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Mukesh Tyagi

पवन का झोंका है तेरा प्यार #SunSet #कविता

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⚘⚘ Pyar ya dhoka ⚘⚘
पवन का झोंका है तेरा प्यार
पवन का झोंका
कभी आता है कभी जाता है
धोख़ा है मेरे यार ये धोख़ा
पवन का झोंका है तेरा प्यार 
पवन का झोंका
कभी प्यार के दीप जलाता है 
कभी बुझाकर चला जाता है
ना करती तू इन्कार ना करती तू इकरार
इसे समझूँ प्यार या समझूँ कोई धोख़ा 
बता कैसे समझूँ इसे प्यार
कैसे करूँ भरोसा
पवन का झोंका है तेरा प्यार 
पवन का झोंका
कभी आता है कभी जाता है 
धोख़ा है मेरे यार ये धोख़ा 
पवन का झोंका है तेरा प्यार

©Mukesh Tyagi पवन का झोंका है तेरा प्यार 

#SunSet

Shravan Goud

मत कर माया को अहंकार मत कर काया को अभिमान काया गार से कांची

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संत कबीर का भजन मुझे यथार्थ की ओर ले जाता है।

मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया गार से कांची

हो काया गार से कांची
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाए
झपका पवन का लग जाए
काया धूल हो जासी
काया तेरी धूल हो जासी

संत - कबीर मत कर माया को अहंकार

मत कर काया को अभिमान

काया गार से कांची

shalini jha

भावनाओं के सागर में डूबती गहरे उतर देखा है मैंने ठहरा हुआ सा मन का वो बसंत उमंगो के आकाश में रक्तिम पलाश से लगी आग जो अब तक बुझी नहीं #Love #togetherforever

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भावनाओं के सागर में डूबती 
गहरे उतर देखा है मैंने 
ठहरा हुआ सा 
मन का वो बसंत 
उमंगो के आकाश में 
रक्तिम पलाश से 
लगी आग 
जो अब तक बुझी नहीं 
सौरभ से परिपूर्ण 
जागृत शिखा सी 
आत्मा का अनुताप 
पलकों पर सुन्दर 
कोमल सपनों का बसेरा 
कई अभिलाषाएँ  
 एक खिंचाव ..
उत्ताल तंरग पर नाचती संध्या 
हृदय के गीतो में 
समाहित सुरभित सुगंध 
झोंका पवन का 
झड़ते पात संग 
भावों के झड़ते पनपते रंग
मन के झरोखों को
 खोलता हुआ सा 
एक पुकार और अबुझ 
फागुन का शोर 
बस तुम्हारी ही  ओर ..

©shalini jha भावनाओं के सागर में डूबती 
गहरे उतर देखा है मैंने 
ठहरा हुआ सा 
मन का वो बसंत 
उमंगो के आकाश में 
रक्तिम पलाश से 
लगी आग 
जो अब तक बुझी नहीं

Kiran Bala

रिश्ते रूपी कोमल पुष्प  सदैव प्रेम की धरा पर  ही अंकुरित होते हैं  जो सहयोग की ऊष्मा से #Life #Truth #kavita #nojotohindi #vichar #Rishtey #TST #kiranbala

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रिश्ते 



रिश्ते रूपी कोमल पुष्प 
सदैव प्रेम की धरा पर 
ही अंकुरित होते हैं 
जो सहयोग की ऊष्मा से
स्वतंत्रता-सी पवन का
स्पर्श पा खिल उठते हैं 
धैर्य रूपी मुंडेर का
पा संबल सुदृढ़ता से बढ़ते हैं 
विश्ववास रूपी जल का
पा सानिध्य निखर उठते हैं 
'रिश्ते'भावना की डोर में 
पिरोए प्रेम के मनके सम
समर्पण का प्रतीक बनते हैं 
वेदना के कोमल वेग से 
जब बिखरते हैं पत्ता-पत्ता 
हो व्यथित बिखर उठते हैं 


                 



  रिश्ते रूपी कोमल पुष्प 

सदैव प्रेम की धरा पर 

ही अंकुरित होते हैं 

जो सहयोग की ऊष्मा से

Kulbhushan Arora

बिखरे अक्षरों विनती है तुमसे कोई सुन्दर से शब्द में संवर जाओ भाव भर लो आंखों में किसी के लिए स्नेह भर उसके हृदय में उतर जाओ #yqhindi #yqquotes #yqकुलभूषणदीप #yqमोती

