका घर, उसके प्रेम के, हृदय की उत्तर दिशा मे, उसकी हथेलियों की रेखाओं से,
Sangeeta Verma
गीता हो या कूरान लिखा है हर ग्रंथ मे तेरा मेरा प्यार ना बेर हो किसी से ना दूश्मन हो कोई ए मित्रा मेरे आँखे हंसती वही है जहाँ मिले तेरा मेरा प्यार गम धूप से मिलती है राहत जब छांव करे तेरा मेरा प्यार यादो के पन्ने पलट कर तो देखो जब सब की जुबां पर था तेरा मेरा प्यार । ( चाँदनी) ©Sangeeta Verma ग्रंथ
Ritu shrivastava
ग्रंथ ग्रंथ में अर्थ छुपा,ग्रंथ ही तारणहार ग्रंथ पढ़े तभी मिले इस जीवन को विस्तार। ©Ritu shrivastava #ग्रंथ