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Prakash Vidyarthi
।।।।।।।कलम ए विद्यार्थी।।।।।।। +++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ आज सुबह सबेरे चमचमाती धूप में नीले अम्बर को निहारती जैसे किसी हिरण रूपी रौशनी को देखा! सुनसान बंजर खेतों के बीच खड़ी चारों तरफ फलों से लदे लहराती गेहूं चने के झूमते पौधों और टहनी को देखा !! लूक छिप लूक छिप झगड़ा मेल कभी फुटबॉल क्रिकेट का सेल भाई बहन पड़ोसी भेल मानव और जानवर में फिर कैसा बेमेल । छुक छुक मंद गति से कभी तेज़ रफ़्तार से चल रही थीं अपनी रेल! सफ़र था विद्यालय तक का पर देख रहा था मैं कुछ दूसरा खेल !! उठकर तो कभी बैठकर झांक रहा था उच्चकर मैं खिड़की से भी! कितनी सुन्दर कितनी प्यारी हिरण न भाग रही थी हिचकी से भी।। टेढ़ी +मेढ़ी लकड+अकड़ सी सिंघ सोभती पाती हुईं थीं कानों को सिर कर सीधा मासूम भरी कोमल निगाहों से आह रही थीं वाणो को!। उछल कूद लगा भूल गईं थीं शायद शान्ति की थीं तालाश में आनन्द अब न उसे कुछ आ रहा था हरे भरे फूलों और घास में । अकेली निर्जन वातावरण में बन की विरहन सी सजी दुलहन प्रेम पिपासी लग रही थीं खोई थी प्यारे प्रभू के आश में ।। पहले जैसा अब कुछ भाव न दिखा जैसे कोई जंगली डरती हैं कनक खनक न कुछ बता रही थी मृग नयनी बस आहे भरती हैं! पूछ का पक्ष बना संकेतक बालो का प्रमाण अब बताता है। कोई धनुर्धर महाबली किसी का आजकल न पीछा करता हैं!! चेहरे का भाव बता रहा था उसकी भी मन की कुछ ईक्षा थीं प्यार नफरत के वृत्ताकार केंद्र बीच होनेवाली अग्नि परीक्षा थीं! सोच रही थीं गर कोई मिले भी तो न कन्हैया और न श्रीराम सा थीं ख्वाइश घायल दिल के उसको महादेव कैलाशी महान सा।। @विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi #aaina #पोएट्री #कविताएं
Siddhant Pawas
इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम, तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है। (सिद्धान्त पावस) ©Siddhant Pawas #silhouette #पोएट्री
Aman
जरा सा.. कपड़े जो काले पड़ गए हैं मेरे पीछे उजाले पड़ गए हैं.. दरों पर "Welcome" लिखा हुआ है.. और दरवाजों पर ताले पड़ गए हैं..!! ©Aman #streetlamp #पोएट्री
आगाज़
खोल उम्मीद का पिटारा आज गई जन-जन के पास की मदद की बात न सुनी न कही किसी ने कोई बात उदास चेहरा दिखाकर चल दिए कुछ यार... फिर बारी अपनो की आई कुछ अपने अपने निकले कुछ बैगाने हुए.. जो आई मित्रों के करीब सब तैयार थे चाहे हो गरीब। Laghima...✍️🏻 ©आगाज़ #पोएट्री aditi the writer Niaz (Harf) amit pandey Kamaal Husain
Bhawna Sagar Batra
ओह तू इश्क़ सिलाइयां बुन सकदा ए , मेरे सिर ते चुन्नी ढक सकदा ए , जे मैं हां फुल बगीचे दा , तू मेरा माली बन सकदा ए ।। ©Bhawna (SB) #airballoon माड़ी जेही कोशिश पंजाबी च लिखन दी #लव #पोएट्री
Bhawna Sagar Batra
तुम्हारे साथ से बेहतर भी कुछ हो सकता है कभी सोचा न था , किसी शाम तुम्हारी यादों को तुमसे बेहतर पाऊंगी ©Bhawna Sagar Batra #Exploration #पोएट्री #kavitayein #hindipoetry
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