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अक्षरों से बिनती 🙏🏼🙏🏼
अक्षर मोती होते हैं,
बिखरे मोती...
जब सहेज लिए जाते,
सुंदर सी माला हो जाते बिखरे अक्षरों
विनती है तुमसे
कोई सुन्दर से शब्द में
संवर जाओ
भाव भर लो आंखों में
किसी के लिए 
स्नेह भर उसके हृदय में
उतर जाओ

Kulbhushan Arora

Dedicating a #testimonial to Bikhre Moti बिखरे अक्षरों विनती है तुमसे कोई सुन्दर से शब्द में संवर जाओ भाव भर लो आंखों में किसी के लिए स्नेह #yqhindi #yqquotes #yqकुलभूषणदीप #yqमोती

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अक्षरों के मोती,
पिरो कर,
बना दी इक माला.... Dedicating a #testimonial to Bikhre Moti
बिखरे अक्षरों
विनती है तुमसे
कोई सुन्दर से शब्द में
संवर जाओ
भाव भर लो आंखों में
किसी के लिए 
स्नेह

मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"

,#shatyagashi #Emotions #willingness #पवन_का_झोंका पवन का झोंका लाख सजाये सपने मैंने, जो पल भर में ही टूटे। ऐसा चला पवन का झोंका, यारों के

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पवन का झोंका

सूरज को छूनेवाला था, पर... आया हाथ अंधेरा।।


👇

(  Full in Caption  ) ,#shatyagashi #emotions #willingness #पवन_का_झोंका

पवन का झोंका

लाख सजाये सपने मैंने, जो पल भर में ही टूटे।
ऐसा चला पवन का झोंका, यारों के

रजनीश "स्वच्छंद"

अपनी जमीं तलाशता।। मैं डाल से टूटा पत्ता हूँ, पर उसका हिस्सा अलबत्ता हूँ। पड़ा धूल हूँ फांक रहा, पर उसकी ही तो सत्ता हूँ। ओस की बूंदें गिर #Poetry #Quotes #Life #kavita #hindikavita #hindipoetry

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अपनी जमीं तलाशता।।

मैं डाल से टूटा पत्ता हूँ,
पर उसका हिस्सा अलबत्ता हूँ।
पड़ा धूल हूँ फांक रहा,
पर उसकी ही तो सत्ता हूँ।

ओस की बूंदें गिर मुझपर,
चमक चमक इठलातीं थीं।
मुझसे निकल किरणे भी,
मन ही मन इतराती थीं।

मैं पूजा की वेदी बैठूं,
कलश में मेरा मान रहा।
मेरे ही छिड़के जल से,
देवोँ का पुनीत स्नान रहा।

साख से टूट जमीं पे गिरा,
अब किसी के घर का हिस्सा हूँ।
दीवारें मिट्टी की चुनवा दी,
मैं भी छप्पर का हिस्सा हूँ।

अपनी चिंता कब थी मुझको,
अनायास जीये मैं जाता हूँ।
दे शीतलता औरों को,
लू की गर्मी पीए मैं जाता हूँ।

कब तुमसे पूछा मज़हब,
कब जात धर्म की बात कही।
किसकी ख़ातिर क्या है बदला,
दिन भी वही, वही रात रही।

जिस ओर पवन का शोर हुआ,
मैं उसके पीछे जाता हूँ।
जल बोरसी में ठंढ मिटाने,
खाट के नीचे आता हूँ।

एक कहानी गांठ बांध लो,
जिसका उदय, अस्त भी उसका।
कोई तुम्हे कंधा क्यूँ देगा,
जिसका दर्द, कष्ट भी उसका।

©रजनीश "स्वछंद" अपनी जमीं तलाशता।।

मैं डाल से टूटा पत्ता हूँ,
पर उसका हिस्सा अलबत्ता हूँ।
पड़ा धूल हूँ फांक रहा,
पर उसकी ही तो सत्ता हूँ।

ओस की बूंदें गिर

Gautam Govind

इक आशियाना मेरा था छोटा सा इक,आशियाना मेरा वो जल गया हाँ जल गया। तिनका-तिनका,पत्ता -पत्ता चुन बसाया था,जिसे वो जल गया हाँ जल गया। था छोटा सा #Poetry

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 इक आशियाना मेरा
था छोटा सा इक,आशियाना मेरा
वो जल गया हाँ जल गया।
तिनका-तिनका,पत्ता -पत्ता चुन बसाया था,जिसे
वो जल गया हाँ जल गया।
था छोटा सा

संवेदिता "सायबा"

अन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस 'वन और स्वास्थ्य' फूल कभी खुशबू न्यौछावर करती है सीमा में क्या? खिलती जो उपवन में कलियां महक रहें बंधन में क्या? भ #कविता #hindipoetry #savelife #SaveNature #saveforest #samvedita #संवेदिता #internationaldayofforests

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