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Mohan Sardarshahari
White यह कुछ ऐसा ही है जैसे घी तोलते घी पी लेते हैं हाथ साथ रहते - रहते बन जाती है बात। जैसे पतझड़ में अनयास पतों की बरसात बरसात में भीगकर आती गर्माहट की बात। जैसे अंधेरे में रहते अनपढ़ के उद्गार अक्षर के प्रकाश से खोल देते नये द्वार।। हां यह कुछ ऐसा ही है जैसे पढ़ते - पढ़ते कोई किताब याद आती लेखक की बात बात से ही निकलती बात पूछ बैठते खुद से ही औकात। यह कुछ ऐसा ही है जब पढ़ते हैं हम कोई तहरीर खुद को भी देखते हैं उस जहां करने लगते हैं खुद से बातें शायद यही है कवि का कारवां।। ©Mohan Sardarshahari # कवि का कारवां
# कवि का कारवां
read moreRamji Tiwari
Unsplash विधा-दोहा छंद नेट प्रमाण प्रदान कर, करते हैं सम्मान। सहयोग राशि के रूप, लेते कवि से दान।। जो देकर पैसा मिला,वह कैसा सम्मान। जो धन देकर मान ले, नहीं है कवि महान।। गाना आता है नहीं, करते कविता पाठ। जो चोरी कविता पढ़ें, उनके हैं अब ठाठ।। रचना पढ़ते हैं नहीं, देते सुन्दर राय। गैरों की रचना कभी, तनिक नहीं मन भाय।। करे सृजन अवहेलना,कैसा रचनाकार। सच्चे लेखक के हृदय,बहे प्रेम रस धार।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #दोहा #कवि #poem #Friend #साहित्य
Shailendra Anand
रचना दिनांक 31जनवरी 2025 वार शुक्रवार समय सुबह दस बजे ्भावचित्र ् ्निज विचार ् ््शीर्षक ्् ्््माघ मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि गुप्त नवरात्रि रुप,, मां ब़म्हचारिणी दैवीय शक्ति नमोस्तुते ्् ््जीव दया और करुणा मंत्रणा सिद्ध हो प्यारा सा जीवन फूलों सा कली में मानव धर्म ही जिंदगी है ्् कंद मूल फल प्राणतत्व पंचतत्व में सूरनाद है,, मन की सुन्दरता से अपनी रूह में जो जलसरिता के शरीर तरंग में , मेघ बरसते इस पुण्य धरा पर क़ंदन करते। बिजली कड़कती मानो किसी अनहोनी का अंदेशा लगता है अनावृष्टि से मेघ बरसते बादलों से घिरा हुआ, धुंध में ध्वनि से धुन मधुर लय राग में तौडी सूर में आरोह अवरोह में बन्दिश सुनाते अपनी लय में ताल त्रिताल में तबला वादन से सांज सांजिन्दे बजा रहे हम सरस्वती आराधना करने वाले हैं ् ्कवि शैलेंद्र आनंद ् 31 जनवरी 2025,, ©Shailendra Anand भक्ति संगीत Extraterrestrial life Kalki कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति संगीत Extraterrestrial life Kalki कवि शैलेंद्र आनंद
read moretatya luciferin
White आकांशा (पाने की चाह) नदी, समुंदर में उछलती लहरों सी। उसकी यादें बार बार किनारों से टकरा कर, फिर लौटती लहरों सी।। – संतोष तात्या शोधार्थी ©tatya luciferin #sad_qoute #TATYA #tatyaluciferin #santoshtatya #तात्या #Santosh #कवि #शोधार्थी
Shailendra Anand
रचना दिनांक 161 जनवरी 2025,, वार,, गुरुवार समय। सुबह छह बजे ््भावचित्र ्् ्््निज विचार ््् ्््््जासून्दी के पुष्प पराग कण में,,्रंग बिरंगे रूप स्वरूप में , स्थित सोच पर छाया चित्र में केशरियां रंग में,, ओज जोश खरोश उन्दा सोच पर निर्भर करती है््् राजनिती और अपने विचार रखे, ताकि हम किसी किरदार में अपने आप को देख सके ,, ।यंह दुनिया सुनती हैं सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती से धन संपत्ति बाहूबल से ,, जो तुफान बनकर ज्वालामुखी बनकर घर परिवार में के मध्य सूरसा बनकर ,, जूबान की मुंहजोरी आज इस कदर हावी हो चुकी है।। धन संपत्ति की अपेक्षा और आवश्यकता ने तमाम मर्यादा ताख में रखकर अपने चरित्र का दोहन पोषण कर रही है।। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होना घर परिवार में ,, जुतममार मच जाना आम बात हो गई है।। यह आर्थिक संकट घरेलू महिला, पत्नी और बेटी, बच्चे, प्रदेश सरकार में, , देश में, आर्थिक स्थिति बेहद नाज़ुक स्थिति में हालात बेहद कमजोर, आर्थिक आपातकाल अघोषित रूप से जीवन में व्याप्त है।। मंहगाई, बेरोजगारी, से जनजीवन प्रभावित हो रहा है, और फिर भी इन्सानी मानस में कुछ तथाकथित सभ्य समाज , अपने आप को आज आर्थिक सम्पन्नता की ओर अग्रसर होने का ढिंढोरा पीटे जा रहे हैं। यह हाल में भी इन्सानी मानस में नजर आएंगी इस देश में बदल रहे, परिवर्तन से अपनी खस्ता हालत में सुधार हो सकता है । ऐसे सोच पर निर्भर करती हैं आशावादी दृष्टिकोण रखने वाले अच्छे ख्यालात रहे। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ् 16। जनवरी। 2025, ©Shailendra Anand आज का विचार नये अच्छे विचार कवि शैलेंद्र आनंद
