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Gaurav Christ
Krishnadasi Sanatani
Mukesh Poonia
गहन मानव निर्माण और ध्यान के उन क्षणों में सही मूल्य उत्पन्न होता है जब मन शांत होता है। . ©Mukesh Poonia #गहन #मानव #निर्माण और #ध्यान के उन #क्षणों में सही #मूल्य #उत्पन्न होता है जब #मन #शांत होता है।
Gaurav Christ
Jiyalal Meena ( Official )
Priya Chaudhary
🌹🌹🌹🌹 काश ये ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर वो आकर गले लग जाए इजाजत के बगैर। ❤️ ©Priya Chaudhary सौन्दर्य से प्रेम नही प्रेम से सौन्दर्य उत्पन्न होता है ❤️❤️❤️❤️
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****एक छोटी सी जिंदगी**** जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और मृत्यु होने के बाद जन्म निश्चित है?यही आवागमन के स्वरूप को संसार जिंदगी की यात्रा मानता आ रहा है। अमृत सागर में इसका अनुभव कुछ और ही होता है। हे परमत्तव अंश जिन्दगी वह सच्चाई होती है। पहले खुद भगवान आपको दर्शन से अनुभव कराते हैं। हर धर्म के इन्सान की माता जी के जठर अग्नि के तेज रूपी तप के बल से ज्ञान प्राप्त होता हैं कोख में । इसी ज्ञान से जिन्दगी की शुरुआत होती है इस जहां में। इसी ज्ञान का प्रकाश से जन्म लेने के बाद विपरित हो जाता है इस जहां में परिस्थितियों को देखने से इस धरा पर भगवान के ज्ञान से मिलान न होने से बच्चा रो कर शुरू करता है । अपनी जिंदगी की कहानी इस जहां में। उस दिए हुए कोख के ज्ञान से नो महीने की कहानी ही नहीं समझ पाना ।हर धर्म के इन्सान को जन्म और मृत्यु सबसे बड़ा उदाहरण हो रहा है। इसको समझिए हे परमत्तव अंश विष रुपी हृदय में से घड़ा खत्म करें । समस्त पृथ्वी के समस्त परमत्तव अंशों। फिर हृदय से हृदय में से निकले अमृत ज्ञान से। एक नई जिंदगी की शुरुआत होगी । यही जिंदगी संसार रूपी समुद्र, संसार रूपी वृक्ष,शरीर रूपी की पात्रता की व प्रकृति की गोद में । आपकी हमेशा याद रहेगी। श्री गीता जी का उत्पन्न होना और बुद्ध जन्म और इस आत्मा का पुनर्जन्म का भाषण 11 सितम्बर 1893 एक अमृत सागर ज्ञान की जिंदगी का उदाहरण है। समस्त संसार के समस्त धर्मों के -हे पृथ्वी वासियों। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #akelapan #New #treanding #Trading ****एक छोटी सी जिंदगी**** जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और मृत्यु होने के ब
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आज समस्त पृथ्वी का कैसा ज्ञान है ? =सच/तुच्छ ******************************************* हे समस्त पृथ्वी वासियों जो आपको ज्ञान मिला है? यह ज्ञान समस्त पृथ्वी पर, वहम व अहम् को उत्पन्न करने वाला है? केवल वर्तमान में भी और भविष्य में भी। वास्तविक ज्ञान से तो बहुत दूर हैं गये । हे समस्त पृथ्वी वासी आप । यह इस आत्मा का एक सात्विक भाव से किया गया। एक सात्विक मत हैं आपके लिए हे परमत्तव अंश। आपको वास्तविक ज्ञान सच्चाई को समझना है । तो आइए इस आत्मा के पहले नोजोटो शो पर । * ** 25 मई 2023 ***के दिन। 25 मई 2015 की याद में है ये शो । आइए समस्त पृथ्वी वासियों इस दिन से शुरुआत करें । समस्त पृथ्वी पर एक अहिंसा के आधार पर । द्वितीय महाभारत युद्ध की शुरूआत करै। समस्त पृथ्वी के समस्त धर्मों में सात्विक ज्ञान के लिए? समस्त तुच्छ /वहम के वर्तमान का ज्ञान के आक्रमण पर? समस्त निस्वार्थ भाव से और लोकहितार्थ ही ज्ञान होगा ? समस्त पृथ्वी का मुलमंत्र आधार वास्तविक ज्ञान होगा? पाखण्ड मुक्त होगा वास्तविकता दर्शाने का ज्ञान होगा? शीघ्र ही भगवान की प्राप्ति का ज्ञान भी होगा ? ( आइए )अभी बुक करें 25 मई 2023 नोजोटो शो निःशुल्क है जो। पहला ही शो और आगे के शो निःशुल्क ही रहेंगे। इस एक ही आत्मा के सभी शो। **** एक धर्म युद्ध इस पृथ्वी पर **** ****अहिंसा पर यह भी एक बाकी था **** शब्दों के बाणो की शक्ति की पहचान मिलेगी। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #sattingbaba #sanjana #treanding #Real #treanding #viral
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***ज्ञान*** ज्ञान के स्वरूप के कितने रुप व कारण है ? सबसे पवित्र ज्ञान क्या है ? (जानिए) समस्त पृथ्वी पर समस्त परमत्तव अंशों समस्त ज्ञान का रुप नाशवान और जड़वर्ग का ज्ञान का इतिहास प्रकृति के स्वरूप में समाया हुआ है उनमें प्रमुख प्रकृति के ही 28 गुण है । समस्त देव और मनुष्य के तो केवल (सत,रज,तम) तीन गुणों को अपनाकर भी अपना उद्धार नहीं कर सकते हैं । जब तक प्रकृति के प्रथम गुण निस्वार्थ भाव को नहीं अपनाएगें पुर्ण ज्ञान के स्वरूप में प्रकृति के 28गुण हद्रय 4वेद(4वाल) और अपने ह्रदय में जन्म से ही मिलता है। और दो उपहार रुपी घड़े भरे हुए विरासत रुप में भी मिलते हैं। 1.एक विष रुपी ज्ञान 2.एक अमृत रुपी ज्ञान जन्म से ही हर धर्म के इन्सान को मिलता है यहां अपने हृदय में। यह उपहार भगवान व प्रकृति का आपको भेंट रुप मिला हुआ है । एक विष रुपी घड़े को लुटाते -लुटाते आपकी जिन्दगी गुजर जाती है । हे परमत्तव अंश इस संसार में केवल करोड़ों में । एक ही इन्सान ह्रदय में से विष रुपी घड़ा ही खत्म कर पाता है। ऐसा प्रकृति पर दृढ़ विश्वास से लिखता हूं । उसके बाद दुसरे घड़े का अमृत सागर रुपी ज्ञान से उत्पन्न । ज्ञान ही इस धरा का सबसे पवित्र ज्ञान भी कहा जाता है । अमृतसागर की गहराई से निकला ही अमृत सागर रुपी । ज्ञान ही ज्ञान के स्वरूप में समा जाता है। जैसे की-श्री गीता जी का उद्गम इसी का एक सबसे बड़ा उदाहरण है। हमारी प्रकृति का इस ब्रह्माण्ड में। यही ज्ञान आपके ह्रदय में आज भी जीवित है। हे परमत्तव अंश ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #viral #treanding #Flower Create By Heart Alka Pandey Miss khan teachershailesh Anshu writer आजयपाल बरगी कमल कांत S