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Vikrant Rajliwal
Shivkumar
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l मां दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll स्वच्छ आसन पर बैठकर , मां का करें ध्यान l मंत्र जाप करने से , माता कल्याण करती है ll राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी l विधाता उनके लिए , शिव-संबंध रच रखे थे ll वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई ll भोलेशंकर , मां के तपस्या जब प्रसन्न हुए मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l ब्रह्मचारिणी नाम से , विख्यात होने का दिए वर ll ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि
Jesus_ka_chuna_huaa
और हम एक प्रभु, यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास करते हैं, वह परमेश्वर का एकलौता पुत्र, सर्व युगों से पहले पिता से उत्पन्न; परमेश्वर से परमेश्वर, ज्योति से ज्योति, सत्य परमेश्वर से सत्य परमेश्वर; कृत नहीं, वरन् उत्पन्न है, उसका और पिता का तत्व एक है, उसी के द्वारा सब वस्तुएं रची गईं; जो, हम मनुष्यों के लिए और हमारे उद्धार के ... ©Ikram Barela और हम एक प्रभु, यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास करते हैं, वह परमेश्वर का एकलौता पुत्र, सर्व युगों से पहले पिता से उत्पन्न; परमेश्वर से परमेश्वर, ज्य
N S Yadav GoldMine
अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशाख का महीना हिन्दू वर्ष का दूसरा माह होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस वजह से वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिये अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं. वैशाख अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म :- 🌿प्रत्येक अमावस्या पर पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत अवश्य रखना चाहिए। वैशाख अमावस्या पर किये जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं. 🌿इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। 🌿पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। 🌿वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए। 🌿अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। 🌿निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन और यथाशक्ति वस्त्र और अन्न का दान करना चाहिए। पौराणिक कथा :- 🌿वैशाख अमावस्या के महत्व से जुड़ी एक कथा पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण हुआ करते थे। वे बहुत ही धार्मिक और ऋषि-मुनियों का आदर करने वाले व्यक्ति थे। एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है। धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेकर भ्रमण करने लगा। एक दिन घूमते हुए वह पितृलोक पहुंचा। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे। पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिये पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो। धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा। इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर पुनः सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई। ©N S Yadav GoldMine #wholegrain अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो , सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,
Ravendra
Vikrant Rajliwal
🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗 🤗🤗🤗🤗🤗 🤗🤗 🤗 ©Vikrant Rajliwal 🤔The Great Philosophy Of Vikrant Rajliwal वास्तविक जीवन के अनुभवों का निचोड़! Gist of real life experiences! सब्सक्राइब कर के अभी अपने जी
Rakesh Kumar
धाकड़ है हरियाणा
Shailendra Anand
रचना दिनांक २४,,,११,,,२०२३ वार शुक्रवार समय ््चार बजे ््््््््् भावचित्र ््््््ही जिंदगी है ्््् ्््् ््््छाया चित्र में भावचित्र नदियों के तट से निहारती प्राकृतिक सौंदर्यता में नर नारियों का शास्त्रार्थ अध्यात्म से अस्त सूर्य किरणें का मनो अध्ययन ््् ््््् मन सुंदर है और यह सब धर्म कर्म अर्थ नदियों के किनारे का,, मनोरम दृश्य से जल तरंग की लहरों का सूरसंगम उद्वेलित कर।। पर्वत नदिया की श्रंखला में निर्झर निर्मल जलधारा ,, नदियां में बहती श्वेत चादर सी बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाऐ शुभमंगल शंखनाद है प्रेम मंजूल कथा विन्यास है।। ज्ञान सागर की लहरियो में मन चंचल शौख है अमृत तुल्य रस विभोर है।। मैं छौड़ चला तेरा आशियाना ढूंढती रही तुम दिल की धड़कनें खोजते रहे हम दिल।का आयना नजरिया साफ है लेकिन उम्मीद है।। तेरे अल्फाजो से ख्यालों की रवानी मैं प्रेम का श्रंगार बिछौना,, प्रकृति की गोद में उठा लिया मेरे प्रेम का मंन्दिर जो प्यार के पूष्प पल्लव से पूजन करे वक्त आये तो रक्त धाराओ से स्वहोम कर प्राणाहुति कर प्रेम का रक्त होमकर साक्ष्य बनाते वह प्रेमी युगल नदियों का किनारे हों या उसका पूल पर अपना प्रेम भरी यादें लिखकर चित्रण छाया कल्प वृक्ष प्रेम मंदिर का रेखांकन दिल से लिखुं इस अस्त सूर्य केदृश्यावलोकन सा जीवन फूलों से भी सूक्ष्म रूप है जीवन की एक धारा है।। मन का दर्पण भाव से पुजा जग से प्यारा न्यारा प्रेम का बंधन है।। खोज रही मैं अपनी मस्ती अपना जीवन तूममे खोकर सपनो का संजोदा संजोया दिल की हसरतें तुममें खोकर लेकर चली पनघट की यादें लेकर अपने प्रियतम के घर आंगन में।। मन में आकर दिल को देखा तुममें टीस चाहत तेरे प्यार की।। ््््् कवि शैलेंद्र आनंद २४,,, नवम्बर २०२३ व ©Shailendra Anand #landscape छाया चित्र में भावचित्र का प्राकृतिक सौंदर्यता बिखेरती हुई अस्त किरणें उत्पन्न कर देख रही है प्रेम व्यथा लिखुं मैं मन दर्पण प्रे