आज का विचार नये अच्छे विचार कवि शैलेंद्र आनंद
read moreKavi Himanshu Pandey
दर्द को सहना पल पल दीवानों का काम है, कमजोरों का नहीं, शब्दों से धरा में कंपन कराना कवियों का काम है, अकवियों का नहीं! .... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey कवि का दर्द.. #beingoriginal #NojotoHindi
कवि का दर्द.. #beingoriginal Hindi
read moreKavi Himanshu Pandey
दर्द को पल पल करना पड़ता है महसूस, नहीं आसान है वैसा होना, पता नहीं कब नसें भारी होने लगें संवेदना से, नहीं आसान है कवि होना! ........ Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey कवि का दर्द.. #beingoriginal #NojotoHindi
कवि का दर्द.. #beingoriginal Hindi
read moreShailendra Anand
New Year Resolutions ्भावचित्र ् ्निज विचार ् तुलसा संग ब्याव्ह में, एक हरि भज भयो। गज मन मेरो उदास हे, कै मन करौ उपहास मेरौ। जगत पिता ने, झूठौ रचयौ माया जाल। जण में फासयौ मणक जींवणा, भणक ना लागी पाप पुण्यौ काकाज,। मती हरी गति हरी , घट में रहया प्राण कैणा वास्ते, रमन करै जींव म्हारो खौटौ। जग में ढिंढोरा पीटे में, होऊं लागै तण मण सारौ,। जगत में एक नार एक सार, सबमें एक घट सा प्राण है। मणक बावरा पैला इणमै,, हैरा फैरा कर दीजै। फिर बणी जावा गा,, कणी भी धरमणा,।। जात,धरमणा,उरगा,मुरगा,, पूरखा कूण गपलाये म्हारे देस में,। आज भरौसौणी म्हारे ,, कुण म्हारे मारे काटै बालै दफणावै ।। जौं झूठौ रचयौ माया जाल,, खैलयौ सब धर्मोंणा णे। तथा कथा उपाख्यानों में,, णी रैणौ झूठौ ख्यालौ में।। ्कवि््शैलेन्द़ आनंद ©Shailendra Anand #newyearresolutions भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
#newyearresolutions भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 26,,12,,2024, वार गुरुवार समय सुबह छह बजे ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ््छलक तलक तो आयगी जायगी और अपने विचार सपने बुनते हुए, जीवन को लेकर चलते फिरते हवाओं के झोके सा अहसास हो, जो भी हो अनसुलझे रहस्य, आविष्कार,गणित नई खोज, ब्रह्मांड में विचरण करने वाले को रुह की गहराईयों से जन्मा विचार , सच और रहस्य से पर्दा उठा कर साफ कर देख रहा है््् ््््भावचित्र ् पल भर में घड़ी विलक्षण प्रयोग,परीक्षाशाला, में , शोध और अनुसंधान एवं प्रशिक्षण सुझाव और प्रतिक्रिया में, परिभाषित विकल्प और अपने विचार सोच का दायरा विकसित, क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित लक्ष से , आधार पर जटिल से भी जटिल विषय पर , एक निष्कर्ष पर सार्थक विष्लेषण से कई ,, नव नवोदित विचार का अंकुरण से अपनी रूह में खोकर , उस पर कार्य क्षमताओं का स्वरूप खोजना शुरू से अंत तक , अपने कर्म और तथ्यों पर आधारित एक सार्थक निर्णय स्वप्रयास से पहुंचना और उस पर देश और समाज सभ्यता संस्कृति विश्व की महाशक्ति के, समक्ष उपस्थित प्रस्तुत कर एक कदम आगे बढ़ते हुए, जीवन से जुड़ी घटनाओं में समर्पण मातृभूमि पर देशभक्ति का दीप प्रज्जवलित कर देख रही है।। प्रेम शब्द की शब्दावली में अमर ज्योति प्रकट स्वरूप माना गया है,, निस्वार्थ सेवा मानव जीवन पर आधारित एक जीवंत प्रयास करें जनसेवा ही मानव धर्म कर्म है ,,।। हमारे देश का गौरवशाली अतीत और वर्तमान वहआदर्श प्रतिमान है,, जो धरती पर साकार लोक में सदैव ही अमर शहीद , शक्ति पूंज दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है ।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ् 26, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand Aaj Ka Panchang भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
Aaj Ka Panchang भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
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