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Pradyumn awsthi
आज के मानव की ये सोच बन चुकी है कि जितने भी अमीर इंसान होते हैं जिसके पास आलीशान बंगला, नौकर चाकर, असीम धन दौलत होती है केवल ऐसे लोग ही सुखी होते है लेकिन मात्र धन दौलत से कभी सुख चैन नहीं मिल सकता है भले ही वह रोज चप्पनभोग ही क्यों ना खा रहा हो केवल दुनिया को लगता है कि अमीर आदमी सुखी रहता है लेकिन अमीर कितना ज्यादा दुखी है यह तो उसे ही पता होता है महत्वपूर्ण बात यह है कि जहां प्रेम, संतोष और आत्म शांति होती है वहां सदैव आनंद, सुख बरसता है फिर चाहे वह घांस की झोपड़ी ही क्यों ना हो , मजदूरी करने वाला सूखी रोटी खाता है जमीन पर सोता है फिर भी वह सुखी रहता हैं उसे किसी भी बात की कोई भी चिंता नहीं रहती हैं आप किसको, कितना महत्व देते हैं यह बात आपके जीवन में बहुत ज्यादा मायने रखती है ©pradyuman awasthi # महत्व जीवन का #grey
mangalviras
जब इस बात का सबको पता है कि किसी कै एक झुठ सै किसी की जिन्दगी बर्बाद हो जाती है ः तो फ़िर इतना सबकुछ जानतै हुऐ भी कोई किसी सै झुठ पर झुठ और झुठा दिलास देतै रहते है ः तो क्या वो इसका परिणाम नही जानते या फ़िर कोई किसी की जानबुज कर जिन्दगी बर्बाद करना चाहते है ः ःऔर अगर ऐसा है तो ऐसा क्यों ः ः।। मंगल विरास ।।ः ©mangalviras #hand किसी के जीवन का महत्व
RAM LALITNIRALA R. K. G
ऐ गुमराह जिन्दगी जिनेवालों.ना जंन्त ना स्वर्ग पावोगे. जिस दिन माँ का आँचल छूटा उस दिन सीसा के तरह टूट के बिखर जाओगे ©RAM LALITNIRALA R. K. G #WinterLove जीवन में माँ का महत्व
#WinterLove जीवन में माँ का महत्व #शायरी
read moreEk villain
जिस प्रकार बाहर के वातावरण में वसंत ग्रेशम एवं पतझड़ इत्यादि ऋतु का आगमन होता रहा है वैसे ही हमारे भीतर भी हिंदुओं का "होता रहा है भीतर में प्रकट होने वाली यह रितु हमारी मानसिक दिशाएं होती हैं दरअसल बसंतपुर पतझड़ सुख-दुख तथा खुशी उदासी रूपी हमारे मानसिक दिशाओं के प्रति किए कारण है कि मनुष्य को यह दिन दोनों ही रेत व अन्य देशों की तुलना में अधिक आकर्षित करती है यह बहुत स्वाभाविक भी है जब हम खुश होते हैं तो हमारे भीतर खुशियों वाला रसायन प्रभावित होते हैं ऐसे में हमारे भीतर दुख की भावना पैदा करने वाले रसायन समिति अवस्था में चले जाते हैं दूसरी ओर जब हम खुद दुखी होते हैं जो हमारे भीतर दुख और दासी वाला रसायन प्रभाव से होता है जिसके फलस्वरूप हम दुखी और उदासीन महसूस करने लगते हैं आध्यात्मिक गुरु ओशो ने भी कहा है जैसे बाहर में वसंत है वैसे ही भीतर भी वसंत घटता है और जैसे बहार पतझड़ है वैसे ही भीतर भी पतझड़ आता है फर्क इतना है कि बाहर के औसत और पतझड़ नियति से चलते हैं वही भीतर के वसंत और पतझड़ नियतिवाद नहीं है आप स्वतंत्र हो चाहे पतझड़ हो जाए वसंत हो जाए इतनी स्वतंत्र चेतना की है तात्पर्य यह है कि अपने मित्र प्रकट होने वाली मौसम के लिए स्वार्थ हमें भी जिम्मेदार होते हैं यदि हम चाहे तो अपने भीतर बसंत को प्रकट कर सकते हैं और यदि चाहे तो 5 + को बुला सकते हैं ©Ek villain #जीवन में बसंत का महत्व #mahashivratri
#जीवन में बसंत का महत्व #mahashivratri #Society
read moreGeerisha Acharya
जीवन की सबसे बेहतरीन यादें.. जब हमने पहली बार लिखना सीखा था.. जीवन में शिक्षा का महत्व सर्वोपरि..
जीवन में शिक्षा का महत्व सर्वोपरि..
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